Book Title: Jain Agam Sahitya Me Bharatiya Samaj
Author(s): Jagdishchadnra Jain
Publisher: Chaukhambha Vidyabhavan

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Page 631
________________ ६१० जैन आगम साहित्य में भारतीय समाज शासन-व्यवस्था (केन्द्रीय ) ४१-६३ । शुक (परिव्राजक ) ४१८, ४९२ नोट शाह (छियानवें) ५३, ९३, ४८१,५२४ शुक्तिमति ४८१, ५०५ शिकार पकड़ना १३८ शुचिकर्म २४३ शिकारी १३८ | शुचिवादी ४२६ शिकारी कुत्ते १३८ शुभ-अशुभ दिशाएँ ३५६ शिक्षा और विद्याभ्यास २८६-९९ शुभशकुन १७२, ३५५ शिप्रा ३२७ शुभाशुभ विचार ३५६-५७ शिल्प ४१, ४९३ शुभाशुभ शकुन ३५३-५९ शिल्प (बारह) २९८ नोट शुल्क (कर) १११ शिल्प (उन्नीस) २९१ नोट शुल्कपाल ११२ शिल्प-आर्य १४६, २२६ शुल्कपालों की निर्दयता :१३-४ शिल्प मुंगित (शिल्प से हीन ) १५६ शूरसेन (मथुरा) ४६९, ४७१, ४८३ २२६, २३३ शूर्पारक २४ नाट, ११०, ११३, १४८, शिल्पकार (पांच ) १४०, १४८ १५९, १७४, ३६७, ४८८ शिव १८४, ४२३, ४३३-३५ शूर्पारक में कर नहीं ११० शिव (स्कंद के पिता) ४३४ शूल १०७ शिव (महाशिव) ४३३ शूलपाणि (यक्ष) ४४१ शिव (राजर्षि)४१४ नोट शेषवती ( यशोमती) १०, ४९५ शिवप्रतिमा ४३५ शैक्षनिष्फेटित ३८४ शिवभूति २१, ३६८, ३८२, शैलक (ऋषि) १९८ शिवमह ४३३-३५ शैलपुर ३६५, ४६७ शिवलिंग ८०, ४३३ नोट, ४३५ - शौचधर्म ४१६ शिवा (समुद्र विजय की रानी) ५, शौचमूल (धर्म) ४१८ ४९५, ५०३ | शौरसेनी ३२, ३६, ३०४, ३०५, ४८३ शिवा (प्रद्योत की रानी) २४, ९३, | शौरि (राजा) ४६९ ४३४, ४४७ नोट, ५९ शौरिपुर ४७० शिवि देश २०९ नोट श्मशान ४४९ शिविका (पालकी) १८१, ३३३ नोट, | श्मशानपालक ३७३ ३८८ श्याम (आर्य) २४, २७ नोट शिशुनाग (वंश)५१३ श्यामा (रानी) ५७ शिशुपाल २५८, २६३, ४८१, ५०५, ५०६ श्यामाक गृहपति ११, १२१ शिष्य (अच्छे-बुरे) २८८-९१ श्रम ११९, १५६-१६३ शिष्य (सुयोग्य )२८७ श्रमण (पांच)३८१, ४२४ शिष्य (दुर्विनीत)२८८ श्रमणों (पांच) के वन्दन करने का शीतगृह (शीतघर)५१, ३३५ निषेध ३८१ नोट शीतला ४३९ श्चमणों की तपस्या ३९० शीलभद्र ४६३ 'श्रमण-काव्य ३४ शीलांक १६, ३७ श्रमणधर्म ७

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