Book Title: Jain Agam Sahitya Me Bharatiya Samaj
Author(s): Jagdishchadnra Jain
Publisher: Chaukhambha Vidyabhavan

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Page 576
________________ शब्दानुक्रमणिका अन्ययूथिक ४१९ अराजकता ४२ नोट, ४३ अपगतगंधा २६४, ५०७ अरिष्टनगर ९२ नोट, २६१ अपद्वार (गुप्तद्वार) ३३५ अरिष्टनेमि (नेमिनाथ)५, १०९, २०१, अपभ्रंश ३०५ २५१, २५७, ३८३, ४०६, ४७३, अपराजित (श्रुतकेवली) २० ४७८, ४९५, ५०१, ५०१ नोट, अपराध और दण्ड ७०-९१ ५०३, ५०४ अपवाद मार्ग ४१०-११ अरुणोपपात २४९ अपार्ध क्षेत्र ३५६ अर्गल(ला) (मूसला) ३८९, ४६५ अबद्धवाद १९ अर्जुन (पांडुपुत्र) ९२ नोट, २६१ अब्बुय ( अर्बुद = आबू ) ४७७ अर्जुनक (मालाकार) १५२, ४४२ अभग्गसेग ( चोर) ७७.७७ नोट अर्जुनगोयमपुत्त ४१९ । अभयदेवसूरि ३१, ३३, ३४ नोट, ३७, अर्थदण्ड (जुर्माना)८४ ९२ नोट २७२, ३०४, ४४५, ४८२ ।। | अर्थशास्त्र ४१, ६०. १०४, ११९ २७२, अभयराजकुमार (अभयकुमार ) १०, २९५ नोट, ४४५, ४६० २५, ५१, ५६, ५९, १०६, २४०, २५२, | अर्थशास्त्र (जैन साधुओं को पढ़ने का २६२, २६४, ३४६, ३५२, ३८६, निषेध) २९५ नोट ४९२ नोट, ५०७, ५०७ नोट, ५०८, अर्थशास्त्र (प्राकृत में ) २९५ नोट ५१२, ५२०, ५२६ अर्धचन्द्र ९९ अभिजाति (लेश्या) १६ अर्धचन्द्र ३३२, ३३४ अभिनय (चार) ३२३, ३२३ नोट अर्धफालक २१ अभिनयशून्य (नाटक) ३२३ अर्धभरत ९४ अभिमर (साहसी लोग) ३१९ अर्धमागधी १२, २५, ३१, ३२,(प्राचीन अभियोग ३४४ प्राकृत)३६,३०३-५, ४६० अभिषेक-राजधानी (दस).५० अर्बुदाचल (आबू) ३६५, ४७७ अभीतिकुमार ५१३, ५१४ अर्हत्प्रतिमा ३३६ अमम (तीर्थंकर) ५०४ अर्हन्त ४१९ अमाघात ५२३ अर्हन्नग (पोतवणिक) १७१, १८४,३५५ अमात्य ५९ अलंकार (ग्यारह) ३२० अमोघदर्शी ( यक्ष) ४४३ अलंकारशास्त्र २१७ नोट अम्बारी (गिल्ली) १०० अलंकारिकसभा ('सैलून' ) ९०, २१७ अम्मड (परिव्राजक) ४१८,४१९,४२८ | अलका ४३५ अयोध्या ४, ११, (विनीता) ९५, | अलकानलिनी ४३५ (इक्ष्वाकुभूमि) ४, ४१, ४३६, अलसंड(द) (एलेक्जेिण्ड्यिा ) ९४, ४६९, ४९६ १८३, ४६४, ४९६ अयोध्या के नाम ४६९ अलित्त (नाव का डांड)१८५, १८५ नोट अरब१६१, १७५ अलिन्द (कोठार) १२३ अरमईक (लिपि)३०२ अवंति (अवन्ति) ४८० अरहमित्त (श्रावक)२०२ . | अवएज (एक पात्र) २५६

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