Book Title: Jain Agam Sahitya Me Bharatiya Samaj
Author(s): Jagdishchadnra Jain
Publisher: Chaukhambha Vidyabhavan

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Page 633
________________ ६१२ जैन आगम साहित्य में भारतीय समाज संघाइम ३२८ सती-साध्वी स्त्रियाँ २५० संजय (राजा) १३७ सत्यकी २८२, २८२ नोट, ३५२, ४३४ संजयबेलट्रिपुत्त १२ सत्यभामा (कृष्ण की रानी) २६३, ५०३ संडीला ४७६ सत्यभामा (उपाध्याय की कन्या) २९२ संथाल जातियाँ ९ सदाचारी गणिका २७९ नोट संदर्भ देश ४७६ सहालपुत्त (कुम्हार )१४६, ११७, ४२० संधिपाल ६२ सन १२६, १३७ संपक्खाल ४१३ | सनत्कुमार चक्रवर्ती ५०, १०३, ३४९, संप्रति (सम्प्रति) । ३८२, ४०६, ४४३, ४९९ संबंधी और मित्र २३६ सन्तानोत्पत्ति के लिए उपाय २८५ संबल (बछड़ा) १३३ सन्नाहिका (भेरी) १०९ संभुत्तर ( सुह्मोत्तर) ४८६ सभा ४०२ संभूत (श्रुतकेवली) १८, २०, ४०६ | समंतभद्र २४, ४८७ संभूत (मातंगदारक) २३२, ३१९, ४०६ | समक्षेत्र ३५६ संमजक ४१३ समतट (पूर्वीय बंगाल) ४६५ संयतियों के उपाश्रय में साधुओं को समर (आएस-लुहार की दुकान) १४६ ___ छिपाना ४०१ समवायांग ३००, ३०२, ४९३, ४९६ संवच्छरपडिलेहण (संवत्सर प्रतिलेखन% समराइच्चकहा ४७० __ जन्मदिन) २४३, ३६२ समाधिशिखर ( सम्मेदशिखर) ४, ६, संवाह (संबाध = कोठार) १२२ ४६४, ४७१,४८४, ४९५, ४९६, ४९९ संसक्तनियुक्ति ३६ समिया (गेहूँ का गीला आरा) ३१२, संस्कार २४२-४३ ३१७ संस्तारक ३८० समिल्ल (नगर) ४३९ सकथा ( उपकरणविशेष) ४१४ नोट समुग्ग (समुद्क-डिब्बा)२५६, ३३८ सक्क (शाक्य)३८१, ४१२ समुच्छेदवादी १९ सगड (वेश्याप्रेमी)८३ समुद्गक (सूचिकागृह)३३१ सगडभहिआउ २९५ समुद्र (आर्य ) २४, २४ नोट सगडीसागड १८० समुद्र (भगवान् ) १८४ सगर (चक्रवर्ती) ४३६, ४९८ समुद्र की पूजा १८४, १८४ नोट सगरपुत्र ४३६, ४९८ समुद्रयात्रा १८३-४ सगल (गन्ने का छिलका) १२५ समुद्रवायु १७२ सचेल ४, ८, ११ समुद्रविजय ५, २५८, ४९५, ५०१, सचेलस्नान ४०३ ____५०१ नोट, ५०३ सश्चक १० सम्प्रति (राजा) २२, २४, ३६३, ४५९, सजियाखार १४१ ४७२, ४८०, ४८१, ४८४, ४८७ सहितंत (षष्ठितंत्र)२९५ -श्रमणसंघ का प्रभावक ५२२-२४ सड्ढई (श्रद्धा रखने वाले) ४१३ | सम्भूत (संभूत) सतीप्रथा ४५, २७१ । सम्मत १५७

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