Book Title: Jain Agam Sahitya Me Bharatiya Samaj
Author(s): Jagdishchadnra Jain
Publisher: Chaukhambha Vidyabhavan

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Page 597
________________ जैन आगम साहित्य में भारतीय समाज ५७६ जिनापलापी ( गोशाल ) १४ जीर्णपुर ३१३ जीवंत स्वामीप्रतिमा ३३६, ४६६, ४८० जीवक कौमारभृत्य ३१३ नोट जीवयशा ५०२ जीवा (धनुष की डोरी ) ३१८ जूते १५१, २१५ जेमामण ( संस्कार ) २४३ जेल में दण्ड के विविध प्रकार ८९ जेलखाने ८८-९० जैकोबी (प्रोफेसर ) २५ जैन आगमों में भौगोलिक सामग्री जौनसारबावर २६९ ४५६-४९० जैन साधुओं के छींके १३७, २१६ जैन साधुओं को दण्ड ८८ ४६८, जैन साध्वियों के लिए चर्म का उपयोग जैन आगमों की अनुश्रुतियाँ ४९१ जैन आचार्यों की परम्परा २२-२४ जैनधर्म और गोशाल मत के सिद्धान्त १५-१६ जैनधर्म के अन्य केन्द्र ४८६ - ९० जैन भण्डार ३४ जैन श्रमण संघ (चार) ३ / ९-९० जैन श्रमण और संखडि ३६६ जैन श्रमणों का दर्शन ( अमंगल ) ३५८, ३६१ जैन श्रमणों का विहार क्षेत्र ४५४-५५, ४५७-५९ जैन श्रमणों की ऋद्धियां ३४२-४३ जैनसंघ १८, २०, २२, २९, ६८, ३८९ जैन साधु और उनके व २१२ - २१४ - तीन वस्त्र धारण करने की अनुज्ञा २१२ - किनार वाले बस्त्र २१३ - वस्त्रों के विभाग की विधि २१३ जैन साधु और मंत्रविद्या ३३९-४० जैन १५१ जैन साध्वियों के वस्त्र २१३-१४ जूवग ३५७ जोइ (योगी) ४१७ जोइस (ज्योतिष) २९४, ३०७ जोणक (ग्लेच्छ ) ९४, ४९७ पाहुड (योनिपाहुड ) ३०६, ३४० जोणिय (जोनव= यवन=यव= यवनद्वीप) १६१, १७५, १७५ नोट ज्येष्ठा ( चेटक की कन्या) २४, ५१३ ज्योतिषविद्या ३१, २२८, ३०५ - ३०७ ज्योतिष्करंडक ३० ज्वलनप्रभ ( नागराज ) ४३६, ४९८ ज्ञातृ (क्षत्रिय राजा २५, २२२ ज्ञातृकुल ९ ज्ञातृखण्ड ( उद्यान) ११, ३६६, ७, ४७५ ज्ञातृधर्मकथा ५०, १९७, १९८, ३८७, ४४९, ५०७ ज्ञातृपुत्र ( महावीर ) ९, १५, १४१, ४९५ ट टंकण ( टक्क= टंक म्लेच्छ ) १७३, १७४, ४८० टक्क (टंकण ) 'टिट्टि टिट्टि' ( खेतों की रक्षा के लिए ) १२१ टीका ( टिक्किद ) १४३ नोट टीका - साहित्य ३७ टैक्क की वसूली १११, ११३ 5 साधु और मांसभक्षण २०३-४ जैन साधुओं का ग्रहण २१ जैन साधुओं के उपकरण १४५ ( अनिपात्र ) ४१४ नोट जैन साधुओं के उपयोग में आने वाले | ठाणी ( घोड़ी ) १०१ नोट विडिय ( स्थितिपतिता ) २४२ जूते २१५

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