Book Title: Hastlikhit Granthsuchi Part 3
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Stambhan Parshwanath Jain Trith Anand
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विद्वान उपरथी कृति माहिती
कर्मकुलक\ प्रा.\ गा.२२ ( पाकाहेम१०६१० ) कर्मग्रन्थ-(मा.गु.)बालावबोध \ मागु. ( पाकाहेम १०१४३) कर्मग्रन्थषट्क-(सं.)अवचूरि सं. (पाकाहेम१०५९०, भांका १०१ ) कर्मप्रकृतिद्वात्रिंशिका\ प्रा. गा.२९ (पाकाहेम१०९८९) कर्मप्रकृतिविषयक पाठ \ प्रा. (पातासंघवीजीर्ण८८) कर्मप्रकृतिविषयक पाठ - (सं.) टीका सं. (पातासंघवीजीर्ण८८)
कर्मप्रकृतित्रोटन \ सं. (भांका२९३)
कर्मबन्धगाथा\ प्रा. (पातासंघवी १६५)
कर्मविपाककुलक\ प्रा.\ गा.२२ \ तियलुक्किक्कमल (पातासंघवी६२-२, पाताहेसं१६८, पाकाहेम२५९६) कर्मविपाक प्राचीन प्रथम कर्मग्रन्थ - ( सं . ) टीका \ सं. रागादिवर्गहन्ता (पातासंघवी १०२ -२, अताका५०१)
कर्मविपाक प्राचीन प्रथम कर्मग्रन्थ - ( सं . ) अवचूरी \ सं. (भांका२३६)
कर्मविपाक नव्य प्रथम कर्मग्रन्थ - (सं.) अवचूरि\ सं.\ श्रियाष्टाप्रात (पाकाहेम६९७३, भांका१७४)
कर्मविपाक नव्य प्रथम कर्मग्रन्थ - (सं.) अवचूरि \ सं. सिरि० कर्मणं वि ( भांका२०६)
कर्मस्तव प्राचीन द्वितीय कर्मग्रन्थ * \ प्रा. गा.५८ \ नमिऊण जिणवरिन्द (जेताजि१५०, जेताजि१६०, जेताजि४१५, पाताखेत११, पाताखेत२३, पाताखेत३६, पाताखेत४२, पाताखेत५०, पाताखेत५१, पातासंघवीजीर्ण४५, पातासंघवीजीर्ण४६, पातासंघवीजीर्ण७३, पातासंघवीजीर्ण९०, पातासंघवीजीर्ण९१, पातासंघवी १७४, पातासंघवी६१-२, पातासंघवी१२७-१, पातासंघवी १३०-१, पातासंघवी १४५-२, पातासंघवी१७२-१, पातासंघवी१९३-१, पाताहेसं९३, पाताहेसं९४, पाताहेसं११०, पाताहेसं११२, पाताहेसं११४, खंता९९, खंता १०२, खंता१०५, खंता११५, खंता११७, खंता१२०, खंता१२९, खंता२८३)
कर्मस्तव प्राचीन द्वितीय कर्मग्रन्थ - (प्रा.) भाष्य - २ \ प्रा. गा. ३३ \ बन्धेविसुत्तरसय (पातासंघवीजीर्ण४६, पाताहेसं११०) कर्मस्तव प्राचीन द्वितीय कर्मग्रन्थ - (प्रा.) भाष्य प्रा. गा. २५ \ अहिणवगहणं बन्धो ( पाताखेत४२, पातासंघवी१५६-१, पाताहेसं११२)
कर्मस्तव प्राचीन द्वितीय कर्मग्रन्थ - (प्रा.) भाष्य प्रथम प्रा . बन्धेविसोत्तरसय (पातासंघवीजीर्ण ७३)
कर्मस्तव नव्य द्वितीय कर्मग्रन्थ - (सं.) अवचूरि सं.\ तथा तेन प्रकारे (भांका१७४)
कर्मस्तव नव्य द्वितीय कर्मग्रन्थ - ( सं . ) अवचूरि सं.\ तह० मिथ्यात्वाद (पाकाहेम६९७३, भांका२०६) कर्मोपदेश\ प्रा.\ गा.२५) सुणेह भो भव्वजण (भांता६९)
कलश\ मागु.\ गा.१३\ भुवणमण्डणु भुवण (पाकाहेम९०२)
कलशस्नानगाथा\ प्रा.\ गा. ५+6 \ जम्ममज्जणि जिणह (पाकाहेम१०२३)
कलावती कथा\ प्रा.\ अस्थि कलाविकुलड (पातासंघवी १४७-२)
कलिकुण्डपार्श्वनाथमन्त्र \ सं. (पाकाहेम १२१२४)
कलिङ्गसेनाकथा शीलविषये सं. (पाकाहेम १७७६)
कल्पसूत्र-(प्रा.)चूर्णी\ प्रा.\ ग्रं . ७०० \ सम्बन्धो सत्तमा (जेताजि४०, जेताजि४३, जेताजि४५, जेताजि८२, जेतालौ३,
पाताखेत९-१, पातासंघवी९९, पाताहेसं७५, पाताहेसं १८३, खंता४५, खंता ४८, खंता ४९ )
कल्पसूत्र - (मा.गु.) सङ्क्षेपसार मागु. (पाकाहेम६७६४)
कल्पसूत्र-(सं.)टिप्पणी\ सं. (पातासंघवीजीर्ण९३, पाताहेसं१६४, पाताहेसं१६५, पाताहेसं१६६, वताकांति४१३,
पाकाहेम१०१२०)
कल्पसूत्र - (प्रा.सं.) अन्तर्वाच्य प्रा. सं. (पाकाहेम७८९, पाकाहेम१०२७७, पाकाहेम१०४७९, पाकाहेम १०५५२) कल्पसूत्र-(सं.)अन्तर्वाच्य ना ( मा.गु.) बालावबोध \ मागु. (पाकाहेम१०२७६)
कल्पसूत्र - (प्रा.) निर्युक्तिनी (सं.) चूर्णि सं. पज्जोसवणा एतेसि (पातासंघवीजीर्ण९४)
कल्याणक\ प्रा.\ गा.२० (पातासंघवीजीर्ण८६-२)
कल्याणकस्तोत्र \ सं. गा. ३२ ( पातासंघवी२०६-२)
कल्याणकस्तुति\ सं.\ का.७ \ श्रीमल्लिजन्मव् (पाकाहेम१२३८५) कल्याणमन्दिरस्तोत्र - ( सं .) अवचूरि सं. (पाकाहेम१०३९३) कवचद्वार) प्रा. गा.२९ (पाकाहेम६५६९, भांका२१६) कविरहस्य-(सं.)अवचूरि\ सं. (पाकाहेम८६८०)
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