Book Title: Hastlikhit Granthsuchi Part 3
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Stambhan Parshwanath Jain Trith Anand
View full book text
________________
७२
०)
विद्वान उपरथी कृति माहिती पृथ्वीचन्द्रकुमाररास\ मागु. गा.१७४ (पाकाहेम५९७०, पाकाहेम१०२३५) देवचन्द्र गणि - जुओ - देवचन्द्र-मुनि देवचन्द्रसूरि-आचार्य कालिकाचार्यकथा-मूलशुद्धिप्रकरणटीकान्तर्गता। प्रा.\ ग्रं.३९५\ अत्थि इहेव जम्ब (जेताजि४०, जेताजि४२, जेताजि४३,
पाताखेत५७, पाताखेत९-१, पातासंघवीजीर्ण४१, पातासंघवी१९४-१, पाताहेसं७७, पाताहेसं७८, पाताहेसं८२,
पाताहेसं१६६, खंता४२, खंता४३, खंता४९, खंता५०, खंता५१, खंता८१, भांता३२, तालाद३३७, तालाद३६४) मूलशुद्धिप्रकरण-(सं.)विवरण सं. ग्रं.१३००० (पाकाहेम७०७३)
शान्तिनाथचरित्र (गद्यपद्यबद्ध) प्रा. श्लोक १२१०० (जेताजि२५५, पातासंघवीजीर्ण१८, पाताहेसं४२, पाकाहेम१६६७) देवप्रभसूरि-आचार्य (प्र. नाम-आचार्य-देवभद्रसूरि (?))
अनर्घराघवनाटक-(सं.)रहस्यादर्शटिप्पणी\ सं. ग्रं.७१०० (पाताखेत२५) पार्श्वनाथचरित्र प्रा. ग्रं.९००० (पातासंघवी७५) श्रेयांसजिनचरित्री प्रा. ग्रं.११००० (पातासंघवी४८) देवप्रभसूरि मलधारी-आचार्य-हर्षपुरीयगच्छ धर्मसार-मृगावतीचरित्र सं. (पाताहेसं५४-१) पाण्डवचरित्रमहाकाव्य सं. ग्रं.९८८४\ श्रियं विश्वत्र (जेताजि४१९, पाताहेसं६५, पाताहेसं६६, पाताहेसं१२३, खंता२२०,
खंता२२१, भांका२९४) देवप्रभसूरि(?) - जुओ - देवभद्रसूरि-आचार्य देवभद्रसूरि-आचार्य (प्र. नाम-आचार्य-देवप्रभसूरि(?))। गुरु-आचार्य प्रसन्नचन्द्रसूरि उपदेशसारप्रकरणी प्रा. का.१०१। नमिऊण विजियदुज् (पातासंघवी१६०-१) कहारयणकोस प्रा. पडिबिम्बियपणयजा (खंता२३२, वताकांति३९५) पार्श्वनाथस्तव-द्वात्रिंशिका सं. गा.३२ (पातासंघवी१८२-१) संवेगमञ्जरीप्रकरणी प्रा. गा.३२१ सद्देसणमलयानिलम (जेताजि१५१, पाताखेत५, पाताहेसं११४, खंता८८,
पाकाहेम१३५१, पाकाहेम३८९४) देवभद्रसूरि-आचार्य गुरु-आचार्य विमलसूरि अनन्तनाथस्तोत्र प्रा. गा.२१\ सम्पत्तनाणदंसणव (पाताखेत५४-१) दर्शनशुद्धिप्रकरण-(सं.)टीका\ सं.श्लोक३८००\ नत्वा श्रीवर्ट्स (जेताजि२२३, पातासंघवी१४८, खंता१७४,
पाकाहेम६५९०) देवभद्रसूरि-आचार्य गुरु-आचार्य श्रीचन्द्रसूरि सङ्ग्रहणीप्रकरण-(सं.)टीका सं.ग्रं३५००\ अत्यद्भुतं योगि (जेताजि८२, जेताजि२०३, खंता१५१, पाकाहेम६९६६,
पाकाहेम१०३२९, पाकाहेम१०५८३) देवभद्रसूरि-आचार्य प्रमाणप्रकाश सं.। श्लोक८२\ सन्न्यायनगरारम् (पाताखेत५४-१) वीतरागस्तव प्रा. (पाताखेत५४-१) स्तम्भनपार्श्वनाथस्तोत्री प्रा. गा.१६ लच्छीलीलाभवणं थ (पाताखेत५४-१) देवभद्रसूरि (?) - जुओ - देवप्रभसूरि-आचार्य देवभद्रसूरि मलधारी-आचार्य-हर्षपुरगच्छीय न्यायावतारसूत्र-(सं.)वृत्तिनुं (सं.)टीप्पणक\ सं. (जेताजि३८१, पाकाहेम२४४८, पाकाहेम२४४९, पाकाहेम६६७१) पोसहविधिप्रकरण प्रा. गा.११८ (पातासंघवी६१-२) देवमूर्ति-उपाध्याय-कासहदगच्छीय
विक्रमचरित्रमहाकाव्य सं. श्लोक६२६६ (पाकाहेम६८६३) देववाचक-वाचक नन्दीसूत्र प्रा. ग्रं.७००\ जयइ जगजीवजोणीवि (जेताजि७७, पाताखेत३४-२, पातासंघवीजीर्ण१९, पातासंघवीजीर्ण९७, पातासंघवी३७, पातासंघवी१४६-२, खंता३८, भांता५९, भांता७०, जेकाजि४८, पाकाहेम१००२६,
पाकाहेम१०८२०, भांका२५९) नन्दीसूत्रनो हिस्सो (प्रा.)स्थविरावली प्रा. गा.५० जयइ जगजीवजोणी..(जेताजि१५६, जेताजि१५८, जेताजि१६०,

Page Navigation
1 ... 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165