Book Title: Jain Agam Sahitya Me Bharatiya Samaj
Author(s): Jagdishchadnra Jain
Publisher: Chaukhambha Vidyabhavan

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Page 622
________________ शब्दानुक्रमणिका ६०१ युवराज का अभिषेक ४५ रत्नपुर २९२ 'यनियन' (श्रेणी) १६५ | रत्नमणि १४४ नोट योग ३४३ रत्नशेखर (राजा) ८७ योगरोचना (सिद्धअंजन ) ७१ रथ ९५, ९६, १४८, १८१ योगशास्त्र ३० नोट रथों के प्रकार ९५-६, ९६ नोट योगाचार्य ७१ रथकार (राजरत्न) १४८, २३७ योनिप्राभृत ३१४, ३४०, ४०३ रथनेमि २५१, ४०६, ५०१ यौवराज्य ४४ नोट रथमुशल (युद्ध) १०५ रथयात्रा २३, ४५८, ५२३ रंग तैयार करना १५० रथवीरपुर २१ रंगीन वस्त्र १२६ रथावर्त (पर्वत) २३, ४७१, ४८० रक्तपट (रत्तपड = रत्तवड = बौद्ध) २९९, | रमणी के रूप २७५ नोट ३५४, ३८१, ४०७, ४१२ रयणावई (बुद्धिल की कन्या) २८४ रक्तशुद्धि २२६ नोट रविषेण ४८३ रक्तसुभद्रा (सुभद्रा)९२, २४८, २६१ रसायन ३०८ रक्षापोटली २४२ नोट, ३५० रहट १३२ रक्षाबन्धन (सलूनो) ३६२ रहस्यशाला १८६ रक्षाविधि ३५० नोट राक्षस ४३५, ४४७ रक्षित (ब्राह्मणपुत्र )२९२ राजकर से बचना १७७ रजक १४१, १६४, १६५ | राजकर-व्यवस्था ११०-१४ रजकशाला १४१, १८६ राजकुल ६५, ६६, ६७, ८८ रजस्त्राण ३३३, ३३४, ३३७ नोट राजकोष को समृद्ध बनाना ११२-१३ रजोहरण ६८, १३४, १५०, ३२९, ३४०, ल्लिका ४०८ . ३७२, ३५१ राजगृह ६, ११, १७, १८, १९, २४, ३० रज्जुक (राजुक) ११३, ११३ नोट नोट, ४६, ५७, ७४, ७५, ७६, ९०, रज्जुगसभा १२, ११३, ४६३ ४९६ १०६, ११०, ११२, १३५, १४४, रज्जुगाहक अमञ्च ११३ नोट ९५२, १५९, १६०, २०१, २३४, र उड (राठौड़)६२ . २३५, २३७, २५७, २५८, २७०, रत्तपड (रत्तवड-शाक्य) ३८१, ४१२ । २७८, ३२८, ३४५, ३५२, ३५३, रत्न (सात)-सेनापति, गृहपति, ४९९, ५.२, ५०५, ५०७,५११, ५१२ वर्धकी, पुरोहित, स्त्री, हस्ति, अश्व | राजन्य २२२, ४९३ राजपिंड ५२३ रत्न (चतुर्दश ) ९५, ४९७ राजप्रश्नीयसूत्र ३००, ३३१ रत्न (चौबीस) १४४ नोट राजप्रश्नीयसूत्र (में वाद्य) ३२१, ३२१ नोट रत्न (कीमती) १४४ राजभवन (राजप्रासाद) ५०-५१ रत्नकम्बल ७९ राजमल्ल ४८३ रत्नकूट (नगर)८७ राजमुद्रा ३०१ रत्नदीप १८४, ४३९ । । | राजवैद्य ३११-१२ . ३६ जै० भा०

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