Book Title: Hastlikhit Granthsuchi Part 3
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Stambhan Parshwanath Jain Trith Anand
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विद्वान उपरथी कृति माहिती प्रास्ताविकगाथासङ्ग्रह प्रा. गा.३११ (पाकाहेम९८१७) बकुलिशप्रार्थना (मोक्षार्था)। सं. श्लोक१३ (पातासंघवी१३५-२) बत्रीस जीव परिमाण प्रा. गा.२८\ सिरिवीरजिणं नमि (पातासंघवी५४-२, पाताहेसं१८९) बन्धषट्त्रिशिका प्रकरण प्रा. (पाकाहेम४७४०) बन्धस्वामित्व प्राचीन तृतीय कर्मग्रन्थ\ प्रा. गा.५४ (जेताजि१५०, पातासंघवी११७-२, पातासंघवी११९-२,
पातासंघवी१२७-२, जेकाजि२१९१) बन्धस्वामित्व नव्य तृतीयकर्मग्रन्थ-(मा.गु.)टबार्थी मागु. (पाकाहेम६९७५) बन्धस्वामित्व नव्य तृतीय कर्मग्रन्थ-(सं.)अवचूरि। सं. बन्धस्य विधानं (भांका१७४) बन्धस्वामित्व नव्य तृतीय कर्मग्रन्थ-(सं.)अवचूरि। सं. बन्धक बन्धकर्मा (पाकाहेम६९७३, भांका२०६) बन्धुराजकथानक-प्राणातिपातविरतिप्रथमातिचारविपाके प्रा.\ गा.७७ (पातासंघवीजीर्ण८८) बन्धोदयसत्ताप्रकरण-(सं.)अवचूरि सं. ग्रं.४११ (पाकाहेम१०९९४) बप्पभट्टीकथा प्रा. गा.६८५ (पातासंघवी१३६-२) बलिनरेन्द्राख्यान प्रा.,सं. बलिरिद्धिरूवजोव (भांका९७) बहुतीर्थस्तवन\ सं.\ श्लोक५\ कुल्पपाके युगाद (पाकाहेम१२३७८) बहुबुद्धिकथानक भावनाप्रभावे। प्रा. गा.११८ (पातासंघवी१५७-१) बादराकायपर्याप्ताकायप्रामाण्यवाद स्थल प्रा.,सं. ये वायर पज्जत्त (पाकाहेम८८१३) बारभावनारास मागु. गा.१८५ (पाकाहेम१०२३९) बारव्रतालापकादि प्रा. (पाकाहेम१०३३८) बालपुस्तिका सं. श्लोक७ शून्यागारे देवक (भांका२९३) बृहत् अजितशान्तिस्तवन-(सं.)टीका\ सं. (पाकाहेम१२१५७) बृहत् कल्पसूत्र-(प्रा.)बृहद्भाष्य। प्रा. (जेताजि४८, जेताजि४९, पाकाहेम३२०) बृहत् कल्पसूत्र-(प्रा.)कल्पचूर्णी\ प्रा. ग्रं.१४७८४\ मङ्गलादीणि सत्य (जेताजि५०, जेताजि५१, जेताजि५८,
जेताजि३९६, पातासंघवी३६, पाताहेसं९, खंता२५, खंता२७, भांता३९, भांता४२, लिंता४३, पाकाहेम६५५२,
पाकाहेम१००३९) बृहत् कल्पसूत्र-(प्रा.)विशेषचूर्णी\ प्रा. ग्रं.११००० (जेताजि५८, जेताजि५८, पाकाहेम६५५३, पाकाहेम६७६८,
पाकाहेम१००४०) बृहत् कल्पसूत्र-(प्रा.सं.)पर्याय। सं. (खंता८७, पाकाहेम७१११) बृहत् कल्पसूत्र-(प्रा.)बृहत्कल्पभाष्य प्रा. ग्रं.६६०० (पातासंघवीजीर्ण१४, पातासंघवी३६, तालाद३२२) बृहत् शान्तिस्तव। सं. ॐ ह्रीं भो भो (तालाद३३९, पाकाहेम१०६५७) बृहत् श्रावकविधि अप. गा.३४ वीरजिणिन्दहपयकम (पाकाहेम१०२३) बृहत् षट्स्थानक\ प्रा.\ ग्रं.२०२\ गा.१७३\ कयवीरजिणपणामो भ (पाताखेत५०) बृहत् सङ्ग्रहणीप्रकरण-(सं.)टीका सं. (पाताहेसं१२१) बृहत्सङ्ग्रहणीप्रकरण\ प्रा. गा.३७८ (जेताजि१५५, पाताखेत३२-१, पातासंघवी५४-२, खंता८८, खंता९९, खंता१०५,
खंता११६, वताकांति४३४, पाकाहेम१२१२४) बृहत्सङ्ग्रहणीप्रकरण\ प्रा. गा.५३४ (पातासंघवीजीर्ण७३) बे स्तुतिओ का.८ (पातासंघवी२०६-२) बोटिकोच्चाटनवाद स्थानक\ प्रा.\ इत्थं पुण जिणमग (भांता७०) बोधप्रदीपपञ्चाशिका सं. का.५०\ चूडोत्तंसितचारु (जेताजि२२४, पातासंघवी१७४, खंता२६४, पाकाहेम७०७१,
पाकाहेम१०७०३) बोलविचार\ मागु. (पाकाहेम१०३३०) बोलसङ्ग्रह् मागु. (पाकाहेम१२१२४) ब्रह्मचर्यविषये गजसुकुमारकथा। सं. श्लोक२१ (पातासंघवी१२९) ब्रह्मदत्तचक्रिचरित्र प्रा. ग्रं.३०३० (पातासंघवीजीर्ण८८) ब्रह्मा लूनशिरा इति वृत्तद्वयव्याख्या। सं. ब्रह्मालूनशिरा (पातासंघवी१३८-१) ब्राह्मणज्ञातिनिराकरण सं. (पातासंघवी१३५-२)

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