Book Title: Jain Agam Sahitya Me Bharatiya Samaj
Author(s): Jagdishchadnra Jain
Publisher: Chaukhambha Vidyabhavan
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परिशिष्ट ३ ..
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५३३
जल्ल =( जाळ मराठी)=शरीर डगण = एक यान ३१७१ (६०)
का मैल ५३४ (नि०) डगरा = पादमूलिका ४८५३ ।। जाउ (जायु) = यवागू ६२५ (पिं०)
(नि० च०) जाउग (जाऊ मराठी) = ज्येष्ठ या | डगल (डगलक) = टट्टी पोंछने
देवर की पत्नी १७२५ (७०) के पत्थर के ढेले ४४१ (६०) जावसिआघासवाहक २३८ (पिं०) डब्बहत्थ = बायां हाथ (डावू जिम्हं = लज्जनीय-मायावी २७०६ गुजराती में ) ५५२५ (६०)
(बृ०) | डाग-पत्तों की भाजी ८०८ (नि०) जियगद्दत्तणं - जिसने लज्जा को डायाल = प्रासाद की भूमि ६३१ जीत लिया है २३३८ (६०)
(नि०) जुगं = जूआ ६०४ (नि०) डिडिम = गर्भ ४१४३ (६०) जुन्न = जीर्ण (गुजराती में जूना ) |
डिंडीबंध = गर्भसंभव ४११६ (बृ०)
१४५६ (७०) डिंभ = बालक ३३३७ (६०) जूव (यूपक) = बेटक नाम का | | डुंब-हाथी का महावत ३८७ (पिं०)
जल-मध्यवर्ती तट २४१३ (६०) डेविति = उपभोग करते हैं २४५५ जोइक्ख = दीपक ७. ३५६ (व्य०)
(बृ०) जोवण = धान्यमर्दन ६० डोय-लकड़ी का हाथा (गुजराती
(पिं० भाष्य) में डोयो ) २५० (पिं०) जोवणं = रथकार आदि२५६० (६०) डोल (टोळ मराठी) = तिडुक =
टिड्ढा २३७६ (६०) झंझडिया = ऋण न चुकाने पर वणिकों में गाली-गलौज द्वारा | ढक्कण = ढक्कन २६४२ (६०) कलह होना ३७०४ (नि०) ढक्कंति = ढंकते हैं १३६२ (६०) झडढरविडढर = मंत्र-तंत्रआदि का ढिंकुण = खटमल ( ढेकूण मराठी प्रयोग ३. २३२ ( व्य०)
में) ५३७६ (बृ०) झिझिरि = वृक्ष विशेष ८५० (६०)
णंतग = वख २२८० (६०) डंडअ = डंडा ३२१४ (बृ.)
णत्तू = नाती ५२५१ (६०) डंडणया = दण्ड ३५६ (६०)
णहसिह = नखाग्र १५१४ (नि०) डउर (डओयर) = जलोदर ४२५८ णहोरग = निहोरकं ४४८२ (६०)
. (६०) णिण्ण = खड्डा ४७३६ (नि०) डक्क = डंक मारा हुआ ६५४ (६०)| णिसेणी = नसैनी ४४५३ (नि०)

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