________________
४३६
जैन आगम साहित्य में भारतीय समाज
[ पांचवां खण्ड
अधस्तल में निवास करते हैं, जहाँ शेषनाग अपने सहस्र फण से पृथ्वी का भार सम्भाले हुए हैं।'
जैन परम्परा के अनुसार राजा भगीरथ के समय से नागबलि का प्रचार हुआ | अयोध्या के राजा सगर चक्रवर्ती के ६० हजार पुत्र थे, जिनमें जण्डुकुमार सबसे बड़ा था । एक बार जण्हुकुमार अपने भाईबंधुओं के साथ अष्टापद पर्वत पर जिनचैत्यों को वन्दना के लिए गया । वहां चैत्यों की रक्षा के लिए उसने पर्वत के चारों ओर एक खाई खोदना आरम्भ किया । खोदते खोदते दण्डरत्न नाग-भवनों में जा लगा जिससे नागभवन टूट-फूट गये । यह देखकर नागकुमार नागराज ज्वलनप्रभ के पास पहुँचे । नागराज क्रुद्ध होकर सगरपुत्रों के पास आया, और कहने लगा कि तुम लोगों ने नागलोक में जो उपद्रव किया है वह तुम्हारे सबके वध का कारण होगा। जण्हुकुमार ने नागराज से क्षमा मांग कर उसे शान्त किया। जण्हुकुमार ने अब दण्डरत्न से गंगा को भेदकर उस खाई को भरना चाहा, लेकिन यह जल नागभवनों में भर गया। नागराज क्रोध से आग-बबूला हो गया | अब की बार उसने सगरपुत्रों के वध करने के लिए नयनविष महासर्प भेजे जिन्हें देखते ही सगर के पुत्र भस्म हो गये । तत्पश्चात् सगर ने जहुकुमार के पुत्र भगीरथ को नागराज की आज्ञा से गंगा को समुद्र मैं ले जाकर डालने का आदेश दिया । नागकुमारों को पूजा द्वारा यह कार्य सम्पन्न किया गया । इसी समय से नागबलि का प्रचार हुआ ।" नागयज्ञ का उल्लेख मिलता है । साकेत नगरों के उत्तर-पूर्व में
के ०
अतुल सुर, कलकत्ता रिव्यू, नवम्बर दिसम्बर, १६३२, १० २९९; डाक्टर . फोगेल, इंडियन सर्पेण्ट लोर, पृ० १ आदि। यहां नागपूजा के विविध सिद्धान्तों का उल्लेख है ।
१. हॉपकिन्स, वही, पृ० २३-२९ ।
२. तुलना कीजिये जातक २५६, ३, पृ० २४ |
३. महाभारत में नाग तक्षक का उल्लेख है जिसने अपने विष के द्वारा - वट वृक्ष को और राजा परीक्षित के भवन को जलाकर भस्म कर डाला । नागकालिय की विषाग्नि के धुए ं से यमुना नदी के प्रवाह के आच्छादित होने का उल्लेख मिलता है, डाक्टर फोगेल, वही, पृ० १५ ।
४. उत्तराध्ययनटीका १८, पृ० २३४- अ आदि ।
५. मथुरा नागपूजा का महत्वपूर्ण केन्द्र था; यहां अनेक नागप्रतिमाए मिली हैं । काश्मीर में वितस्ता नदी को बाग तक्षक का गृह माना जाता है,
1