Book Title: Jain Agam Sahitya Me Bharatiya Samaj
Author(s): Jagdishchadnra Jain
Publisher: Chaukhambha Vidyabhavan
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जैन आगम साहित्य में भारतीय समाज
उद
उडुप ( घिरनई ) १८३
सवदत्ता ५१८-१९, उडुंडक (ग) ४१३, ४१३ नोट, ४२६ ५१९ नोट उण्णामिणी (उन्नामिनी)३४५ उदायी (हाथी) ९९ उत्कल (उडीसा)४६६
उदायी (कूणिक का पुत्र) ५१० नोट, उत्कालिक २६ नोट, २८ नोट उत्तम हाथी ९
उदूखल (ओखली) १२३, ४१२ उत्तरंग ३३१, ३३६ उत्तरकंचुक १०२
उद्धात (काली भूमि) १२०
उद्दक रामपुत्त ४२८ नोट उत्तरकूलग ४१३ उत्तरकोसल (कुणाल ) २२, ४८४
उद्दवण (अपद्रावण) ३४२
उद्दिष्टभोजनत्याग १६ उत्तरप्रदेश २६७, २६८ उत्तरवाचाल ४१२ ..
उद्धि १८० उत्तराधिकार का प्रश्न ४७-४९
उद्यान १२८, ३६० उत्तराध्ययन २८ नोट, ३४, ७१, १३४,
उद्यान ( यक्षाधिष्ठित ) ४४६
उद्यान ( राजाओं के ) ३६० २०१, २२७,३०७, ३८८ उत्तराध्ययनटीका (पाइयटीका )३७
उद्यान-कला (बागवानी) १२८-१३१ उत्तराध्ययनटीका ४६, १३१, १६१,
उद्यानों के नाम १२९, ४४६ १७८, २३२, २९४
उद्यापनिका ४३९ उत्तरापथ ११५, १२०, १२७, १७३, | उद्रायण ( उदायन)२४, ४३, ४५, ९३ १७६, १७७, १८९, २६१, २६५,
नोट, १५९, २५४, ३२०, ३४४ नोट, ४०७, ४८३
४९१, ५५३, ५२० उत्तरासंग ३८० उत्तरीय ( वस्त्र)२१२
उद्रायण और प्रद्योत ५१५ उत्तिग (नाव का छिद्र) १८५
उधार १९०
उपको शा (वेश्या) २७७ उत्पादक ११९
उपदेशपद ७० नोट उत्पादन ११९-१६६ उत्पादन के मुख्य कारण ११९
उपधान (तकिये) ३३४, ३३७ नोट
उपनयन (संस्कार )२४३ उत्पादनकर्ता १४०-१५५
उपभोग १९३-२१८ उत्सर्पिणी ३, ४९२, ५०४
उपमितिभवप्रपंचाकथा ४७७ उत्सव ३५९ उत्सव (पांच)३५९ नोट
उपशम ४११ उदंबर फल (पांच) ४२०, ४२० नोट
उपसर्गहरस्तोत्र ३४० उदकपेढाल पुत्र (मेदार्यगोत्रीय)८
उपस्थानशाला २९३, ३३५ उदकबस्ति ( दकवस्ति) ७६
उपांग ( बारह) २६-२७, २६ नोट उदकशाला ४६३
उपांग (छह) २९४ उदयगिरि ४६७
उपालि १० उदयन २४, ५६, ८३, ९९, ५००, २६२,
उपाश्रय ६८, ७९, ३७२, ४३४
उपाश्रयजन्य संकट ४०१-२ ३२०, ३७५ नोट, ४७५, ४७६, ४९२ नोट, ५१६, ५१६ नोट
उपासकदशा ५७, ४६४

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