Book Title: Hastlikhit Granthsuchi Part 3
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Stambhan Parshwanath Jain Trith Anand

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Page 88
________________ विद्वान उपरथी कृति माहिती ७१ त्रिविक्रम भट्ट-जैनेतर कातन्त्रव्याकरण-(सं.)वृत्ति नी पञ्जिका नी उद्योतवृत्ति। सं. (पाताहेसं१४६, पाकाहेम६७८२) वृत्तरत्नाकर-(सं.)टीका सं. (पाताहेसं१४८) त्रिविक्रम भट्ट-जैनेतर (प्र. नाम-जैनेतर-त्रिविक्रम भट्ट) दमयन्तीकथा। सं. ग्रं.२५०० (पातासंघवी१७९-२, पाताहेसं५२, जेकाजि१३१४) त्रिविक्रम भट्ट - जुओ - त्रिविक्रम भट्ट-जैनेतर दयानन्द-मुनि प्राशुकपानीयषट्त्रिंशिकाप्रकरणी प्रा. गा.३७ (पाकाहेम७९५४) दयासिंह-गणि लघुक्षेत्रसमासप्रकरण-(मा.गु.)बालावबोधी मागु. (पाकाहेम१०३३६, पाकाहेम१०३७४) सङ्ग्रहणीप्रकरण-(मा.गु.)बालावबोध\ मागु.\ ग्रं.१७५७ (पाकाहेम१०४३९) दशरथ राजा-जैनेतर शनैश्चरस्तुति स्कन्दपुराणगत\ सं. (पाकाहेम८२५९) दामोदर-पण्डित (प्र. नाम-अज्ञात-दामोदर गुप्त) उक्तिव्यक्तिकारिका। सं. का.५०\ नानाप्रपञ्चरचना (पातासंघवी१९०-१) कुट्टनीमत-शुम्भलीमत सं. ग्रं.१२९०१ श्लोक १०३९। स जयति सङ्कल्पभ (पातासंघवी२०३-१, खंता२७२) यन्त्रचिन्तामणिमहाकल्प सं. (पाकाहेम१३३२०) दामोदर गुप्त - जुओ - दामोदर-पण्डित दिग्नाग-आचार्य न्यायप्रवेशसूत्र सं. (जेताजि३७४, जेताजि३७५, पातासंघवी६२-२, पातासंघवी१७१-२) दिवाकर-कवि किरणावली-(सं.)टीका सं. (पाकाहेम१०१०२) दुर्गसिंह-जैनेतर कातन्त्रव्याकरण-(सं.)दौर्गसिंहीवृत्ति सं. देवदेवं प्रणम्य (पातासंघवीजीर्ण९५, जेकाजि२४०, जेकाजि२४५, जेकाजि२४९, जेकाजि१०२०, जेकालौ५०५, जेकालौ५४१-B, पाकाहेम९०३, पाकाहेम९०४, पाकाहेम१०३६, पाकाहेम१०३७, पाकाहेम२८७१, पाकाहेम२८७२, पाकाहेम३८१३, पाकाहेम३९३४, पाकाहेम६७८४, पाकाहेम१०४३०, पाकाहेम१०४३१, पाकाहेम१०६७४, पाकाहेम१२८३७, पाकाहेम१२८३८, पाकाहेम१२८३९, पाकाहेम१८७८९) कातन्त्रव्याकरण नो हिस्सो उणादिगणनी (सं.)दौर्गसिंही वृत्ति। सं. (पाकाहेम९६९०) कातन्त्रव्याकरण परिभाषासूत्र-(सं.)टीका। सं. सम्पूर्ण मण्डला (वताकांति४४०) दुर्गात्मज-जैनेतर कातन्त्रलिङ्गानुशासन सं. (पाकाहेम१०६७७) दुर्लभराज-अज्ञात-नृसिंहपुत्र सामुद्रतिलक-नरलक्षणशास्त्र सं. (पाकाहेम१०४४२) देपाल-कवि जीराउलारास मागु. गा.४१ (पाकाहेम१०२२, पाकाहेम१२१२४) देवगुप्तसूरि-आचार्य तत्त्वार्थाधिगमसूत्र-सम्बन्धकारिका-(सं.)टीका सं. वीरं प्रणम्य सर (भांता४९) नवतत्त्वप्रकरण प्रा. गा.१३९ (जेताजि१५४, जेताजि१५५, पातासंघवी१४६-१, जेकाजि७४) देवगुप्तसूरि - जुओ - जिनचन्द्रसूरि-आचार्य देवचन्द-अज्ञात एकाक्षरस्तुति प्रा. जय अमरनय चरणमय. (पातासंघवी२०५-१) देवचन्द्र-मुनि (प्र. नाम-गणि-देवचन्द्र गणि) जम्बूपृच्छारास\ मागु. (पाकाहेम६२३५) नवतत्त्वनी चोपई स्तवन मागु. ग्रं.३०२ गा.२०८ (पाकाहेम५४०९) नेमिनाथजिनबारमासा। मागु. गा.१५ (पाकाहेम३१४२)

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