Book Title: Jain Agam Sahitya Me Bharatiya Samaj
Author(s): Jagdishchadnra Jain
Publisher: Chaukhambha Vidyabhavan

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Page 611
________________ जैन आगम साहित्य में भारतीय समाज प्रदेशी ( राजा ) ५८ ५९० पोरथय (पुस्तक) ३०० पोथार (मिट्टी के पुतले बेचने वाले) प्रद्युम्न २६४ २२२ पोदनपुर ८३ पोरकन्व ( शीघ्रकविश्व ) २९६ पोलासपुर १४६, १४७, ४२०, ४३१ पोसहसाला ( प्रौषधशाला ) ३३५, ३५२, ३५३ पौंडा (पुण्ड्र = पीला ) १२५, १२५ नोट, प्रद्योत के चार रत्न ५१९ ४६६ प्रपा १९७ प्रजल्पन (संस्कार) २४३ प्रबन्ध १६४ प्रजा ( अठारह प्रकार की ) ६२ प्रभव १८, २०, २२८ का उत्पीड़न ( कर आदि द्वारा ) प्रभावती ( रानी ) २४, ९३, नोट, २५४ ११४ प्रजापति ७१, २२४ प्रजापति द्वारा अपनी कन्या की कामना २६६ प्रज्ञप्ति ४७९ प्रज्ञप्ति (विद्या) २६४, ३४६, ३४८ प्रज्ञप्ति (स्त्रीदेवता ) ३४३ प्रज्ञापनासूत्र १३१ प्रतर्दक (गोल पत्राकार आभूषण ) ३३४ प्रद्योत (चंड प्रद्योत ) २४, ४३,९३, ९३ नोट, ९४, ९६, ९९, १०५ नोट, १०६, १५९, १७३, २६२, ३२०, ३३०, ३६८, ४३४, ४४८, ४७६, ४७७, ४८१, ५१४, ५१५, ५१९-२१ प्रद्योत और शतानीक का युद्ध ५१७ प्रद्योत के अन्य युद्ध ५२०-२१ प्रतिग्रहधारी ३९१ प्रतिबुद्धि ३८२ प्रतिमा (यंत्रमय ) ३३० प्रतिमायें (विविध) ३२९ १८७ प्रतिवासुदेव (नौ) ४९३, ५००, ५०४ प्रतिष्ठान ( पोतनपुर = पैठन ) २३, २७ नोट, ६१, ८६, १०६, ३३९, ३४०, ३६३, ४६२, ४८७, ५२४ प्रतिष्ठानपुर ४७६ प्रतिसूचक (गुप्तचर ) ६१ प्रत्यंतग्राम ११६ प्रत्यनीक देवता ३७२ प्रथम चक्रवर्ती ( भरत ) ९५, ४९७ प्रथम राजधानी ( अयोध्या ) ४ प्रदीपशाला ४३२ ५१३ प्रभास ( कौंडिन्य गोत्रीय ) १७ प्रभास (सोमनाथ तीर्थ ) ९४, ३६५, ४६८, ४७३, ४७३ नोट, ४९६ प्रभास के अन्य नाम ४७३ प्रवचनवेद २६ प्रवेणी पुस्तक ६४ नोट प्रव्रजित श्रमण ४२४-२५ प्रव्रज्या ( अनेक प्रकार की ) ३८३ प्रतिरूपकव्यवहार (माल में मिलावट ) प्रव्रज्या के लिए अनुज्ञा ३८५-८६ प्रश्न ३५० प्रश्नव्याकरण के अध्ययन ३३ नोट प्रश्नातिप्रश्न ३५०, ३५१ प्रस्रवणभूमि ३९७ प्रमुख तीर्थ ४६० प्रमोद दस दिन का ) ३६३ प्रमोद ३५९ प्रयाग ४७६ प्रसन्ना १९७, १९९, २५९ प्रसेनजित् २६८ नोट, ४६७, ५०६ प्राकार ( अनेक प्रकार के ) १०६ नोट, ३३८, ४६५ प्राकृत ३१, ३०५ प्राकृत (मिश्र) ३६ प्राकृत धर्मपद ३०२ नोट प्राचीनतीर्थमाला ४७०

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