Book Title: Hastlikhit Granthsuchi Part 3
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Stambhan Parshwanath Jain Trith Anand

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Page 133
________________ ११६ विद्वान उपरथी कृति माहिती पातासंघवी७२-३, पातासंघवी१०४-२, पातासंघवी१७०-२, पातासंघवी१९६-१, पातासंघवी१९८-२, पातासंघवी२०३-२, पातासंघवी२०६-२, पाताहेसं११६, पाताहेसं१६१, पाताहेसं१७९, खंता९०, खंता११८, खंता१३२, खंता१४०, भांता२४, भांता७२, तालाद३२६, तालाद३३६, अताका४९७, पाकाहेम१०२२, पाकाहेम१०२३, पाकाहेम२३२४, पाकाहेम९५४६, पाकाहेम१०१८६, पाकाहेम१०६६०, पाकाहेम१०६६१, पाकाहेम१२१२४, पाकाहेम१६७७२, पाकाहेम१६७७३) श्लोकसप्तशती हेमचन्द्राचार्यकृतिगत श्लोकसङ्ग्रह। सं.\ ग्रं.७०० (पाकाहेम८६७४) षड्विधावश्यकविवरण सं. श्लोक१३०० (पातासंघवी१०६-२) सकलाहतस्तोत्र सं. ग्रं.२६१ श्लोक२४\ सकलार्हत्प्रतिष (पाताहेसं१६८, खंता११८, खंता१३८, पाकाहेम१२१२४) सिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासन-द्व्याश्रय प्राकृत महाकाव्य\ प्रा. श्लोक९५० (पातासंघवी१४२-२, जेकाजि१९६१) सिद्धहेमशब्दानुशासन-(सं.)बृहद्वृत्ति सं. (जेताजि२९३, जेताजि२९४, जेताजि२९५, जेताजि२९६, जेताजि२९६, पाताखेत८, पाताखेत१८, पाताखेत३५, पाताखेत४८, पाताखेत४४-१, पातासंघवीजीर्ण३२, पातासंघवीजीर्ण३५, पातासंघवीजीर्ण४३, पातासंघवीजीर्ण५१, पातासंघवी४९, पातासंघवी४९, पातासंघवी११६, पातासंघवी९८-१, पातासंघवी११०-१, पाताहेसं१२८, पाताहेसं१२९, पाताहेसं१३०, पाताहेसं१५१, पाताहेसं१५४, पाताहेसं१५५, पाताहेसं१५६, पाताहेसं१७८, खंता२४१, खंता२४२, खंता२४३, खंता२४४, खंता२४५, खंता२४६, खंता२४७, खंता२४८, खंता२४९, तालाद३८८, पाकाहेम६६०३) सिद्धहेमशब्दानुशासन-(सं.)लघुवृत्ति। सं. ग्रं.३३००\ प्रणम्य परमात्म (जेताजि२९७, जेताजि२९८, जेताजि२९९, जेताजि३००, पाताखेत५४-२, पातासंघवी७०-४, पातासंघवी७९-२, पातासंघवी८२-२, पातासंघवी१०४-१, पातासंघवी१३७-२, पातासंघवी१४१-१, पातासंघवी१५६-२, पातासंघवी१६७-२, पातासंघवी१८०-१, पातासंघवी१८९-२, पातासंघवी२०६-१, पाताहेसं१२७, पाताहेसं१३१, पाताहेसं१५७, पाताहेसं१८०, खंता२५०, खंता२५१, खंता२५२, जेकाजि७६, पाकाहेम६६००, पाकाहेम६७८०, पाकाहेम१०१९८, पाकाहेम१०४४३, पाकाहेम१०४४४, पाकाहेम१०७४१) सिद्धहेमशब्दानुशासन-उणादिगणसूत्र-(सं.)विवरण सं. श्रीसिद्धहेमचन् (जेताजि३०७, पातासंघवीजीर्ण६०, पातासंघवी४९, पातासंघवी६६-१, खंता२५७, पाकाहेम६७८१) सिद्धहेमशब्दानुशासन-द्व्याश्रय संस्कृत महाकाव्य सं. ग्रं.२८२८\ अर्हमित्यक्षरं (जेताजि३३५, जेताजि३३६, जेताजि३४०, पातासंघवी२८, पातासंघवी१२५, पातासंघवी२९-१, पातासंघवी६२-३, भांता६३, पाकाहेम२३०८) सिद्धहेमशब्दानुशासन-उणादिगणसूत्र*\ सं. (जेताजि३०७, पातासंघवी४९, पाताहेसं१८०, खंता२३७, खंता२५७, पाकाहेम६७८१) सिद्धहेमशब्दानुशासन\ सं.\ अहँ। सिद्धिः (पाताहेसं१२७, पाताहेसं१३२, पाताहेसं१५४, पाताहेसं१५५, पाताहेसं१५६, पाताहेसं१७८, पाताहेसं१८०, खंता२३७, खंता२३८, खंता२३९, खंता२४१, खंता२४२, खंता२४३, खंता२४४, खंता२४५, खंता२४६, खंता२४८, खंता२४९, खंता२५०, खंता२५१, खंता२५२, अताका४९५, पाकाहेम६५९८, पाकाहेम१०१९४, पाकाहेम१०१९५, पाकाहेम१०१९७, पाकाहेम१०६७०, पाकाहेम१०६७२) सिद्धहेमशब्दानुशासननो हिस्सो अष्टम अध्याय प्राकृतव्याकरण*\ सं.प्रा. अथ प्राकृतं... (खंता२४०, खंता२५४, __पाकाहेम६७८०, पाकाहेम७१९०, पाकाहेम९४९८, भांका९३) सिद्धहेमशब्दानुशासननो हिस्सो अष्टम अध्याय प्राकृतव्याकरण-(सं.)बृहद्वृत्ति सं. ग्रं.२५००\ अथ शब्द आनन्तर् (पातासंघवी१८१-२, खंता२५४, पाकाहेम६७८०, पाकाहेम७१९०, पाकाहेम९४९८, भांका९३) सिद्धहेमशब्दानुशासननो हिस्सो अष्टम अध्याय प्राकृतव्याकरणनी (सं.)बृहद्वृत्तिनी (सं.)प्राकृतदीपिका वृत्ति। सं. (पाकाहेम६६१३) सिद्धहेमशब्दानुशासननो हिस्सो अष्टमाध्याय प्राकृतव्याकरण चतुर्थपाद-(सं.)बृहद्वृत्ति। सं. (पाकाहेम७१९२) हैमधातुपाठ। सं. भू सत्तायाम् । प (पातासंघवी५६-३, खंता२३७, खंता२३८, खंता२३९) हैमलिङ्गानुशासन\ सं. ग्रं.३३८४ (जेताजि३०६, जेताजि१००००, पातासंघवी५६-३, खंता२३७, खंता२५५, पाकाहेम७२२३, पाकाहेम१०२०२, पाकाभाभा७५) हैमलिङ्गानुशासन-(सं.)विवरण सं. सिद्धहेमचन्द्रव (जेताजि३०६, पाताखेत४५, खंता२५५, पाकाभाभा७५) हेमचन्द्रसूरि मलधारी-आचार्य अनुयोगद्वारसूत्र-(सं.)वृत्ति। सं. ग्रं.५८८८१ सम्यक्सुरेन्द्र (जेताजि८०, जेताजि८१, पातासंघवी३२, पाताहेसं७, खंता३९, भांता५९, जेकाजि५१, पाकाहेम६५३५, पाकाभाभा३७)

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