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जैन आगम साहित्य में भारतीय समाज कर (कूर = चावल) २८५, ४६९ । खण्डपाणा ७०, ७० नोट क्षणिकवाद ४२२
खण्डप्रपात (गुफा)९५, ४९७ क्षत्रिय ४९३
खत्तियकुण्डग्गाम (क्षत्रियकुण्डग्राम) क्षत्रियकुण्डग्राम (खत्तियकुण्डग्गाम=
कुण्डग्राम बसुकंड) ९, १०, १०, खुपुट (आर्य) ३४० नोट, ४५७, ४७५, ४९५
खपुसा (ईरानियों का काफिस') २११,, क्षत्रियचरु ४९९
२१५ नोट क्षत्रियों का प्रभुत्व २२३, २२४, २२४ | खमण (निग्रंथ)३८१ नोट, २२९
खरक (मंत्री) ५२४ क्षपक (जैन साधु) २५२
खरपट (चोरशास्त्र का प्रणेता) ७१, क्षय ३१५
७१ नोट क्षार (राख) ३९२
खरोष्ट्री (खरोट्ठी-खरोष्ठी लिपि) ३०१, क्षारभूमि १९४
३०२, ३०२ नोट क्षितिप्रतिष्ठित (नगर) ५७, ९४, १७५, खलय (अनाज साफ करने का स्थान ) २६४, ४९४
१२३, ४१२ क्षिप्तचित्तता ३१७
खलुक ( अविनीत घोड़ा) १०१ नोट तीरगृह (खीरघर) १३४ | खलुक (गलिया बैल) २८८ क्षीरवन (अटवी) १३५
खाद्य पदार्थ १९३-७ क्षीराश्र(स्र)वलब्धि २३, ३४३ खान और खनिजविद्या १४१-२ तुद् हिमवंत ९४, ४५६, ४९७ खार (सजियाखार ) १४ तुल्लक ४१६ नोट
खारवल ४६७ तुल्लक आचार्य ४०४
खिलौने १७८, ३५९-६० क्षेत्र (सात) ४५६
खीरदुम ( दूध के वृक्ष) १३६ क्षेमेन्द्र ७० नोट, ७९ नोट, २७४ नोट
| खुल्लय (कपर्दक ) ३५१ क्षौम (छालटी) १२६
खेचर (विद्याधर )३४७ क्षौरकर्म ९०
खेचरी (विद्या) ३५१ खेत-सेतु और केतु ११९-२०
खेत ( दस प्रकार के परिग्रहों में ) ११९ खंजन (काजल)३५८
खेती (चार प्रकार की) १२२ नोट खंडगिरि ४६७
खेतीबारी ११९-२८ खंडशर्करा (खांडसिरी गुजराती में)
खेती करने के उपाय ११९-२१ १२५ नोट
खेतों का खनन करने वाले (चोर) ७२ खंडिय (विद्यार्थी) २२७, २८८ खेतों की फसल १२१-३ खंडोबा ४३२ नोट
खेतों की रक्षा १२१ खउर (एक पात्र) २८९
खेतों की सिंचाई १२०, १३२ खच्चर १७७
खेल-खिलौने ३५९-६० खड्ग १०७
खेल-तमाशे ३६९ खड्डया (ठोकर)२८७
खोटे पासे ३६०