Book Title: Hastlikhit Granthsuchi Part 3
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Stambhan Parshwanath Jain Trith Anand
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विद्वान उपरथी कृति माहिती पातासंघवी१८४-१, पातासंघवी१९०-२, पातासंघवी१९५-२, पातासंघवी२०६-२, पाताहेसं३३, पाताहेसं३४, पाताहेसं१११, पाताहेसं११५, पाताहेसं११९, पाताहेसं१२२, खंता९०, खंता९७, खंता९९, खंता१०१, खंता१०५,
खंता१११, खंता११५, खंता१२३, खंता१२७, खंता१३०, वताकांति३९७, वताकांति४४१) जयसिंहसूरि-आचार्य
शान्तिनाथचरित्र सं. (पातासंघवीजीर्ण८८) जयसिंहसूरि-आचार्य धर्मोपदेशमालाप्रकरण प्रा. गा.१०१\ सिज्झउ मज्झविसु (पाताखेत१७-२, पातासंघवी११७-१, पाताहेसं११३,
पाताहेसं११४, पाताहेसं१८९, भांता६४, अताका४९७, पाकाहेम७७५, पाकाहेम१०२३) जयसेन-आचार्य-सरस्वतीगच्छ
धर्मरत्नाकर। सं. लक्ष्मीनिरस्तनि (भांका१८९) जयसौभाग्य-मुनि
चतुर्विंशतिजिनस्तुति मागु.\ श्लोक३९ (पाकाहेम९४४६) जयानन्दसूरि-आचार्य देवाःप्रभोस्तोत्र सं. का.९। देवाः प्रभो... (पाकाहेम८१९९, पाकाहेम८२००, पाकाहेम१२२४४, पाकाहेम१२२४६,
पाकाहेम१२२४७, पाकाहेम१२२४८, पाकाहेम१२२५०, पाकाहेम१२२५१, पाकाहेम१२२५६, पाकाहेम१५३३२) स्थूलभद्रस्वामिचरित्र सं. (पाकाहेम१०६४४) जल्हणदेव-अज्ञात
गाथा सप्तशती-(सं.)छाया। सं. (पातासंघवी६३-१) जसघोस - जुओ - यशोघोषसूरि-आचार्य जसदेव - जुओ - यशोदेवसूरि-आचार्य जाखराज-अज्ञात
षड्दर्शनसङ्ग्रहसूत्र सं. का.३४ (पाकाहेम८७५१) जिनकीर्तिसूरि-आचार्य-तपागच्छ\ गुरु-आचार्य सोमसुन्दरसूरि
ज्ञानपञ्चकभेदसङ्ख्यास्तव। सं.\ श्लोक१३ (पाकाहेम११०१९) दानकल्पद्रुम-धन्यचरित्र पद्य सं.\ ग्रं.१२९२\ स श्रेयस्त्रिजग (पाकाहेम१०१७१, भांका२९९) पुण्यफलकुलक प्रा. गा.१६ (पाकाहेम११०८३) पुण्यलाभकुलक प्रा.\ गा.१६ (पाकाहेम११०७३)
सामायिकपौषधकुलक\ प्रा. गा.१६\ छत्तीसदिणसहस्सा (पाकाहेम११०८१) जिनकुशलसूरि-आचार्य
चैत्यवन्दनकुलक-(सं.)विवृत्ति कथासहित। सं.\ ग्रं.४४००\ श्रेयांसि बहुवि (भांता७१, पाकाहेम१०१२) जिनचन्द्र गणि-गणि
जीवविभक्ति प्रा.\ गा.२५\ नमिऊण चलणजुयलं (पाताहेसं११३) श्रावकसामाचारी प्रा. (पातासंघवी६७-१, पाकाहेम३३३३) जिनचन्द्रसूरि-आचार्य
क्षपक शिक्षा प्रकरणी प्रा. गा.१२३ (पातासंघवी७२-२) पार्श्वनाथलघुस्तवन। सं. गा.७ (पाकाहेम८२०६)
संवेगरङ्गशाला प्रा. गा.१००५३। रेहइ जेसिं पयमह (जेताजि२३५, भांता४८, भांता७७, जेकाजि७७) जिनचन्द्रसूरि-आचार्य (प्र. नाम-आचार्य-देवगुप्तसूरि)-उपकेशगच्छ। गुरु-आचार्य कक्कसूरि नवपदप्रकरण प्रा. गा.१३८ नमिउण वद्धमाणं (जेताजि१५४, जेताजि१६०, जेताजि२२१, जेताजि२२२, पाताखेत५,
पाताखेत१२, पाताखेत३६, पाताखेत१७-२, पाताखेत३२-१, पातासंघवीजीर्ण५०, पातासंघवीजीर्ण५९, पातासंघवी१५१, पातासंघवी६१-२, पातासंघवी६६-३, पातासंघवी६७-१, पातासंघवी१७२-१, पातासंघवी१८१-१, पातासंघवी१८४-१, पातासंघवी१९०-२, पाताहेसं४०, पाताहेसं११४, पाताहेसं११९, पाताहेसं१२२, खंता८८, खंता९५,
खंता९७, खंता९९, खंता१०५, खंता२८३, भांता२५, भांता६४, तालाद३२६, अताका४९७) नवपदप्रकरण-(सं.)श्रावकानन्दि टीका सं. नत्वेच्छायोगतो। (पातासंघवीजीर्ण५०, पातासंघवी१२८-१,
वताकांति४०८)

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