Book Title: Hastlikhit Granthsuchi Part 3
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Stambhan Parshwanath Jain Trith Anand

View full book text
Previous | Next

Page 77
________________ ६० विद्वान उपरथी कृति माहिती शतक प्राचीन पञ्चम कर्मग्रन्थ-(प्रा.)बृहद्भाष्य प्रा. ग्रं.१४१३\ चउबन्धणुओगविहीद (पाताखेत४६) चक्रेश्वरसूरि-आचार्य गुरु-आचार्य धर्मघोषसूरि अज्ञात-अपभ्रंशस्तोत्रादि सङ्ग्रह। अप. (पातासंघवी१७२-३) चन्द्रप्रभस्तुति सं. श्लोक९ वाचावाचां पतिरप (पातासंघवी१७२-३) तीयसप्पगाथा। अप. तीयसप्पदुव्बतीय (पातासंघवी१७२-३) तीर्थङ्करस्तुति। सं.\ श्लोक८\ ध्यानाकुन्द... (पातासंघवी१७२-३) नेमिनाथस्तुति अप. गा.९\ सुथिरसुरासुर... (पातासंघवी१७२-३) पञ्चपरमेष्ठिस्तुति। सं. नाभेयादिजिनाः प (पातासंघवी१७२-३) पार्श्वजिनस्तुति। सं.। श्लोक२४\ जय श्रीस्तम्भनक (पातासंघवी१७२-३) पार्श्वनाथस्तुति। सं. श्लोक११\ श्रीनागराजफणिरत (पातासंघवी१७२-३) वीरजिनस्तुति। सं. श्लोक १० भक्तिसारकलौ... (पातासंघवी१७२-३) वीरजिनस्तुति प्रा. गा.१२\ जय जय वीरजिणेसर (पातासंघवी१७२-३) वीरजिनस्तुति। अप.\ गा.१२ (पातासंघवी१७२-३) सूक्ष्मार्थसप्ततिका-(सं.)टिप्पण। सं. नत्वा जिनं समीच (पाकाहेम१११५३) चक्रेश्वराचार्य (संविग्न विहार - जुओ - चक्रेश्वरसूरि-आचार्य चण्ड-कवि प्राकृतलक्षण\ सं. (पाकाहेम७३७१) चण्डपाल-जैनश्रावक दमयन्तीकथा-(सं.)विवरण\ सं.\ श्लोक१९०० (पातासंघवीजीर्ण६३, जेकाजि१०७९, पाकाहेम६७२२) चन्द्र महत्तर - जुओ - चन्द्रर्षि महत्तर-ऋषि चन्द्रधर्मगणि-गणि मन्त्रौषधिकल्पगर्भित देलउलामण्डन ऋषभजिनस्तवन-(सं.)टीका। सं. (पाकाहेम८२४५, पाकाहेम८२४७) चन्द्रप्रभ-मुनि ईश्वरकर्तृत्वप्रकरण सं. (पातासंघवी१३५-२) चन्द्रप्रभसूरि-आचार्य चित्तसमाधिप्रकरण\ प्रा. गा.३५४\ अन्नाणतिमिरसूरं (पाताखेत५०) दर्शनशुद्धिप्रकरण प्रा. पत्तभवन्नवतीरं (जेताजि२२३, पातासंघवीजीर्ण४५, पातासंघवी२०६-२, खंता१७२, खंता१७३, खंता१७४, पाकाहेम६५९०, पाकाहेम७०२३, पाकाहेम७०३४) प्रमेयरत्नकोष। सं. ग्रं.१४०० (पाकाहेम६६७५) सम्यक्त्वप्रकरण प्रा. (पाकाहेम८०५) सम्यक्त्वरत्नमहोदधि प्रा. (पाकाहेम१०१६९) चन्द्रप्रभसूरि-शिष्य - जुओ - हरिभद्रसूरि-आचार्य चन्द्रप्रभोपाध्याय-उपाध्याय वासुपूज्यचरित्री प्रा. सुहसिद्धिवहुवसी (पातासंघवी९१) चन्द्रर्षि महत्तर-ऋषि पञ्चसङ्ग्रह। प्रा. (जेताजि१७४, जेताजि१९०, पातासंघवी१४०, खंता१४५, भांका१३४) सप्ततिका षष्ठ प्राचीन कर्मग्रन्थ*\ प्रा. गा.९१\ सिद्धपएहिं महत् (जेताजि१५०, जेताजि१६०, जेताजि४१५, पाताखेत११, पाताखेत३६, पाताखेत४२, पाताखेत५०, पातासंघवीजीर्ण४५, पातासंघवीजीर्ण७३, पातासंघवी१, पातासंघवी१७४, पातासंघवी६१-१, पातासंघवी६७-१, पातासंघवी१४५-२, पातासंघवी१७२-१, पातासंघवी१९३-१, पाताहेसं११०, पाताहेसं११२, पाताहेसं११४, खंता९९, खंता११५, खंता१२०, खंता१२९, खंता१४८, खंता२८३, भांता४३, भांता४४, पाकाहेम६९७६) चन्द्रर्षि महत्तर-ऋषि (प्र. नाम-ऋषि-चन्द्र महत्तर) विजयचन्द्रकेवली चरित्र प्रा. श्लोक१०६० (पातासंघवीजीर्ण७९, पातासंघवी६९-४, पातासंघवी७२-४) चन्द्रशेखर-मुनि पार्श्वनाथस्तव क्रियागुप्त सं.\ श्लोक३२\ चरमजिन तं कल्या (पाकाहेम१२३७९)

Loading...

Page Navigation
1 ... 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165