Book Title: Jain Agam Sahitya Me Bharatiya Samaj
Author(s): Jagdishchadnra Jain
Publisher: Chaukhambha Vidyabhavan
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५३४ जैन आगम साहित्य में भारतीय समाज व्हाण = स्नान (हाण पश्चिमी | उत्तरप्रदेश की बोली में ) १२५१ / दंडपरिहार = बड़ी पुरानी कंबली
२६७७ (६०)
दंतखज = दांतों से खाने योग्य तक - उदासी - छास (खानदेश तिल आदि ३३६४ (६०) में बोली जाने वाली आभीरों | दंतवण ( दांतवण मराठी) = की भाषा में)=मट्ठा ( ताक दातौन १५२० ( निच०) मराठी में) १७०६ (६०) दतिक्क = दांत से तोड़कर खाये तण्णग = बछड़ा २११६ (६०) . जाने वाले मोदक आदि, अथवा तलिया गमणी-जूता २५४ (नि०) चावल का आटा ३०७२ (६०) तितिणी = बड़बड़ाना ३.८५ (व्य०) दहर = जीना ( दादर मराठी और तुंड = मुंह (तोंड मराठी में) ३४६ | गुजराती में ) ३६४ (पिं०)
(बृ०) दद्दरय = तेल के बर्तन वगैरह पर तंडिय = थिग्गल = थेगला १.४१ | बांधा जाने वाला वस्त्र १६५८
(नि० सू०) तुप्प (तुप्प कन्नड़) = मृत कलेवर दवदवस्स ( दबदब मराठी) -
की चर्बी २०१ (नि०) . शीघ्र २२८१ (बृ.) तुमंतुमा = तू-तू १५०६ (बृ.) व्वी = छोटी कडछी (डोई) २५० तूरपइ = नटों का मुखिया ६४१ ।।
(पिं०) (बृ.) दसा (दशी छोटा धागा मराठी तूह = तीर्थ ४८६० (बृ०) में ) = किनारी ३६०५ (६०)
दाढिया = डाढ़ी १५१४ (नि००) थली = घोड़े आदि का स्थान
दाली = रेखा ३२३ ( ओ०)
दावर = दूसरा १००४ ( बृ०) ७. २३७ (व्य०) थाइणि = घोड़ी (ठाणी मराठी में)
दीहसुत्तं करेइ = कातता है ५. २४ ३६५६ (६०)
(नि० सू०) थालिय = थाली ३१८७ (नि००) दुखुर = दो खुर वाले गाय, भैंस थिग्गल = जोड़ (थेगला हिन्दी)
आदि जानवर २१६८ (बृ.) ८. १५७ (व्य०)
दुग्घास = दुर्भिक्ष ४३४६ (बृ.) थिबुक = बिन्दु ३०२ (नि० चू०) दुचक्कमूल = दो चक्के वाली गाड़ी थुर = स्थूल ( थोर मराठी में)
४६७ (६०) * १६६६ (बृ०) दुवक्खरय = दो अक्षर वाला-दास थेजवई = पृथ्वी १८० ( बृ०) ।
४४३० (६०)

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