Book Title: Jain Agam Sahitya Me Bharatiya Samaj
Author(s): Jagdishchadnra Jain
Publisher: Chaukhambha Vidyabhavan
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पट्टागार (पटवे) २२२ पट्टिश १०७
जैन आगम साहित्य में भारतीय समाज
पट्ठीवंस ( खंभा ) ३३६
पडिग्गह (पात्र ) ३८७
डिबुद्धि (राजा) १५२, २६२ पडियाण (जीन ) १०२
पडसिजा ( छोटी शय्या ) २५६, ३३७ पणियभूमि १२
पण्डु २६३, ५०५, १०६
पण (मुद्रा) १८८, १८८ नोट पणत्ति (प्रज्ञप्ति)
पण (लता) १८३ पण्हवण ३४४
पतवार १७२
पताका १०८
पतिव्रता २६९
पत्ता (पत्र) ३००
पत्तहारक ( पत्ते चुगने वाले ) १३७ पथिय ( टोकरी ) १५२ पत्रच्छेद्य २९७, २९७ नोट
पदमार्ग (सोपान ) ३३४, ३३४ नोट पदाति (पैदल ) १०३ पदातियों के आसन १०३ पदातियों के प्रकार १०३
पदानुसारी २३, ३४३ पद्मदेव २६१
पद्मरथ ४९४
पद्मनाभ (राजा) ५२, १०९, २६३, ३५३
पद्मानन ( राजा ) ४७६ पद्मावती (चेटक की कन्या ) २४, ५१३ पद्मावती (रानी ) २३ पद्मावती ( राजा उदयन की रानी ) ५६ पद्मावती ( कूणिक की रानी ) ९८,५१० नोट, ५११
पद्मावती ( कृष्ण की पटरानी ) ९२, ९२ नोट, ५०३ द्मावती (हिरण्याभ की कन्या) २४८,
२६१
पद्मावती ( राजा दधिवाहन की रानी ) ३८५, ५१५
पद्मावती ३८७ नोट
पद्मावती (रानी) ४३७
पद्मोत्तर (शर्करा ) १२५ नोट, १७८ पनवाड़ी १७८
पडी ( नारियल के तृण ) १३७ यागपतिट्ठान (प्रयाग ) ४७६ परंगमण (संस्कार) २४३ परकोटा ( प्राकार ) १०६, १०६ नोट, ३३८, ४६५
परदेशयात्रा के लिए पासपोर्ट (रायवरसास) १८५ परपरवाइय ४२५
परमहंस ४१७, ४१७ नोट
परशु १०७
पराशर ४१७, ४१७ नोट परिखा १०६
परिघ ३३८
परिपूणग (छन्ना) २८९ परिपू ( छाना हुआ ) ४१६ परिभाषण ४२
परिमण्डलबंध ४२
परिव्राजक ८०, १४१, ३६५
परिव्राजक ( दो प्रकार के ) ३७९ नोट परिव्राजक धर्म (दस) ४१८ परिव्राजिका ४८२ परिवाजिकायें ४१९
परिव्राजिकाओं का दौत्यकर्म २८३-८५ परिव्राजिकाओं की शरण ( पुत्रोत्पत्ति के
लिये) २८४ परिव्राजिकाओं के मठ २८३ परिव्वायअ ( परिव्राजक ) ३८१, ४१५-१९ परिषद् ( पांच ) ६०
- पूरयंती, छत्रवती, बुद्धि, मंत्री, राहकी ६० परिषदों ( का अपमान ) ८४, ८५ परीक्षित ( राजा ) ४३६ नोट, ४७६ पर्दा ५४

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