Book Title: Hastlikhit Granthsuchi Part 3
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Stambhan Parshwanath Jain Trith Anand

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Page 51
________________ ३४ विद्वान उपरथी कृति माहिती मातृका। अप. गा.६३\ त्रिभुवन सरणु स (पातासंघवी७२-३) मानोन्मानादिविचार प्रा.,सं. माणुम्माणपमाणाद (भांता७०) मालाआदिनाथ प्रा. गा.२४ (पातासंघवीजीर्ण८६-२) मालारोपणविधि। सं. अथ महानिशीथ प्र (भांता७०, वताकांति४१६, पाकाहेम५२६८) मालारोपणविधि। सं. नन्दिः पुनरित्थ (भांता७०) मासकल्पविचार प्रा. अप्पडिवड्ढेण सय (भांता७०) मासकल्पादि अनेक आगमोद्धृत विचारो\ प्रा.,सं. (पातासंघवी६०-३) मिच्छत्तकुलय। प्रा. (भांता७२) मिच्छाउक्कडकुलक\ प्रा. गा.१५\ जे कोवीय पाणगुण (पातासंघवीजीर्ण९१) मित्रसेनराजाकथा। सं. दानशीलतपः सम्पद (पातासंघवीजीर्ण९२) मिथ्यात्वकुलक प्रा. गा.२५ (पाकाहेम७७८२, पाकाहेम११०६६) मिथ्यात्वकुलक-(मा.गु.)बालावबोध\ मागु. (पाकाहेम७७८२) मिथ्यात्वस्थानविवरणकुलक प्रा. गा.४४ (पाकाहेम७७८३) मिथ्यात्वस्थानविवरणकुलक-(सं.)अवचूरि। सं. (पाकाहेम७७८३) मिथ्यात्वकुलक-(सं.)अवचूरि। सं. (पाकाहेम११०६६) मिथ्यात्वपरिहारकुलक प्रा. गा.३० नमिउं वीरजिणिन् (पाताहेसं१६८) मिथ्यात्वकुलक प्रा. गा.९ चित्तद्धिमि मह (पातासंघवी१९६-२) मिथ्यात्वगाथा प्रा. गा.६ मित्थत्तवेय तह (भांता७०) मिथ्यादुष्कृतकुलक प्रा. गा.१६\ जो को वि य पाणि (जेताजि१५१, पाताहेसं१८९) मुक्तिमार्गविषयकउपदेश सं. (पाकाहेम२१०६) मुखवस्त्रिकाप्रतिलेखनाधिकार सं.प्रा. (पाकाहेम१९५८) मुखवस्त्रिकाविचार सं. (पाकाहेम१०७७९) मुद्रागाथा। प्रा. गा.२\ दहण पलावण पडिजी (भांता७०) मुद्राविधि। सं. (पाकाहेम१२५१०) मुनिमुक्तावली\ अप.\ गा.१३\ पणमह तिसलासुयजि (पाताखेत३६) मुनिसुव्रतजिनस्तुति। सं. श्लोक४\ वाचा पुण्याय दी (पाकाहेम१०२२) मुनिसुव्रतस्वामिस्तोत्री प्रा. गा.३०\ भरुयच्छलच्छिवच् (भांता६९) मूलदेवकथा आदि ३५ कथा प्रा.,सं. (भांका१४६) मूलविशुद्धि प्रा. (पातासंघवी६७-१) मूलशुद्धि (पातासंघवीजीर्ण८०, जेकाथा११३) मृगसुन्दरीकथा। सं. श्लोक १४७ (जेकात३२०, पाकाहेम१६४५७) मृगाङ्कलेखाकथानक तपविषये। प्रा. गा.१३७ (पातासंघवी१५७-१) मृगापुत्रमहर्षिकुलक\ अप.\ गा.४२ (पातासंघवी२०२, पाकाहेम७३०७) मृत्युमहोत्सव सं. श्लोक४ (पाकाहेम११०२७) मेघदूतमहाकाव्य-(सं.)टीका सं. (पाकाहेम१०२१६) मेघदूतमहाकाव्य-(सं.)टिप्पण। सं. (पाकाहेम१०१२१) मेघमाला। सं. श्लोक४९५ (पाकाहेम१०७२२) मेघराजाकथानक प्रा. जो देइ दीवयं जि (पातासंघवीजीर्ण९१) मेघाभ्युदयकाव्य। सं. का.३८ काचित् काले प्र (जेताजि३४६, जेताजि३४७, पाकाहेम६६२३) मेघाष्टकसं.श्लोक११ (पाकाहेम१३७५, पाकाहेम८६८८) मोक्षशास्त्र-विश्वतत्त्वप्रकाश-(सं.)टिप्पण\ सं. (पाकाहेम१०७४४) मोहकुलक\ प्रा. गा.३४ (पाकाहेम७७८७) मौनएकादशीकल्याणकस्तवन। अप. गा.९\ नेमिजिणराय पणमे (पाकाहेम७३९८) यतिआराधनाप्रकरण (पाताहेसं१७१-७) यतिआराधनाविधि। प्रा.,सं. पूर्वं ग्लानसमी (भांता७०)

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