Book Title: Hastlikhit Granthsuchi Part 3
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Stambhan Parshwanath Jain Trith Anand
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विद्वान उपरथी कृति माहिती मेरुतुङ्गसूरि-आचार्य-अंचलगच्छीय(विधि कातन्त्रव्याकरण-(सं.)बालावबोधवृत्ति। सं. ग्रं.५०९ (जेकाजि२४१, पाकाहेम९७२, पाकाहेम९७३, पाकाहेम३७०१) कातन्त्रव्याकरण-(सं.)बालावबोधवृत्तिनो (सं.)टिप्पनक\ सं. (पाकाहेम९७४, पाकाहेम९७५, पाकाहेम९७६,
पाकाहेम२५५८, पाकाहेम३७०२, पाकाहेम३७०३, पाकाहेम८५६५, पाकाहेम९६४८) कामदेवकथा गद्य सं. ग्रं.७४८ (पाकाहेम१०४०४) चतुर्विंशतिप्रबन्ध सं. (पाकाहेम८००५) जैनमेघदूतमहाकाव्य। सं.\ श्लोक४१८ (पाकाहेम२६६१, पाकाहेम२६६२) प्रासुकाम्बुविचार सं.\ ग्रं.१८७\ इह किल प्रासुको (भांका२४८) स्तम्भनपार्श्वनाथ प्रबन्ध सं. (पाकाहेम१४९६५) मेरुसुन्दर-मुनि
अजितशान्तिस्तोत्र-(मा.गु.)बालावबोध मागु. अजिय० अजितनाथ ब (पाकाहेम१०६५१) पार्श्वनाथलघुस्तवन\ अप. गा.८ (पाकाहेम१२३६६) पार्श्वनाथस्तवन। अप.\ गा.५ (पाकाहेम१२३६६) पार्श्वनाथस्तोत्र सं.\ श्लोक७ (पाकाहेम१२३६६) भक्तामरस्तोत्र-(मा.गु.)बालावबोध मागु. (पाकाहेम१०१९०) भावारिवारणस्तोत्र-(सं.)टीका सं. (पाकाहेम१०६६६) शान्तिस्तवन प्रा. गा.३ (पाकाहेम१२३६६) सम्भवस्तोत्र प्रा. गा.३ (पाकाहेम१२३६६) स्तम्भनकपार्श्वनाथस्तवन। अप.\ गा.५ (पाकाहेम१२३६६) मेरुसुन्दर-उपाध्याय
सम्बोधसप्ततिकाप्रकरण-(मा.गु.)बालावबोध मागु. ग्रं.१७२७ (पाकाहेम१०१६२) मोक्षाकर गुप्त-जैनेतर
तर्कभाषा सं. श्लोक८७० (पातासंघवी१४६-१, पातासंघवी१५५-२) मोहनविजय-मुनि
रत्नपालरास\ मागु. (पाकाहेम१०२९९) यशःसोम-अज्ञात
बारभावनावेलि\ मागु. (पाकाहेम१०१३४) यशश्चन्द्र-कवि
राजीमतीप्रबोधनाटक प्रा. (पाकाहेम२७४०) यशस्वीगणि-शिष्य-मुनि-लुङ्कागच्छ प्रज्ञाप्रकाशषट्त्रिशिका सं.\ श्लोक३७ प्रज्ञाप्रकाशाय (भांका१८३) मुद्रित कुमुदचन्द्रनाटक\ सं. (पाकाहेम८६३१) यशोकीर्ति-पण्डित
चन्द्रप्रभचरित्र प्रा. नमिऊण विमलकेवलल (भांका२१३) प्रबोधसार\ सं. ग्रं.५७८\ अकारादि णकारान् (भांका१६७) यशोघोषसूरि-आचार्य (प्र. नाम-आचार्य-जसघोस)
आराधनाप्रकरणी प्रा. गा.१००। मयणग्गि समणमेहं (पातासंघवी१४५-१) क्षमाकुलक प्रा. गा.२५ नमिऊण पुनपुरि (पाताखेत६, पातासंघवी५९-२, पातासंघवी५९-३, पातासंघवी६२-२,
पातासंघवी१०४-२, खंता१०६, पाकाहेम१३५१, पाकाहेम२५९६) यशोदेव - जुओ - यशोदेवसूरि-आचार्य यशोदेवसूरि-आचार्य (प्र. नाम-मुनि-जसदेव) आवश्यकसूत्रनो हिस्सो चैत्यवन्दनासूत्र-(प्रा.)चूर्णी\ प्रा.\ ग्रं.८४०\ इच्छामि पडिक्कम (जेताजि१३९, जेताजि१४०,
पातासंघवीजीर्ण७९, पातासंघवी१३८-२) आवश्यकसूत्रनो हिस्सो वन्दनकसूत्र-(प्रा.)चूर्णी\ प्रा.! ग्रं.७०७\ सुयसागरपारगए अण (जेताजि१३९, जेताजि१४०, पातासंघवी१३८-२)

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