Book Title: Jain Agam Sahitya Me Bharatiya Samaj
Author(s): Jagdishchadnra Jain
Publisher: Chaukhambha Vidyabhavan

View full book text
Previous | Next

Page 620
________________ शब्दानुक्रमणिका ५९९ मुकुन्दमह ४३३ मृगलुब्धिक १३७ मुख (कोठार) १२३ मृगवध १३७ मुखपत्ती ३७२ मृगारमाता विशाखा ४८५ मुखपोतिका ३७१ मृगादेवी (भार्या )२४१ मुखवस्त्रिका ३२९, ३९१ मृगावती २५, ९३, ९३ नोट, २५२, ४७६, मुचिलिन्द (सर्पराज) ४३७ नोट ५१७-५१८, ५२० मुत्तसक्कर ३१० नोट मृच्छकटिक ६५ नोट, ७१, २७७ नोट मुत्तोली (कोठार) १२३ मृतक का वार्षिक दिवस ३७४ । मुद्र १०७, १०७ नोट, ४४२ मृतक को गाड़ना ३७० मुद्रा १८७-९ मृतक कृत्य ३७४ मुनिचन्द्र ८ मृतक-गृह ३३७, ३७० मुरुंड (राजा) २१४ नोट, ३४०,३५४, मृतक पूजन ३७० ३९५ मृतकलयन ३३७,३७० मुरुंडी ( मुरुड देश की दासी) १६१ मृतकस्मृति ४९३ मुर्ग का सिर भक्षण ३४५ मृत्तिकावती ४७८ मुष्टिक (योद्धा)३६८ नोट मृत्युदण्ड ८२, ८३, ८४, ८७, ८८ मुष्टियुद्ध १०५ मेंठ (हाथियों को सवारी के काम में मुसुंढी १०६, १०७,३३८, ४६५ लेने वाले महावत) १०० मूत्रपान ३१४ मेंढियग्राम १५, २०४ मूर्तिकला ३२९-३० मेढ़ों का पालन १३४ मूर्धाभिषिक्त (राजा)५० मेघकुमार २५, ५०, २३५, २४२, २५४, मूल अक्षर (छियालीस) ३०२ २५६, २९३, ३५९, ३८६, ३८७, मूलकर्म ३५१ ३८८,३९०, ५०७ मूलदेव (राजकुमार) ४७, ४८, ४९, | मेघदूत ४७८ ७९, ८०, १००, २७७, २७८, ३४४ मेघविजयगणि २० नोट नोट मूलदेव (स्तेयशास्त्रप्रवर्तक = मूलभद्र, मेतार्य (कौंडिन्यगोत्रीय) १७ मूलश्री, कलांकुर, कर्णिसुत, गोणि- | | मेय (शिकारी)३९८ पुत्रक, गोणिकसुत) ७०, ७० नोट, | | मैगस्थनीज़ ३७९ ७१ नोट, ८१ नोट मैथिलिया ४७४ मूलदेवी (लिपि)३०१ नोट, ३०३ मैथुनशाला १८६ मोग्गरपाणि २८०, ४४२, ४६२ मूलवेलि ३३६ मोघपुरुष (गोशाला)१३ नोट मूलश्री (मूलदेव) ७० | मोचमेह (पेशाब का बर्तन) ४०५ मूलसुत्त (मूलसूत्र-चार)२७, २७ नोट | मूला (धनावह की पत्नी) १५९ मोदक १९४ मूल्य १८७ मोय १२५ मूसल १०७ मोय (मोक-मूत्र)३४७ मूसियदारय (मूषिकादारक = सुनार) मोरंग (कुण्डल) १४२ १४२, २५५ मोरपंख ४४०

Loading...

Page Navigation
1 ... 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642