Book Title: Jain Agam Sahitya Me Bharatiya Samaj
Author(s): Jagdishchadnra Jain
Publisher: Chaukhambha Vidyabhavan
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जैन आगम साहित्य में भारतीय समाज धनदत्त २६८
धातुवाइय (कीमिया बनाने वाले) १४४ धनदेव (वणिक) १३२
धातुवाद ३४२ नोट धनदेव (सेठ)२६१
धान्य (सतरह) ४२ नोट, १२३, १२३ धनमित्र (वणिक) १०४
नोट धनवन्त १६३
धान्यों के प्रकार १२५, १२४ नोट धनवसु ( व्यापारी)१७३
धारणा (धरन)३३६ धनश्री २७०
धारणीय (कर्जदार) १६८ धनावह (सेठ) १५९
धारिणी (रानी) १०४, ५१६
धारिणी (श्रेणिक की रानी) २३९, ५०७ धनुग्राही ६३
धार्मिक कट्टरता का अभाव ४९१-९२ धनुर्ग्रह ४४१
धिक्कारनीति ४२ धनुर्मह ३१८ नोट
धिजाइ (ब्राह्मण ) २२४ धनुर्विद्या ३१८-१९
धूप १५४ धनुर्वेद (छटा वेद) ३१८, ३१९
धूपदान (धूपकडच्छु-धूपघटी) १५४ धनुर्वेदी ३१८
धूपपात्र ४३७ धनुष बाण ३१८
धूमपर्यायाम (धुएं से पकने वाले फल) धन्नउर (धन्यपुर) २३०
- १३० धन्य अनगार की तपस्या ३९१ | धूमिया (कुहासा) २८२ नोट धन्य (सार्थवाह) ७५, ७६, ७७, १५९, | धूर्तविद्या ७० नोट
१६०, २३४, २३५, ४४० | धूर्तशिरोमणि ( मूलदेव) ७० धन्य (चंपा का सार्थवाह ) १७३ | धूर्ताख्यान ७० नोट, २९९ धन्य (अन्यत्र धनदेव १३२) १७९
धूवघड़ी ३३२ धन्यक ३८२
धोबी (पिल्लेवणः रजक) १४१, १६४, धन्वन्तरी ३०८, ३०८ नोट, ३११ धन्वन्तरी (वैद्य)३११
धोबी (अठारह श्रेणियों में) १४१ धरण (यक्ष) ४४३
१६४, १६५ धरणिजढ (ब्राह्मण) २९२ ध्वजा १०८, १०८ नोट धरणेन्द्र ९, ४३७, ४७१
ध्वजाबद्ध (चोर) ७२ नोट धरसेन (आचार्य) ४७३ धर्मचक्र (तक्षशिला) ४७१, ४८३ नोट नंगल (हल) १२१, ४३३ धर्मचक्रवर्ती (ऋषभदेव )३ | नंद (नन्द नापितदास) ४९, ८५, ८६, धर्मचिंतक ४२५
२२६, ४०० नोट धर्मतीर्थकर ६, ११
नंदों का राज्य ५२१ धर्मदूत ३८३
नंद (यशोदा का पति) ५०३ धर्मसागर उपाध्याय २० नोट नंद (नन्द मनियार) ११२, १४४, २३० धर्माचार्य २३४
नंदन वन ३६९, ४३५ धर्मास्तिकाय की कल्पना ३७३ नंदा (सुनंदा= श्रेणिक की रानी) ५०७ धवल (हस्ती)९४, ९७
नंदा (आसन) २५६ धाइयां (दाइयाँ) १६२ नोट, २४३ । नंदा (पुष्करिणी) २७४

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