Book Title: Hastlikhit Granthsuchi Part 3
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Stambhan Parshwanath Jain Trith Anand

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Page 84
________________ ६७ विद्वान उपरथी कृति माहिती पातासंघवीजीर्ण८८, पातासंघवी१७४, पातासंघवी६७-१, पातासंघवी७२-३, पाताहेसं१००, पाताहेसं१२१, पाताहेसं१५०, पाताहेसं१८१, खंता९०, खंता११३, खंता११५, खंता११९, खंता१२९, खंता१५०, तालाद३२६, वताकांति४००-२, डतामुक्ता४६१, जेकाजि१२८६, जेकाजि१२८९, जेकाजि१३१५, पाकाहेम७७५, पाकाहेम६९६१, पाकाहेम१०३५६, पाकाहेम१०४३८) विशेषणवती प्रा. ग्रं.४१९\ गा.३४८\ उस्सेहङगुलमेगं (पातासंघवी६२-२, पुप्रे४१८) विशेषावश्यकमहाभाष्य प्रा. गा.४३१४ (जेताजि१०९, जेताजि११६, जेताजि१२०, जेताजि१२१, पाताहेसं२२, पाताहेसं२३, भांता१५, भांता१६, जेकाजि५७, पाकाहेम१४८४३) सङ्ग्रहणीप्रकरण\ प्रा. गा.३६७\ निट्ठवियअट्ठकम् (पातासंघवीजीर्ण४६, पातासंघवीजीर्ण८०, पातासंघवी१२३-२, पातासंघवी१६०-१, पातासंघवी१९३-१, पाताहेसं११०, पाताहेसं११४, पाताहेसं११८, पाताहेसं११९, खंता१४१) जिनभद्रसूरि-आचार्य-खरतरगच्छ पञ्चवर्गपरिहारनाममाला सं. ग्रं.३६०१ गा.१३३ नत्वा पञ्चेषु प (जेकाजि९४४, पाकाहेम८७३४) पञ्चवर्गपरिहारनाममाला\ सं. श्लोक२१७\ अपवर्गपदाध्यासि (अताका४७७) पञ्चवर्गपरिहारनाममाला सं. श्लोक६१\ अनेकार्था... (अताका४७७) जिनभद्रसूरि-आचार्य गुरु-आचार्य शालिभद्रसूरि उपदेशमालाकथासमास प्रा. ग्रं.३६१३\ गा.२८९०। अरहन्तमरिहमरुहं (पातासंघवी७०-२, खंता२३४) कथाकोश-(सं) विवरण प्रा. गा.३० (पाकाहेम१७७५) द्वादशाङ्गीपदप्रमाणकुलक प्रा. गा.२१\ नमिऊण जिणङ्गाणं (पाकाहेम१२३६५) जिनमण्डनगणि-गणि कुमारपालप्रबन्ध सं. (पाकाहेम१४८७०) जिनमुनि-मुनि आचार्यचूलिका सिद्धान्त प्रा. गा.८७\ तं नमह रिसहनाहं (पाकाहेम१४९३५) जिनलाभसूरि-शिष्य - जुओ - रामविजय-पाठक जिनवर्धनसूरि-आचार्य पडिलेहणाकुलक प्रा. गा.३६१ भयवं दसनभद्दो.. (पाकाहेम७७५) महावीरस्तवन। सं. श्रीसत्यपुरपत्त (पाकाहेम७७५) वाग्भटालङ्कार-(सं.)टीका। सं. (पाकाहेम१०४०५) जिनवल्लभ-गणि (प्र. नाम-आचार्य-जिनदत्तसूरि) आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण प्राचीन चतुर्थ कर्मग्रन्थ षड्शीति*\ प्रा. गा.८६ निच्छिन्नमोहपास (जेताजि१५०, जेताजि१६२, जेताजि१७८, जेताजि१८८, जेताजि४१५, पाताखेत२३, पाताखेत३६, पाताखेत४२, पाताखेत५०, पातासंघवीजीर्ण४५, पातासंघवीजीर्ण४६, पातासंघवीजीर्ण४६, पातासंघवीजीर्ण७३, पातासंघवीजीर्ण८०, पातासंघवी१७४, पातासंघवी१२७-१, पातासंघवी१२७-२, पातासंघवी१७२-१, पाताहेसं९५, पाताहेसं११०, पाताहेसं११२, पाताहेसं११४, खंता९९, खंता१०५, खंता११५, खंता११७, खंता१४७, खंता२८७, भांता६९, जेकाजि१३२४, पाकाहेम६५९२, पाकाहेम७६६३) आदिनाथचरित्र प्रा. गा.२० (पाकाहेम२०५४) आवश्यकविधि प्रकरण\ प्रा.\ गा.१४० (पातासंघवी७२-२) ऋषभजिनस्तोत्र चरित्र प्रा. गा.२५ नमिय जिणमुसभमुभ (पाकाहेम७७५) जिनस्तवनचतुर्विंशतिका प्रा. ग्रं.१५५ (पाकाहेम८४९४) द्वादशकुलक प्रा. गा.२३३ (जेताजि२१८, जेकाजि१३१७, जेकाजि१३२६, पाकाहेम६५९७, पाकाहेम७३०७) नन्दीश्वरस्तोत्री प्रा. गा.२५\ वन्दियनन्दियलोय (पाकाहेम१०२३) नाभेयजिनस्तोत्री प्रा. गा.२०\ नाभियजिणमुसभ (डतामुक्ता४५७, पाकाहेम१०२३, पाकाहेम१०१६६) नेमिनाथस्तोत्रचरित्र प्रा. गा.१५\ मयनाहि सरिसबलसि (पाकाहेम७७५, पाकाहेम२०५४, पाकाहेम१०१६६) पञ्चकल्याणकस्तव। सं. का.१२\ प्रीतद्वात्रिंश (जेताजि२२४, डतामुक्ता४५७) पञ्चकल्याणकस्तोत्र प्रा. गा.३३१ सम्म नमिऊण जिण (पाकाहेम७७५) पार्श्वजिनस्तोत्र सं.श्लोक१० (डतामुक्ता४५७) पार्श्वनाथचरित्रस्तोत्री प्रा. गा.१५ वन्दे मन्दर नन् (पाकाहेम१०२३, पाकाहेम२०५४)

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