Book Title: Jain Agam Sahitya Me Bharatiya Samaj
Author(s): Jagdishchadnra Jain
Publisher: Chaukhambha Vidyabhavan

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Page 588
________________ शब्दानुक्रमणिका कैलाश (अष्टापद ) ४, २२४, ४३५, ४४५ | कोशाम्र ( अरण्य ) १३५, ५०४ कोंकण १७१ नोट, ४१०, ४८८ कोंकण के शेर १८० कोष्ठ (कोठा) ३३१ कोष्ठक चैत्य १४ कोंकण में फल फूल १३० कवीरग (जलयान ) १८२ कोलवेंटल ३४५ नोट कतग्राही ६३ ( बढ़ई ) १४८, १५९ कोटिकगण ३७ कोटिवर्ष ( बानगढ़ ) १७५, ४८६ कोट्टक (जंगली फल सुखाने का स्थान) १२९ को किरियामह ४४९-५० कोट्टपाल ६२ कोट्टार्या ४५० २९४, २९५ नोट asaरिसिया ( शाखा ) ४८६ कोडुंबिणी ( साथ जाने वाली ) २५७ कोत्तिय ( भूमिशायी ) ४१३ कोमलीया (कोमिल्ला ) ४६६ कोयव ( कोतव = कम्बल) २०८ कोलालिय (कुम्हार) २२२ कोलिय २६६ नोट कोट्टिमतल ३२८, ३३४ कागार ( कोठार) १२२ कोठारों के प्रकार १२३, १२३ नोट कोडिगार (कौड़ियों का काम करनेवाले) २२२ कोडिन ४१५ कोडिल्लय (चाणक्ककोडिल्ल = कौटिल्य) कौरव ९२ नोट कोष्टबुद्धि ३४२ कोस (स्थानविशेष ) २०७ नोट को संबिया ४७६ कोसलिय (ऋषभदेव ) ४६८ कौडिन्य ( आचार्य ) १९ कौंडिन्य ५०५, ५०६ कौंडिन्य ( की दण्डनीति ) ६४ कौंडिन्य ( कौण्डिन्य ) ( माठर ) २९४ नोट कोल्लासंन्निवेश १७ कोल्लक ( महाजन्त=कोल्हू ) १२४, १२५ कोशल ( कोसल ) १७, ५५ नोट, ९३ नोट, ९९, १२७, १५७२६२, ४६७, ५६७ कौटिल्य ४७, ५८ नोट, ६०, ६५ नोट, १०३, १७८, १९७, २७२, ३८२ नोट, ४४५ कौटुंबिक ( कौटुम्बिक ) ६२ कौटुंबिक पुरुष १६२-३ कौडियां (चढ़ाना ) ३६३ कौतुक (नौ) ३५०, ३५० नोट, ३५३ कौमारभृत्य ३०८ कौमुदी उत्सव ८७, २६४, ३२०, ३६१ कौरव (व्य ) (क्षत्रिय राजा ) २५, २२२ कौशलवासी ४६० कौशांबी (कौशाम्बी) ६, ११, २२, २४, ५६, ८३, ९३, ९३ नोट, ९९, १००, कौशांबी के उद्यान ४७६ कौशेय (वस्त्र) ५०५ कौस्तुभमणि ५०५ क्रमदीश्वर ३२ क्रयशक्ति १८९-९० ४६८, ४६९, ४८६ कोशलराज की पुत्री २४० नोट, ४४३, क्रियावादी ४२१, ४२१ नोट ४४८ क्रीडा - उद्यान ३६०-६१ क्रीडापनिका ( दासी ) २५९ कोशा (वेश्या) २७७ १०४, १५९, २२७, २५३, २६२, २९१, ३२०, ३६७, ३६८ ३७५ नोट, ४४१, ४५८, ४७५, ४७६, ४९२ नोट, ५१६

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