Book Title: Jain Agam Sahitya Me Bharatiya Samaj
Author(s): Jagdishchadnra Jain
Publisher: Chaukhambha Vidyabhavan

View full book text
Previous | Next

Page 589
________________ ५६८ जैन आगम साहित्य में भारतीय समाज कर (कूर = चावल) २८५, ४६९ । खण्डपाणा ७०, ७० नोट क्षणिकवाद ४२२ खण्डप्रपात (गुफा)९५, ४९७ क्षत्रिय ४९३ खत्तियकुण्डग्गाम (क्षत्रियकुण्डग्राम) क्षत्रियकुण्डग्राम (खत्तियकुण्डग्गाम= कुण्डग्राम बसुकंड) ९, १०, १०, खुपुट (आर्य) ३४० नोट, ४५७, ४७५, ४९५ खपुसा (ईरानियों का काफिस') २११,, क्षत्रियचरु ४९९ २१५ नोट क्षत्रियों का प्रभुत्व २२३, २२४, २२४ | खमण (निग्रंथ)३८१ नोट, २२९ खरक (मंत्री) ५२४ क्षपक (जैन साधु) २५२ खरपट (चोरशास्त्र का प्रणेता) ७१, क्षय ३१५ ७१ नोट क्षार (राख) ३९२ खरोष्ट्री (खरोट्ठी-खरोष्ठी लिपि) ३०१, क्षारभूमि १९४ ३०२, ३०२ नोट क्षितिप्रतिष्ठित (नगर) ५७, ९४, १७५, खलय (अनाज साफ करने का स्थान ) २६४, ४९४ १२३, ४१२ क्षिप्तचित्तता ३१७ खलुक ( अविनीत घोड़ा) १०१ नोट तीरगृह (खीरघर) १३४ | खलुक (गलिया बैल) २८८ क्षीरवन (अटवी) १३५ खाद्य पदार्थ १९३-७ क्षीराश्र(स्र)वलब्धि २३, ३४३ खान और खनिजविद्या १४१-२ तुद् हिमवंत ९४, ४५६, ४९७ खार (सजियाखार ) १४ तुल्लक ४१६ नोट खारवल ४६७ तुल्लक आचार्य ४०४ खिलौने १७८, ३५९-६० क्षेत्र (सात) ४५६ खीरदुम ( दूध के वृक्ष) १३६ क्षेमेन्द्र ७० नोट, ७९ नोट, २७४ नोट | खुल्लय (कपर्दक ) ३५१ क्षौम (छालटी) १२६ खेचर (विद्याधर )३४७ क्षौरकर्म ९० खेचरी (विद्या) ३५१ खेत-सेतु और केतु ११९-२० खेत ( दस प्रकार के परिग्रहों में ) ११९ खंजन (काजल)३५८ खेती (चार प्रकार की) १२२ नोट खंडगिरि ४६७ खेतीबारी ११९-२८ खंडशर्करा (खांडसिरी गुजराती में) खेती करने के उपाय ११९-२१ १२५ नोट खेतों का खनन करने वाले (चोर) ७२ खंडिय (विद्यार्थी) २२७, २८८ खेतों की फसल १२१-३ खंडोबा ४३२ नोट खेतों की रक्षा १२१ खउर (एक पात्र) २८९ खेतों की सिंचाई १२०, १३२ खच्चर १७७ खेल-खिलौने ३५९-६० खड्ग १०७ खेल-तमाशे ३६९ खड्डया (ठोकर)२८७ खोटे पासे ३६०

Loading...

Page Navigation
1 ... 587 588 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642