Book Title: Jain Agam Sahitya Me Bharatiya Samaj
Author(s): Jagdishchadnra Jain
Publisher: Chaukhambha Vidyabhavan
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जैन आगम साहित्य में भारतीय समाज
कूर ( क्रूर )
कूर्चक ४२७, ४२७ नोट कूर्चन्धर ( कुच्चंधर ) कूर्मग्राम (कुम्मग्गाम)
कुम्मापुत्त २२८
कुम्हार (कुम्भकार ) १४६, १७०, २२२ कुरु ( थानेश्वर । ९३ नोट, २६२, ४६९,
४९४
कुरुकुचा ३५१
कुरुक्षेत्र ४२९ नोट
कुरुवंश ४९९
कुल (पितृ पक्ष की प्रधानता ) २२१ नोट कृतकरण ( धनुर्विद्या में निष्णात ) ३१९
कुलकर (पन्द्रह ) ३, ४२
कृतपुण्य २७०, २७१, ५१२
कुलदेवता ३४१, ३५१
कूलधमक ४१३
कूलवालय (ऋषि) १०७, ४०७ कूष्मांडिनी ४५०
कूटागारशाला ५७, ७८, ३३५, ३६२ कूडतुल्ल ( कम-ज्यादा तोलना ) १९२ कूडलेहकरण ( कूटलेख=झूठे दस्तावेज )
६९, १९०, ३०१
कुलपुत्र ६७
कुलिय (हल ) १२१, १२१ नोट कुलहा (पहाड़ी ) ४७७ कुविंद (वस्त्रकार ) १४० कुशला ( विनीता ) ४६८ ४८४ कुशस्थली (द्वारका) ४७२ कुशाग्रपुर ५०६
कुशार्त (दो ) ४६९, ४७० कुशीनारा (कुसीनारा) ४६२, ४६८ कुशील साधु ३५१ नोट, ४२७ कुष्ठ (अठारह ) ३०९, ३०९ नोट, ३१३ कुसुमपुर (पाटलिपुत्र ) १८९, ४८७ कुहेड (विद्या) ३४६
कूट ( सुगंधित द्रव्य ) १५३, १५३ नोट केतु १२० कूटग्राह (चोर) १३३ कूटनीति १०६
कूडसक्ख (झूठी गवाही ) ६९ कूडागारसाला ( कूटागारशाला ) कूणिक ( अजातशत्रु = अशोकचन्द्र = वज्जि विदेहपुत्त = विदेहपुत्त ) २४, ४३, ४६, ४६ नोट, ९४, ९८, १०५, १०६, १०७, १०८, २४१, ३८०, ४६४, ४६७, ५०८- ५१२, ५१३, ५१४ -कूप-मण्डूक ५२, २६३
कृपण ४२४
कृपण वणिक् १७५
कृषिपाराशर ( किसिपारासर ) १२१,
२२९
कृष्णचित्र (काष्ठ) १४८
कृष्ण वासुदेव ५, ५३, ९२ नोट, ९६ नोट, ९९, १०८, १०९, १७७, २५८, २५९, २६१, २६३, २७८, २९०, ३११, ३१९, ३५३, ३८६, ३८७, ४४०, ४७०, ४७२, ४९५, ५०० - ५०६
कृष्ण की संतान ५०१-२ कृष्ण की महिषियां ५०३ केक (जनपद) ४८६ केतन ( मूठ ) ३८९
केदार ४६८
has (तर) १८८, १८९ नोट केवलज्ञान ४, ६, ११, १८, १२१, ४९४,
४९६
'केवलिगम्य' ३५
केशकर्तन २१६ - २१७
केशलोच ३९२
केशव २६१
केशी ( उद्रायण का भानजा ) ४५, ५१४
केशी २८२, २८२ नोट
केशी ( कुमारश्रमण ) केसरिया ४१८ कैटभनाशिनी ४४९ नोट कैदियों को जेल से छोड़ना ९१

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