Book Title: Hastlikhit Granthsuchi Part 3
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Stambhan Parshwanath Jain Trith Anand

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Page 134
________________ विद्वान उपरथी कृति माहिती ११७ आवश्यकसूत्रना (सं.)शिष्यहितावृत्तिनुं (सं.)प्रदेशव्याख्या टिप्पण\ सं. ग्रं.४६४०\ जगत्त्रयमतिक्रम (जेताजि१०८, जेताजि१३२, पातासंघवी१२३-१, खंता६४, वताकांति३९८, जेकाजि३९, पाकाहेम६५२७, पाकाहेम६५५७, पाकाहेम१००६७, पाकाहेम१०३७०) जीवसमासप्रकरण-(सं.)बृहद्वृत्ति सं. ग्रं.६६२७। यः स्फारकेवलकरै (खंता१४२, जेकाजि७८, पाकाहेम११८२, पाकाहेम६९५१, भांका८१, भांका२६६) पुष्पमालाप्रकरणी प्रा. गा.५०५ सिद्धमकम्ममविग् (जेताजि१५५, जेताजि१५७, जेताजि१५८, पाताखेत१०, पाताखेत२-२, पातासंघवीजीर्ण४९, पातासंघवीजीर्ण९७, पातासंघवी१०८, पातासंघवी१६४, पातासंघवी१६५, पातासंघवी२०२, पातासंघवी६६-३, पातासंघवी१२३-२, पातासंघवी१९०-२, पातासंघवी१९६-२, पातासंघवी२०४-२, पाताहेसं३९, पाताहेसं११६, पाताहेसं११९, पाताहेसं१२२, पाताहेसं१६१, पाताहेसं१७९, खंता९०, खंता९१, खंता११९, खंता१२२, खंता१२३, खंता१२४, खंता१२९, खंता१८३, खंता१८४, पाकाहेम७७५, पाकाहेम७३९०, पाकाहेम१०६१०, पाकाहेम१४८७१) पुष्पमालाप्रकरण-(सं.)वृत्ति। सं. ग्रं.१३८६८\ येन प्रबोधपरिनि (पाताखेत१०, पातासंघवीजीर्ण११, पातासंघवीजीर्ण१५, पातासंघवीजीर्ण९७, पातासंघवी१२, पाताहेसं३९, खंता१८३, खंता१८४) भवभावनाप्रकरण प्रा. गा.५३११ नमिऊण नमिरसुरवर (जेताजि२३१, जेताजि२३२, जेताजि२३३, जेताजि४१५, पाताखेत१२, पाताखेत४२, पाताखेत२-२, पातासंघवीजीर्ण४९, पातासंघवीजीर्ण६४, पातासंघवी२०२, पातासंघवी६७-२, पाताहेसं११३, पाताहेसं११६, पाताहेसं१२२, पाताहेसं१६१, पाताहेसं१७९, खंता१३२, खंता१३५, खंता१८२, भांता२५, भांता६४, लिंता३४१५, जेकाजि१२८९, पाकाहेम६५८०) भवभावनाप्रकरण-(सं.)वृत्ति सं.\ ग्रं.१३००० येनादौ नयसम्पदः (जेताजि२३१, जेताजि२३२, जेताजि२३३, खंता१८२, पाकाहेम६५८०) भवभावनाप्रकरणनी (सं.)वृत्तिनोहिस्सो-बलिनरेन्द्रकथा\ सं. (पाकाहेम७४११, पाकाहेम१०३७८) विशेषावश्यकमहाभाष्य-(सं.)शिष्यहिता वृत्ति। सं.\ ग्रं.२८०००\ श्रीसिद्धार्थनर (जेताजि११८, जेताजि११९, जेताजि१२०, जेताजि१२१, पातासंघवीजीर्ण१, पाताहेसं२२, पाताहेसं२३, भांता१४, पाकाहेम१४८४३) शतक प्राचीन पञ्चम कर्मग्रन्थ-(सं.)विनेयहिता टीका\ सं.\ ग्रं.३७००\ जयत्यभिप्रेतसमृ (जेताजि१८२, जेताजि१८३, जेताजि१८४, जेताजि१८५, भांता४५, भांता४६, जेकाजि१२९८) हेमचन्द्रसूरिशिष्य - जुओ - श्रीचन्द्रसूरि मलधारि-आचार्य हेमचन्द्राचार्य - जुओ - हेमचन्द्रसूरि-आचार्य हेमविजय-गणि कथारत्नाकर गद्यबद्ध सं. श्लोक७४०० (पाकाहेम१७७४) कीर्तिकल्लोलिनी-विजयसेनसूरिचरित्र। सं. (पाकाहेम८००२) विजयप्रशस्तिमहाकाव्य सं. (पाकाहेम२०८०) हेमविमलसूरिशिष्य-अज्ञात नवखण्डापार्श्वनाथस्तवन\ सं.\ का.२६\ विपुलमङ्गलमण्डल (पाकाहेम१२३३७) हेमसमुद्रगणि-गणि-मुनिसुन्दरसूरिश सूर्यशतक-(सं.)अवचूरि सं. (पाकाहेम१०७००) हेमसार-अज्ञात उपदेशसन्धि। अप.। गा.१८ (पाकाहेम९०३२, पाकाहेम९०३३) हेमसूरि-शिष्य-मुनि-खरतरगच्छ सिद्धान्तरत्नावली\ सं. श्लोक३२\ कुग्राहनिवारणे (भांका१९०) हेमहंसगणि-गणि न्यायार्थमञ्जूषा सं. श्लोक १०९२ (पाकाहेम१०६८१) हेमाचार्य - जुओ - हेमचन्द्रसूरि-आचार्य हेलाराज-अज्ञात\ गुरु-मुनि स्वर्णनन्दी (दि.) वाक्यपदीय-(सं.)प्रकाश टीका सं. (पाकाहेम७३१२, पाकाहेम७३१३, पाकाहेम७३१४) शाश्वताशाश्वतजिनचैत्यवन्दन। सं.\ श्लोक१३\ नित्ये श्रीभवना (पाताहेसं१८९, पाकाहेम१३१७१, पुप्रे४५२)

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