Book Title: Jain Agam Sahitya Me Bharatiya Samaj
Author(s): Jagdishchadnra Jain
Publisher: Chaukhambha Vidyabhavan

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Page 632
________________ शब्दानुक्रमणिका श्रम निर्ग्रन्थ (समणणिग्गंथ ) ३८१ - ४११/ श्रेणीसंगठन २३० श्रमण ब्राह्मण ३७९, ३७९ नोट श्रेयांस ४९४ श्रमणपूजा (समणपूर) ३६३, ४८८, ५२५ श्रेष्ठी ( नगर सेठ ) ६२, १६४ श्रमणवरगंधहस्ती ९६ नोट श्रेष्ठीपुत्र ३६० श्रमण संघ ३८९ - ४११ श्रमणसम्प्रदाय ३७९-४२१ श्रवणबेलगोला ४८८ श्रावक ४२५ श्रावस्ती ( सहेट-महेट ) ६, ११, १२, १३, १४, १५, १८, १४७, १६६ नोट, २८२ नोट, २९१, ३६२, ३९६ नोट, ३९८ नोट, ४०७, ४१८, ४३२, ४६९, ४८४, ४८५, ४८६, ४९९ श्रावस्ति में बाढ़ १२८, ४८५-४८६ श्रीखण्ड ( शिखरिणो ) १९४ श्रीगुप्त (आचार्य) १९, ३४० श्रीदामगंड ( मालाओं का समूह ) १५२, ३६२ श्री निलयनगर ५६, ८३ श्रीपर्वत ४६८ श्रीमाल ४८१ श्रीलंका ४६६ श्रुतकेवलि २०, श्रृंगाटक ४६५ शृंगारकाव्य २९९, ३६६ शृंगार मंजरी ७१ नोट, २७१ नोट श्रेणिक ( बिंबसार = बिंबिसार = भंभसार=भिभिसार=सेनिय ) २४, ४६, ४७, ५१, ५६, ५९, ६०, ९०, ९२, नोट ९६ नोट, ९८, ९९, १०६, १८७ नोट, २३८, २३९, २६२, २६४, २६८, २७२, ३४६, ३४९, ३५२, ३६४, ३८६, ४६१, ४६४, ४९२ नोट, ५०६ ३६ ६.११ श्वान ४२४ वनपद से चिह्नित (मस्तक) ४३, ८४, १५९, श्वेतपट भिक्षु २५२, ३६५, ४०० श्वेतबद्ध ( यक्ष ) ४४३ श्वेताम्बर परम्परा में तीर्थंकर १० नोट श्वेताम्बर और दिगम्बर मतभेद १९-२० श्वेतार्य ३८२ पटखंडागम २६ नोट षष्ठितन्त्र ( सहित) २९४, २९५, ४१६, ४१८ स संकरी (विद्या) ३४९ संकला (जंजीर ) ३०० संक्षिप्तसार ३२ संक्षेपिकदशा के अध्ययन ३३ नोट संखड (भोज) २०१, ३५९, ३६४ ६७, ४४४, ४६७, ४७३, ४७८ संखड के प्रकार ३६५, ३६६ नोट संखति (पालि में ) ३६४ नोट संखधमक ४१३ संखा (सांख्य ) ४१७ संख्यान ( गणित ) २९४, ३०७ संगिल ( पशुओं का समूह ) १३१ संगीत ३१ संगीत ( चार प्रकार का ) ३२० संगीत द्वारा हाथी को वश ३२० संगीतविद्या ३१९ संगीत और नृत्य ३१९-२२७ संगीति ( बौद्धों की ) ३० नोट संग्रामरथ ९५ ८, ५१०, ५११ श्रेणिक की रानियां ५०७-८ श्रेणिक के पुत्र ५०८ श्रेणिक की कन्यायें ५१२ श्रेणी श्रेणी (अठारह ) ४९, २४२ संघ, गण और गच्छ २३०-३१ संघदासगणि क्षमाश्रमण ३६ श्रेणियां (अठारह) १६४ - ६, १६४ नोट | संघदासगणि वाचक ३६, ७० नोट

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