Book Title: Hastlikhit Granthsuchi Part 3
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Stambhan Parshwanath Jain Trith Anand
View full book text
________________
विद्वान उपरथी कृति माहिती शतपदीप्रकरण\ सं.,प्रा. ( पातासंघवी १२६, खंता १९९, वताकांति४०१, भांका२५६)
श्राद्धजीतकल्पसूत्र\ प्रा. गा. १३७ \ कयपवयणप्पणामो.. (जेताडूं५०९, पातासंघवी६२-२, पाकाहेम१००६२,
पाकाहेम१०२८१, पाकाहेम१०४८३, भांका१२८)
समवसरणस्तव\ अप.\ गा. २४ \ थुणिमो केवलिवत् (पातासंघवीजीर्ण८५, पातासंघवीजीर्ण८६-२, खंता९२,
पाकाहेम४४७२, पाकाहेम७३०७)
सर्वजनस्तव सं.\ श्लोक ४ \ स्रस्ताशर्मावृत (पाकाहेम७३८६)
साधारणजिनस्तवन एकद्विबहुवचनतुल्य# सं. का. ४ \ श्रस्ताशर्मावृत (पाकाहेम१२३०५)
सामायिकपौषधफलकुलक प्रा. गा. १६ ( पाकाहेम७७९०)
७६
धर्मदास - कवि
विदग्धमुखमण्डन \ सं. (पाकाहेम२७०८, पाकाहेम२७०९) धर्मदास गणि-गणि
उपदेशमाला\ प्रा.\ गा. ५४४ \ नमिऊण जिणवरिन्द (जेताजि१५६, जेताजि१५७, जेताजि१५८, जेताजि१५९, ताजि१६०, जेताजि१६५, जेताजि२२८, जेताजि२२९, जेताजि२३०, पाताखेत३, पाताखेत५, पाताखेत६, पाताखेत१२, पाताखेत५१, पाताखेत १७ - २, पाताखेत३२ -२, पातासंघवीजीर्ण४६, पातासंघवीजीर्ण४९, पातासंघवीजीर्ण८१, पातासंघवीजीर्ण८२, पातासंघवीजीर्ण८५, पातासंघवीजीर्ण८८, पातासंघवी५०, पातासंघवी १०८, पातासंघवी१५१, पातासंघवी १६४, पातासंघवी १६५, पातासंघवी १७४, पातासंघवी५६-२, पातासंघवी६१-२, पातासंघवी६४-२, पातासंघवी६७-१, पातासंघवी ११७-१, पातासंघवी १३४-२ पातासंघवी १४१-२, पातासंघवी१५६ - १, पातासंघवी १६१-२, पातासंघवी १८१-१, पातासंघवी१८२-१, पातासंघवी १८४-१, पातासंघवी १९०-२, पातासंघवी१९५-२, पातासंघवी१९६-२, पातासंघवी२०६-२, पाताहेसं३१, पाताहेसं३२, पाताहेसं५६, पाताहेसं१०१, पाताहेसं१११, पाताहेसं११३, पाताहेसं११४, पाताहेसं११५, पाताहेसं११६, पाताहेसं११९, पाताहेसं१२२, पाताहेसं१५१, पाताहेसं१६१, पाताहेसं१७९, खंता८८, खंता९०, खंता९१, खंता९६, खंता९७, खंता९९, खंता१०१, खंता१०५, खंता १०७, खंता १११, खंता११२, खंता११४, खंता११५, खंता११८, खंता१२०, खंता१२५, खंता१२६, खंता१७८, खंता१७९, भांता२३, भांता२४, भांता२५, भांता६४, तालाद३२१, तालाद३२५, तालाद३२८, तालाद३५०, अताका४९७, अभ६, जेकाजि१६६, जेकाजि२०१, जेकाजि१२९०, जेकाजि १३१७, जेकाजि१३२६, पाकाहेम७७५, पाकाहेम१०२२, पाकाहेम१०२३, पाकाहेम४६४०, पाकाहेम६७०६, पाकाहेम६८५५, पाकाहेम७८९२, पाकाहेम९५४६, पाकाहेम१०१०९, पाकाहेम१०११७, पाकाहेम१०१५०, पाकाहेम१०३३९, पाकाहेम१०३५१, पाकाहेम१०५७०, पाकाहेम१०६०२, पाकाहेम१०६०३, पाकाहेम१०६०४, पाकाहेम१०६०५, पाकाहेम१११५२, पाकाभाभा४१, पाकाभाभा४२)
उपदेशमाला-(प्रा.)हिस्सा दोससयमूलजालं ५१वी गाथा | प्रा. गा. १ \ दोससयमूलजालं पु (पुप्रे४४९) धर्मप्रभसूरि-आचार्य
अन्तरङ्गसन्धि\ अप.\ ग्रं. २०६ \ परमवि दुहखण्डण (पाताहेसं१७७)
चतुर्विंशतितीर्थङ्करकलश \ मागु.) गा. १६ \ कलुसु निसुणौ कल (पाकाहेम९०२)
धर्ममूर्ति-शिष्य - जुओ - कल्याणसागरसूरि-आचार्य
धर्मवर्धन-मुनि
पार्श्वनाथस्तव षड्भाषामय) सं. (पाकाहेम १४४३६)
धर्मशेखर-मुनि
चतुर्विंशतिजिनस्तोत्र \ सं. का. १३ \ दीप्रज्ञानरमैक. (पाकाहेम १२२६४)
धर्मशेखर-गणि
क्षुल्लकभवावलिकाप्रकरण प्रा. (पाकाभाभा६८)
धर्मसमुद्र-वाचक
रात्रिभोजन \ मा. गा. २५६ ( पाकाहेम १०८००)
धर्मसागर-उपाध्याय
औष्ट्रिकमतोत्सूत्रोद्घाटनकुलक) प्रा. गा.१७ (पाकाहेम११०४९, पाकाहेम११०५०) कल्पसूत्र - (सं.) किरणावलीटीका सं. (पाकाहेम १०२७५, पाकाहेम१६३०७)
गुरुतत्त्वप्रदीप उत्सूत्रकन्दकुद्दाल - (सं.) स्वोपज्ञ टीका सं. ग्रं. २२०८ ( पाकाहेम२५९९)

Page Navigation
1 ... 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165