Book Title: Hastlikhit Granthsuchi Part 3
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Stambhan Parshwanath Jain Trith Anand

View full book text
Previous | Next

Page 109
________________ विद्वान उपरथी कृति माहिती आवश्यकसूत्रनो हिस्सो प्रत्याख्यानसूत्र - (प्रा.) चूर्णि ) प्रा. ग्रं. ४०० \ गा. ३२९ \ तवझाणानलनिद्दड् (जेताजि१३९, जेताजि१४०, पातासंघवीजीर्ण७९, पातासंघवी १३८-२) ९२ नवपदप्रकरण-(सं.)बृहद्वृत्ति सं. ग्रं. ९५०० (जेताजि२२१, पाताहेसं४०) पञ्चाशकप्रकरण-(प्रा.)चूर्णी प्रा. (जेताजि२१२, तालाद३३४) पाक्षिकसूत्र-(सं.)वृत्ति\ सं.\ श्लोक २७०० \ शिवशर्मैकनिमित् (जेताजि१२७, जेताजि१२८, जेताजि१२९, जेताजि१४५, जेताजि४१६, पाताहेसं२४, खंता६५, खंता६६, भांता३७, भांता३८, तालाद३८५, लिंता३४१७, अताका४९९, अभ३, पाकाहेम१४८६८) पिण्डविशुद्धिप्रकरण-(सं.) सुबोधा टीका सं. ग्रं. २८०० \ यदुदितलवयोगाद्द (जेताजि२०५, जेताजि२१०, पातासंघवी१६२, पातासंघवी १८४-२, पातासंघवी १८८-२, भांता७५, तालाद३८१) यशोभद्रसूरि-आचार्य गुरु - आचार्य श्रीचन्द्रसूरि आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण प्राचीन चतुर्थ कर्मग्रन्थ षड्शीति - (सं.) वृत्ति \ सं. आगमिकवस्तुगोचर (पाताहेसं९५) षोडशकप्रकरण-(सं.)वृत्ति सं. ग्रं. १५०० ( जेकाजि१५५३, पाकाहेम६७४४, पाकाहेम १५५०२) सप्ततिकाप्रकरण- (सं.) वृत्ति सं. ग्रं. ३८०० (पाताहेसं९७) यशोभद्रसूरि-आचार्य क्षामणकसूत्र - (सं.) अवचूर्णि सं. (भांका ८२) यशोवर्धन-अज्ञात कारकन्यायकन्दली \ सं. ( तालाद३४०) यशोविजयजी गणि-उपाध्याय-तपागच्छीय अध्यात्मसार\ सं. (पाकाभाभा१७२७) अस्पृशद्गतिवाद) सं. (पाकाहेम८७६२) आठ दृष्टि स्वाध्याय) मागु. शिवसुख कारण उपद ( तालाद३९१-१, तालाद३९१-४, अताका ४९१) ऋषभजिनस्तवन\ मागु.\ गा. ९ \ समरथ साहिब समता (अताका४७९) औपदेशिक गीत\ मागु. गा.८ \ चेतन जो तुं ग्य (पाकाहेम६१९७, पाकाहेम६१९८) औपदेशिक गीत\ मागु. गा.७ \ सब लया छाक मोह (पाकाहेम६१९७, पाकाहेम६१९८) औपदेशिक गीत मागु. \ गा. ५ \ चेतन अब मोहिं द (पाकाहेम६१९७, पाकाहेम६ १९८) औपदेशिक गीत मागु.) गा. ५ \ चेतन राह चले उल (पाकाहेम६१९७, पाकाहेम६ १९८) औपदेशिक गीत\ मागु.\ गा. ५) सज्जन राख तरीत (पाकाहेम६१९७, पाकाहेम६१९८) औपदेशिक गीत मागु.) गा. ५) अजब गति चिदानन् (पाकाहेम६१९७, पाकाहेम६१९८) औपदेशिक गीत\ मागु.\ गा. ५ \ प्रभु मेरी अयसी (पाकाहेम६१९८) औपदेशिक गीत\ मागु.\ गा.७ \ अब में साचो साह (पाकाहेम६१९७, पाकाहेम६१९८) औपदेशिक पद\ मागु.\ गा.\ परम गुरु जैन कह (पाकाहेम६१९७, पाकाहेम६१९८) औपदेशिक पद\मागु. गा७ \ चतुर नर सामाइक (पाकाहेम६१९७, पाकाहेम६१९८) औपदेशिक पद\ मागु. गा. ५ \ परम प्रभु सब जन (पाकाहेम६१९७, पाकाहेम६१९८) औपदेशिक पद\मागु.) गा. ५ \ जब लग आवई नहीं (पाकाहेम६१९६) औपदेशिक पद\मागु.) गा.६ \ चेतन ममता छारि (पाकाहेम६१९६) औपदेशिक पद\ मागु.\ गा.६ \ चेतन ज्ञान की द (पाकाहेम६१९६) औपदेशिक पद\ मागु.\ गा. ६ \ कन्त विण कहो कु ( पाकाहेम६१९६) औपदेशिक पद\ मागु.\ गा. ५ \ धर्म के विलास व (पाकाहेम६१९६) औपदेशिक स्वाध्याय) मागु. गा.४१ (पाकाहेम६ १९७) काव्यप्रकाश - (सं.) टीका सं. ( तालाद३९१-२ ) जम्बूस्वामि ब्रह्मगीता स्वाध्याय \ मागु.) गा. २९ \ समरीय सरसती विश (पाकाभाभा६२८) जिनप्रतिमास्थापन सज्झाय मागु. गा. १५ (पाकाभाभा६२८) जिनप्रतिमावन्दन स्वाध्याय मा. गा. १५ \ जिन जिन प्रतिमा (पाकाहेम६१९७) ज्ञानसार अष्टक\ सं.\ ऐन्द्र श्रीसुखमग (पाकाहेम७८६३, पाकाहेम११३६८, पाकाहेम१७६८९, पाकाभाभा२९९) ज्ञानसार अष्टक-(मा.गु.)टबार्थ मागु. \ ऐन्द्रवृन्दनतं (पाकाहेम११३६८)

Loading...

Page Navigation
1 ... 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165