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जैन आगम साहित्य में भारतीय समाज
शासन-व्यवस्था (केन्द्रीय ) ४१-६३ । शुक (परिव्राजक ) ४१८, ४९२ नोट शाह (छियानवें) ५३, ९३, ४८१,५२४ शुक्तिमति ४८१, ५०५ शिकार पकड़ना १३८
शुचिकर्म २४३ शिकारी १३८
| शुचिवादी ४२६ शिकारी कुत्ते १३८
शुभ-अशुभ दिशाएँ ३५६ शिक्षा और विद्याभ्यास २८६-९९ शुभशकुन १७२, ३५५ शिप्रा ३२७
शुभाशुभ विचार ३५६-५७ शिल्प ४१, ४९३
शुभाशुभ शकुन ३५३-५९ शिल्प (बारह) २९८ नोट शुल्क (कर) १११ शिल्प (उन्नीस) २९१ नोट शुल्कपाल ११२ शिल्प-आर्य १४६, २२६
शुल्कपालों की निर्दयता :१३-४ शिल्प मुंगित (शिल्प से हीन ) १५६ शूरसेन (मथुरा) ४६९, ४७१, ४८३ २२६, २३३
शूर्पारक २४ नाट, ११०, ११३, १४८, शिल्पकार (पांच ) १४०, १४८ १५९, १७४, ३६७, ४८८ शिव १८४, ४२३, ४३३-३५ शूर्पारक में कर नहीं ११० शिव (स्कंद के पिता) ४३४
शूल १०७ शिव (महाशिव) ४३३
शूलपाणि (यक्ष) ४४१ शिव (राजर्षि)४१४ नोट
शेषवती ( यशोमती) १०, ४९५ शिवप्रतिमा ४३५
शैक्षनिष्फेटित ३८४ शिवभूति २१, ३६८, ३८२,
शैलक (ऋषि) १९८ शिवमह ४३३-३५
शैलपुर ३६५, ४६७ शिवलिंग ८०, ४३३ नोट, ४३५ - शौचधर्म ४१६ शिवा (समुद्र विजय की रानी) ५, शौचमूल (धर्म) ४१८ ४९५, ५०३
| शौरसेनी ३२, ३६, ३०४, ३०५, ४८३ शिवा (प्रद्योत की रानी) २४, ९३, | शौरि (राजा) ४६९ ४३४, ४४७ नोट, ५९
शौरिपुर ४७० शिवि देश २०९ नोट
श्मशान ४४९ शिविका (पालकी) १८१, ३३३ नोट, | श्मशानपालक ३७३ ३८८
श्याम (आर्य) २४, २७ नोट शिशुनाग (वंश)५१३
श्यामा (रानी) ५७ शिशुपाल २५८, २६३, ४८१, ५०५, ५०६ श्यामाक गृहपति ११, १२१ शिष्य (अच्छे-बुरे) २८८-९१
श्रम ११९, १५६-१६३ शिष्य (सुयोग्य )२८७
श्रमण (पांच)३८१, ४२४ शिष्य (दुर्विनीत)२८८
श्रमणों (पांच) के वन्दन करने का शीतगृह (शीतघर)५१, ३३५ निषेध ३८१ नोट शीतला ४३९
श्चमणों की तपस्या ३९० शीलभद्र ४६३
'श्रमण-काव्य ३४ शीलांक १६, ३७
श्रमणधर्म ७