Book Title: Hastlikhit Granthsuchi Part 3
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Stambhan Parshwanath Jain Trith Anand

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Page 90
________________ ७३ विद्वान उपरथी कृति माहिती पाताखेत६, पाताखेत१२, पाताखेत२३, पातासंघवीजीर्ण४६, पातासंघवीजीर्ण४९, पातासंघवी१०४-२, पातासंघवी१९०-२, पाताहेसं११४, पाताहेसं११९, खंता८८, खंता९५, खंता९६, खंता१०७, खंता११०, खंता११२, खंता११८, खंता१२३, खंता१२६, खंता७६-१, भांता२४, तालाद३२६, पाकाहेम७७५, पाकाहेम१०२२, पाकाहेम१०२२, पाकाहेम१०२३, पाकाहेम९५४६, पाकाहेम१२१२४) देवविजय-मुनि भक्तामरस्तोत्र रागमाला मागु. (पाकाहेम१०३०७) देवसमुद्र-उपाध्याय रत्नसिंहसूरिरास (बृहत्तपागच्छीय) मागु. गा.५१ (पाकाहेम१०२२) देवसागर-गणि-आञ्चलिक अभिधानचिन्तामणिनाममाला-(सं.)व्युत्पत्तिरत्नाकर टीका। सं. (पाकाहेम१३०५१, पाकाहेम१३९४०) देवसुन्दरसूरि-आचार्य साधारणजिनस्तवन सं. का.११\ कलाभवन्तं सकलाध (पाकाहेम१२३७१) स्तम्भनपार्श्वनाथस्तव सं. का.२५ स्फुरत्केवलज्ञा (पाकाहेम८५१३, पाकाहेम१२१३६, पाकाहेम१२३३०) देवसुन्दरसूरि शिष्य-मुनि यमकालङ्कारमय जिनस्तव। सं. (पाकाहेम८२३४) देवसूरि-आचार्य (प्र. नाम-आचार्य-देवाचार्य) उपमितिभवप्रपञ्चसारोद्धार सं. ग्रं.२३२८ नत्वा श्रीमन्मह (पातासंघवी१९३-२) धरणोरगेन्द्रस्तव सं. ग्रं.३९ गा.३६\ धरणोरगेन्द्रसुर (पाताखेत२३, पातासंघवी१०४-२, पातासंघवी१४५-१, पातासंघवी२०३-२, पातासंघवी२०६-२, खंता१३४, वताकांति४२१, पाकाहेम११२६८, पाकाहेम१२३३२, पाकाहेम१२३३४) पार्श्वनाथस्तवन। सं. गा.९\ जयति त्रिजगद्रक (पाकाहेम१०२३) सामाचारी-यतिदिनचर्या प्रा. गा.३९२\ तं जयइ सुहं कम् (पाकाहेम७९५३) देवसूरि - जुओ - वादिदेवसूरि-आचार्य देवसूरि#-आचार्य-जालिहरगच्छ पद्मप्रभस्वामिचरित्र प्रा. मङ्गलमाइजिणेसरभ (पातासंघवी३४-२, पाकाहेम१८८७) देवसूरि-शिष्य-मुनि श्रावकव्रत\ प्रा.\ गा.५७\ तिहुअणकयबहुमाणे (पातासंघवी५९-२, पाकाहेम१११५३) देवसेन (दिगम्बर)-आचार्य तत्त्वसार प्रा. गा.७४ (जेकाजि२५९, पाकाहेम११०२७) देवाचार्य - जुओ - देवसूरि-आचार्य देवानन्दसूरि-आचार्य अजितनाथ चरित्र सं. श्लोक१७३४\ अर्हन् पादाम्बु (पुप्रे४२१) सङ्ग्रहणीप्रकरण-(प्रा.)चूर्णि\ प्रा. (भांका१५१) समयसारप्रकरण। सं. (पाकाहेम६७१९, पाकाहेम१०१४४, पाकाहेम१७१००) समयसारप्रकरण-(सं.)स्वोपज्ञ टीका। सं. (पाकाहेम६७१९) देवेन्द्र गणि - जुओ - नेमिचन्द्रसूरि-आचार्य देवेन्द्रसूरि-आचार्य उपमितिभवप्रपञ्चकथासारोद्धार सं. (पातासंघवी११२) कर्मग्रन्थषट्क प्रा. सिरिवीरजिणं वन् (पाकाहेम६९७०, पाकाहेम६९७१, पाकाहेम१०१४३, पाकाहेम१०५९०, पाकाहेम१०५९१) कर्मविपाक नव्य प्रथम कर्मग्रन्थ प्रा. गा.६१\ सिरिवीरजिणं वन् (पातासंघवी१, पातासंघवी६३-३, खंता१४८, पाकाहेम६९७४) कर्मविपाक नव्य प्रथम कर्मग्रन्थ-(सं.)वृत्ति। सं. ग्रं.१७८२ (पातासंघवी१, पातासंघवी६३-३, खंता१४८) कर्मस्तव नव्य द्वितीय कर्मग्रन्थ प्रा. गा.३४ तह थुणिमो वीरजि (पातासंघवी१, पातासंघवी५९-३, खंता१४८, पाकाहेम६९७४)

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