Book Title: Hastlikhit Granthsuchi Part 3
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Stambhan Parshwanath Jain Trith Anand
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विद्वान उपरथी कृति माहिती धर्मोपदेशकुलक\ प्रा. गा.२५\ भुवणजणवन्दणिज्ज (पातासंघवी५९-२, पाकाहेम१११५३) धर्मोपदेशकुलकी प्रा. का.१०\ लद्धुत्तममाणुसत (पातासंघवी५९-२, पाकाहेम१११५३) प्राभातिक स्तुति। सं. का.९\ येर्हन् प्रभातस (पातासंघवी५९-२, पाकाहेम१११५३) भावनालेशकुलक प्रा. गा.१२\ एत्तं परम्परोवण (पातासंघवी५९-२) मोक्षोपदेशपञ्चाशिका सं. श्लोक५१\ शुद्धध्यानलवित् (पातासंघवी१७४, पातासंघवी५९-२, पातासंघवी१३५-२,
पाकाहेम११०४६, पाकाहेम१११५३) रत्नत्रयकुलक प्रा. गा.३१\ चन्दद्धसमनिडालं (पातासंघवी५९-२, खंता९४, भांता६९, पाकाहेम१११५३) वनस्पतिसप्ततिकाप्रकरणी प्रा. गा७७ (पाकाहेम७६८३, पाकाहेम१६४८७) शङ्खश्वरपार्श्वनाथस्तवन सं. का.१०\ समस्तकल्याणनिधा (पाकाहेम१२३६५) शतक प्राचीन पञ्चम कर्मग्रन्थ-(प्रा.)चूर्णितुं (सं.)विषमपद टिप्पण। सं. ग्रं.९५५ प्रणिपत्यविमल क (तालाद३८२) शुभभावना उपदेश प्रा. गा.३३\ सुहभावणावसाओ सो (पातासंघवी५९-२, पाकाहेम१११५३) सम्यक्त्वोपायविधि प्रा. गा.२९ भुवणजणवन्दणिज्ज (पातासंघवी५९-२, पाकाहेम१११५३) हितोपदेशकुलक प्रा. गा.२५ सुणेह भो भव्वजण (जेताजि१७१, जेताजि१७१, पातासंघवी५९-२, पाकाहेम१११५३) मुनिचन्द्रसूरि-शिष्य - जुओ - वादिदेवसूरि-आचार्य मुनिदेवसूरि-आचार्य-बृहद्गच्छीय धर्मोपदेशमाला-(सं.)वृत्ति। सं. (पातासंघवी८८, पातासंघवी८९) शान्तिनाथचरित्र श्लोकबद्ध सं. श्लोक५०५५ वेश्मरत्ननिशारत (पातासंघवी१७२-२, खंता२०१, खंता२०२,
वताकांति३९२, पाकाहेम१६७०, पाकाहेम४२९४, पाकाहेम६८४०, पाकाहेम२०६३८) मुनिरत्नसूरि-आचार्य
ज्ञानपञ्चमीस्तोत्री प्रा. गा.२७१ नमवि सिरिनेमिजि (पाकाहेम१०२३) पार्श्वनाथस्तोत्र प्रा. गा.१६ सयलसिरीण निवासं (पाकाहेम१०२३) भावश्रावक लक्षण प्रा. गा.२९ (पातासंघवी२०६-२) मुनिसुन्दरसूरि-आचार्य-तपागच्छ उपदेशरत्नाकर प्रा. (पाकाहेम१४९१७) उपदेशरत्नाकर-(सं.)स्वोपज्ञटीका सं. ग्रं.७६७५ (पाकाहेम१४९१७) जिनस्तोत्ररत्नकोश प्रथमप्रस्ताव। सं.\ श्लोक११५० (पाकाहेम१०१८७) त्रैविद्यगोष्ठी\ सं.\ ग्रं.८७५ (पाकाहेम१०३८६, भांका१८५) पट्टावली तपागच्छीय प्रा. सिरिमन्तो सुहहे (अताका५०३) मन्त्रौषधिकल्पगर्भित देलउलामण्डन ऋषभजिनस्तवन\ अप. श्लोक२५ (पाकाहेम८२४५, पाकाहेम८२४७) महावीरमङ्गलशब्दार्थवाचकस्तवन सं. का.२४\ जय श्रीविलासालय (पाकाहेम१२२८५, पाकाहेम१२३६०) युगादिजिनस्तवन इलदुर्गमण्डन। सं. का.२४\ जय श्रीमन्नाभिप (पाकाहेम१२१४५) सन्तिकरस्तवन प्रा. गा.१४\ सन्तिकरं... (पाकाहेम३०३४) साधारणजिनस्तव सं. श्लोक५ जयश्रीजिनकल्याण (पाकाहेम१२२५६, पाकाहेम१२२५७, पाकाहेम१२२५९,
पाकाहेम१२३५८, पाकाहेम१२३६१) मुनिसुन्दरसूरि-शिष्य-मुनि
उत्तराध्ययनसूत्रकथा। सं.। अर्हतः सर्वसिद् (भांका११३) मुम्मण - जुओ - मुम्मणिदेव (शैवभट्टारक)-जैनेतर मेघप्रभाचार्य-आचार्य धर्माभ्युदय छायानाट्यप्रबन्ध सं. यः शक्रेण मुदाभ (पाताहेसं१४७)
सूक्तमुक्तावली\ सं. श्रीवर्द्धमानमभ (पाताहेसं१४७) मेघराज-गणि
राजप्रश्नीयोपाङ्गसूत्र-(मा.गु.)टबार्थ मागु. देवदेवं जिनं नत (वताकांति४०६-४) मेघविजय-उपाध्याय मेघदूतसमस्यालेख-मेघदूतपादपूर्ति रूपविजयप्रभसूरिविज्ञप्तिका। सं. श्लोक१३१ (पाकाहेम८००८) हस्तसञ्जीवनी\ सं.\ श्लोक५२५ (जेताजि१००००, पाकाहेम१३५८०)

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