Book Title: Hastlikhit Granthsuchi Part 3
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Stambhan Parshwanath Jain Trith Anand
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विद्वान उपरथी कृति माहिती प्रमाणनयतत्त्वालोकालङ्कार-(सं.)रत्नाकरावतारिका टीका\ सं.\ ग्रं.५००० (जेताजि३६८, तालाद३२७,
पाकाहेम८७५४, पाकाहेम१०७०६) रत्नप्रभाचार्य - जुओ - रत्नप्रभसूरि-आचार्य रत्नमण्डनसूरि-आचार्य
समासलक्षण सं. (पाकाहेम४८६१) रत्नरङ्ग-उपाध्याय
रूपकमाला-(मा.गु.)बालावबोध\ मागु. (पाकाहेम९४२६, पाकाहेम९४२७, पाकाहेम९४२८) रत्नशेखरसूरि-आचार्य गुणस्थानकक्रमारोह सं. ग्रं.६४ (पाकाहेम१३६९८) गुणस्थानकक्रमारोह-(सं.)टीका\ सं. (पाकाहेम१३६९८) गुरुगुणषट्त्रिंशत्षट्त्रिशिकाकुलक*\ प्रा. गा.४० (पाकाहेम११०६०, पाकाहेम११०६१) चतुर्विंशतिजिनस्तव सं.\ का.२६ (पाकाहेम८४९८) लघुक्षेत्रसमासप्रकरण प्रा. गा.२६२वीरं जयसेहरय पइ (पाकाहेम६९६७, पाकाहेम६९७०, पाकाहेम१०३३६,
पाकाहेम१०३४१, पाकाहेम१०३७४, पाकाहेम१०५८५, पाकाहेम१०५८६) लघुक्षेत्रसमासप्रकरण-(सं.)वृत्ति। सं. (पाकाहेम१०३४१) श्राद्धप्रतिक्रमणसूत्र-(सं.)अर्थदीपिका वृत्ति। सं. (पाकाभाभा८१) श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र-(सं.)अर्थदीपिकावृत्ति। सं.\ ग्रं.६६४४ (पाकाहेम१०५५७, पाकाहेम१४९०५) श्रावकव्रतभङ्गविकल्पकुलक प्रा. गा.१२ (पाकाहेम११०६५) श्रीपालचरित्र प्रा.\ गा.१३४१ (पाकाहेम६८६२) सम्बोधसप्ततिकाप्रकरणी प्रा. गा.७४ (पाकाहेम१०१६२, पाकाहेम१०१६३, पाकाहेम१०६२७) सुभाषित सं. (पाकाहेम१५२३१) रत्नसागरसूरि-आचार्य
चतुर्विधधर्मचउपई काकबन्धी मागु. गा.६९ (पाकाहेम१०२२) रत्नसिंह-मुनि वीरजिनस्तोत्र-जैत्रपुरमण्डन\ सं.\ श्लोक८\ तुभ्यं नमः शुभ (पाकाहेम१३१७१)
सर्वजिनस्तोत्र। सं.। श्लोक८ नमस्तेस्तदानन्द (पाकाहेम१३१७१) रत्नसिंहसूरि-आचार्य आगमतत्त्वचिन्ताभावनाचूलिका\ सं. श्लोक२४ (पाकाहेम११०२६) आत्मतत्त्वचिन्ताभावनाचूलिका सं. श्लोक२४\ कल्याणशस्यपायोद (पाकाहेम१११५३) आत्मविज्ञप्ति। प्रा.\ गा.३०\ जयजयभुवणदिवायर (पाकाहेम१११५३) आत्महितकुलक प्रा. गा.३२\ नियगुरुपायपसाया (पाकाहेम१११५३) आत्मानुशास्तिपञ्चविंशतिका सं. श्लोक२५ प्राकृतः संस्कृ (पाकाहेम१११५३) आत्मानुशासनकुलक\ प्रा. गा.५६\ सिरिधम्मसूरिसुग (पाकाहेम१११५३) उपदेशकुलक प्रा. गा.२६\ चिन्तसु उवायमेय (पाकाहेम१११५३) धर्माचार्यबहुमानप्रकरणी प्रा. गा.३४\ नमिऊं गुरुपयपउम (पाकाहेम१११५३) पर्यन्ताराधनाकुलक\ प्रा. गा.१६\ सुहिओ वा दुहिओ (पाकाहेम१११५३) मनोनिग्रहभावनाकुलक प्रा. गा.४४\ सिरिधम्मसूरिपहु (पाकाहेम१११५३) संवेगरत्नमाला प्रा. गा.१५०\ भावम्मि समाही प (पाकाहेम१११५३) संवेगामृतभावना। सं.\ श्लोक२५ (पाकाहेम११०२६) संवेगामृतपद्धति। सं. श्लोक४३\ शिष्याः श्रीधर (पाकाहेम११०२६, पाकाहेम१११५३) संवेगामृतपद्धति प्रा. गा.१२२\ शिष्याः श्रीधर् (पाकाहेम१११५३) समवसरणविचार मागु. गा.३१ (पाकाहेम१०२२) रत्नसिंहसूरिशिष्य-मुनि
स्तम्भनकपार्श्वनाथस्तवन। सं. श्लोक९ यन्मूर्तिःस्वर् (पाकाहेम७४०४) रत्नाकर मुनि-मुनि

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