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हिन्दी जैन साहित्य का बृहद् इतिहास संगठन किया। सन् १८०९ में अंग्रेजों ने रणजीत सिंह को सतलज पार करने से मना किया और सतलत से पूरब के राज्यों को अपने संरक्षण में ले लिया। रणजीतसिंह की मुत्यु के पश्चात् आंतरिक संघर्ष शुरू हो गया और अंग्रेजों को वहाँ घुसने का सुअवसर मिल गया। उन लोगों ने वह राज्य जीत कर अंग्रेजी राज में मिला लिया। यूरोपीय व्यापारिक कम्पनियाँ
सन् १४९८ में पुर्तगाल का निवासी वास्को डी गामा भारत आया। इससे पूर्व १४९४ में स्पेन निवासी भारत को खोजता अमेरिका पहुँचा गया था। अमेरिका और भारत पहुँचने के मार्ग की खोज यूरोपीय लोगों के लिए तो महत्त्वपूर्ण घटना थी ही मानव जाति के इतिहास की भी महत्त्वपूर्ण घटना थी। इसके फलस्वरूप औद्योगिक क्रांति में बड़ी सहायता हुई और १७वीं १८वीं शताब्दी के विश्व व्यापार में अभूतपूर्व वृद्धि हुई। अफ्रीका से सोना चॉदी और गुलामों का तथा अमेरिका से बहुमूल्य खनिजों और भारत से मसाले, रूई आदि का व्यापार करके यूरोप के अनेक देश समृद्धिशाली हो गये। पुर्तगाली कम्पनी
__ भारत और पूर्वी देशों से व्यापार करने पहले पुर्तगाली आयें। इनके पास कुशल नौसेना थी। १५१० ई० में एलबुकर्क ने गोवा पर कब्जा किया और फारस की खाड़ी के देशों से लेकर इण्डोनेशिया जावा-सुमात्रा तक व्यापारिक एकाधिकार कायम किया। ब्रिटिश इतिहासकार जेम्स मिल ने लिखा है। 'पुर्तगालियों ने सौदागारी को मुख्य पेशा बनाया और लूटपाट करने से भी नहीं चूकते थे।' सन् १६३१ में मुगल सत्ता से इनका टकराव हुआ तब हुगली स्थित बस्ती से इन्हें बाहर निकाल दिया गया। १५८० में पुर्त्तकाल पर स्पेन का अधिकार हो गया। १५८८ में अंग्रेजों ने आर्मडा नामक स्पेनी जहाजी बेड़े को तहस नहस करके स्पेन और पुर्तगाल की फौजी शक्ति को खत्म कर दिया। डच कम्पनी
१५९५ में चार डच जहाज भारत आये और १६०२ में डच ईस्ट इण्डिया कम्पनी की स्थापना हुई। इस कम्पनी को डच संसद ने युद्ध और संधि करने, प्रदेशों को जीतने तथा किले बनाने आदि का अधिकार भी व्यापार करने के साथ दिया था। इन्होंने सूरत, भड़ौच, अहमदाबाद, कोचीन, नागपत्तन, मछलीपत्तन, चिन्सुरा, पटना
और आगरा में अपने व्यापारिक गोदाम बनाये। ये भारत से नील, कच्चा रेशम, सूती कपडा, शोडा और अफीम का निर्यात करते थे। भरतीयों से इनका सलूक अच्छा नहीं था। ईस्ट इण्डिया कम्पनी को ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने भारत से भगा कर अपना कब्जा जमाया।
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