Book Title: Jain Agam Sahitya Me Bharatiya Samaj
Author(s): Jagdishchadnra Jain
Publisher: Chaukhambha Vidyabhavan

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Page 591
________________ ५७०. जैन आगम साहित्य में भारतीय समाज गर्भावस्था में प्रव्रज्या ३८५ गुटिका ७४ नोट, ९३ नोट, ३४४, ३४४ गलंतकोढ ३१३ गल (बडिश-मछली पकड़ने का कांटा) | गुणचन्द्र (राजा) ५८ १३९ गुणचन्द्र (राजा)५६ गलगंड ३१२, ३४१ गुणशिल (गुणसिलय) ३८८, ४४६, गलिगदह (कुत्सित गर्दभ ) २८८ गलिया (अश्व) गुणावा ४६२ गांगेय २५८ गुप्तकाल ४५१ गांधारी (कृष्ण की रानी) ५०३ गुप्तचर (सूचक, अनुसूचक, प्रतिसूचक, गांधारी (विद्या) ३४६, ३४७ सर्वसूचक) ६१, १०७, १०७ नोट, गांव-शासन की इकाई ११५ ३९८ गांव का प्रधान (भोजिक) ११६ गुप्तचरों की नियुक्ति ६१ नोट गांव की सीमाएँ ११५ गुप्त लिपि ३०१ गांवों के प्रकार ११५ गुर्विणी को प्रव्रज्या का निषेध ३८४ गांवों में एक ही जाति अथवा पेशे गुललावणिया (गोलपापड़ी) १९४ के लोग ११५-६ गुल्म १३६ गाड़ी के मुख्य हिस्से १८०, १८१ ।। गुह्यक ३५७, ४३५, ४४५ नोट गाथासप्तशती ५२५ गुह्यशाला १८६ गामउड (गांव का मुखिया) १६२ गूगल ४३५ गाय का मूल्य १८९ गृध्रस्पृष्ट (मरण) १५०, ३७० गायें (मरखनी) ४६६ गृहकोकिल (छिपकिली) १३९, ३०९ गायों का दोहन १३३ नोट गायों की बीमारी १३१ गृहद्वार ३३१ गारुडिक २३०, ४४८ गृहनिर्माण विद्या १४८-१४९ गिरनार (रैवतक)५, २५१, ४७७ गृहपति २२३, २२९, २२९ नोट गिरनार-शिलालेख ४७२ गृहपतिरत्न २३० गिरिपक्खंदोलय ३७५ गृहमुख ३३१ गिरियज्ञ ३६५, ४८८, ४८९ 'गृहस्थप्रव्रजित' १० नोट गिरिव्रज (राजगृह) ४६१ गेय (चार ) ३२२ गिल्ली (अंबारी) १००, १८२, १८२ नोट गेय, नाट्य और अभिनय ३२२-२३ गिहिधम्म ४२५ गेरुअ (गैरिक परिव्राजक) १६, ३८१, गिहेलुय (देहली) ३३२ नोट ४१५-४१९ गीतपद २९९ गैरिक (श्रमण) १६ गीयरइपिय ४२५ गोकिलंज (फॅड ) १२३ गुंडपुरुष २७९-८० गोकुल ( पशुओं का समूह) १३१ गुंडों की टोली ४४२ गोहिल्ल २७९ गुच्छ १३६ | गोट्ठी (गोष्ठी) २७९, ३५९, ३६४ गुटिका (गुलिया) १९६, १९६ नोट गोणिकसुत (मूलदेव) ७०

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