Book Title: Jain Agam Sahitya Me Bharatiya Samaj
Author(s): Jagdishchadnra Jain
Publisher: Chaukhambha Vidyabhavan

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Page 616
________________ शब्दानुक्रमणिका भोज ( संखडि ) ३६४, ३६७ भोजक (भोज) ४३९ भोज का देश ४७८ भोजदेव ( शृङ्गारमंजरी के कर्त्ता ) ७१ नोट, २७५ नोट मंत्र ३४३, ३४४, ३४५, ३५१ मंत्रयोग ३४४ मंत्रशक्ति ३४४ - ३४५ मंत्रशाला १८६ मंत्री ६१, ६२, १०६ | मंत्री ( परिषद् ) ६० मंदारगिरि ( मंदार हिल ) ४६५ मंदारगिरि ३९० भोजन बनाना १९६ भोजन पिटक ( 'टिफिन' ) ९०, १६० भोजपत्र ३०० मकान बनाने का सामान १४९ सक्कार नीति ४२ भोजवृष्णि ५००, ५०१ 'मक्खलि' की व्युत्पत्ति १३ नोट भोजक (गाँव का प्रधान) ११६, ३७४, मक्खलि (मंखलि ) गोशाल ५ नोट, ५२३ ८ नोट, ११, १२-१७, १४१, १४७, २०४, ४८५ भोडा (छोटा) २११ भौत (परतीर्थिक ) २६६ भ्रमरकरण्डक (अग्नेयकीट) ७४ नोट भोजन ( चार प्रकार का ) १९३, १९३ नोट म मं (आर्य ) २४ नोट (चार) १२ नोट, ३६९ मंखखल (मांस सुखाने का स्थान) २०१ मंखलि ( मक्खलि= गोशाल ) १२, १७, ३३९, ४१९-२१ खलिपुत्त ४२८ विद्या १२ मंगल ३५०, ३५३, ३५३ नोट मंगल चैत्य ३३६ (आर्य) २४, २४ नोट, ४८३ मंचातिमंच (गैलरी ) २५९ मंजूषा ( सन्दूकची ) ३३८ मंडक (पूपूरी ) १९५ र्णी (ताप) ४१५ नोट मंडन मिश्र ४७४ मंडपस्थान ( आंगन ) ३३१ मंडल ३७२ मंडिकुच्छ (चैत्य ) ४६२ मंडित (वाशिष्ठ गोत्रीय ) मंडिय ४१९ मंडुक (राजा) १९४ ५९५ मगध १७, ३१, ३२, ९४, २०७ नोट, २२७, २९२, ३०४, ४६० - ६२, ४६७, ४७३, ४९६ - ( पापभूमि ) ४६१ मगध में दुष्काल २२, २९ मगध में रोग ३१३ नोट मगध सुन्दर धान ४६२ मगधवासी ४६० मगरजाल १३९ महसर (वेश्या) २७९ मगह सुन्दरी (वेश्या) २७८ मग्गपाली (साध्वी ) २१३ मच्छंदवाडा (मच्छीमारों की बाड़ी ) १३९ मच्छ ( मछुआ ) ३९७ मछलियाँ पकड़ने के तरीके १३९ - १४० मछलियों के नाम १३९ मज्जणघर (स्नानगृह ) ३३५ मज्झिमपावा (मझिआपावा=पावापुरी) १२, २२७, २२८, ४६३, ४८४, ४९६ मडंब ११५ नोट मणिकर्णिका (घाट) ४६८ मणिपुर ४३५ नोट मणिभद्र (जैन आचार्य ) १६ मणिभद्र ४३८, ४३८ नोट, ४३९, ४४६

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