Book Title: Jain Agam Sahitya Me Bharatiya Samaj
Author(s): Jagdishchadnra Jain
Publisher: Chaukhambha Vidyabhavan

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Page 613
________________ | बुद्धघोष ३५ जैन आगम साहित्य में भारतीय समाज बहिलग (बहिलग) १८०, १८१ बुद्धकीर्ति (मुनि) ८ नोट बहुतर संयम का ग्रहण ४०९ बुद्धगया ४६८ बहुपतित्व २६८, २६९ बहुपत्नीत्व २६८ बुद्धप्रतिमा का वन्दन ४११ बहुमिलक्खमह ३६१ बुद्धशासन २९५, ४१२ । बहुमूल्य वस्त्र २११-२ ... . बुद्ध (परिषद् )६० बहुरत सम्प्रदाय १८ बुद्ध (चार)६० बहुरूवा (विद्या) ३४८ बुद्धिल २८४, ३६८ बहुलिया ( दासी)१६१ बुलन्दशहर (उच्चानगर) ४७८ बहूदग ४१७ .. बुहलर ३०२ बांस की जातियां १३७ बृहज्जातक १७ बाजीकरण ३०८ . .. बृहत्कथाकोष ४८३ बाणों के प्रकार १०८, ३१९ बृहत्कल्पभाष्य (कल्पभाष्य)३५, ३६, बानगंगा ४६८ नोट . . ४७,५६, ८६, १८२, १८९, १९८, बारवड (द्वारका) २०२, २०९, २१५, २७५, ४५७ बारेज महसव (विवाहोत्सव ) २५७ बृहत्कल्पसूत्र ३४, ३५, १९८, ४२५ बालक-नन्हें २३६-३७ बृहत्संहिता २४९ बालक ( श्रेष्ठ) २३७ । बृहस्पतिदत्त (पुरोहित.)५६, ८३ | बेताल ३४५ बालप्रवज्या ३८४-८५ . बालरंडा २७० : बेन्यातट (बेण्णा= बेण्या) २३, ४७, बालि (द्वीप) ४६० ७९, १११, १७३, १७७, २७८, ३४४, ४८९,५०७ बाली ९२ नोट बेहल्ल (वेहल्ल) बाहुक ४२८ . बैल १३२, १८१ बाहुबलि ३, ४, १०५, २६६, ३४०, ४९३, | बल (अड़ियल) १३२ . ४९७ ।। बैलों को बधिया करना (निल्लंछणकम्म) १८१ बिंबसार (श्रेणिक) २४० नोट, २६८ बैशाली (वैशाली)९ . बोटिक (बोडिय = दिगम्बर) २१, बिक्री की वस्तुयें १७४ ३५४, ४१३ नोट, ४२६ बिन्दुमती (गणिका )२७८ नोट बोधिक (बोधिय = चोर) ७९, २८३, बिन्दुसार ८६ नोट, ४५८ ३५७, ३९७, ३९८, ४८० विभेलग (यक्ष) ४३९ बोधिसत्व ५२ नोट बिलवासी ४१४ बौद्धधर्म ४५१ बीजबुद्धि ३४३ बौद्ध वणिक २८३ बुक्कण्णय (पांसे)३६० बौद्धसंघ २५ बुद्ध (चौबीस) ५ नोट, ११ नोट, २०४, ब्याज १६८ .. ३९१, नोट, ४३७ नोट, ४४६, ४५५, | ब्याज-बट्टा १६४ ४६९, ४७१, ४७६, ४८५, ४२२ नोट | ब्रह्मगुप्त ३०५ नोट बाहुयुद्ध ५, १०५ नोट

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