Book Title: Hastlikhit Granthsuchi Part 3
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Stambhan Parshwanath Jain Trith Anand
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विद्वान उपरथी कृति माहिती अपशब्दव्याकरण कूटखण्डन सं. (पाकाहेम७२६४) कीर्तिवल्लभ गणि-मुनि
उत्तराध्ययनसूत्र-(सं.)वृत्ति। सं. श्लोक८२६०\ अहं भिक्षोर्विन (भांका१५५) कीर्तिविजयगणि-उपाध्याय-तपागच्छीय विचाररत्नाकर प्रा. (पाकाहेम१६४१३) कुन्दकुन्दाचार्य-आचार्य-दिगम्बर आचार्य प्रवचनसार प्रा. एस सुरासुरमणुसि (भांका२०४) षट्प्राभृत प्रा. (पाकाहेम१०५६९) कुमारपाल गूर्जरेश्वर - जुओ - कुमारपाल राजा-जैनश्रावक कुमारपाल भूपाल प्रतिबोधक - जुओ - हेमचन्द्रसूरि-आचार्य कुलप्रभसूरि-आचार्य
तपोरत्नमालिकाप्रकरणी प्रा. गा.६७\ पढमन्तिमे जिणिन (खंता२७९, भांता७०) पार्श्वनाथस्तव सं. श्लोक१३ नत्वोपासितचरणं (पातासंघवी१७२-३, भांता७०)
समवसरणस्तवन प्रा. गा.२५\ अइसयलच्छिसणाहं (भांता७०) कुलमण्डनसूरि-आचार्य पञ्चजिनस्तव हारबन्धी सं.श्लोक२३\ गरीयोगुणश्रेण्य (पाकाहेम११२८६, पाकाहेम१२३१३, पाकाहेम१२३१४) मुग्धावबोध औक्तिक सं.,मागु. (पाकाहेम२६२१, पाकाहेम१२००९) विचारामृतसङ्ग्रह सं. ग्रं.२२०० (पाकाहेम३९९३, पाकाहेम७०३६, पाकाहेम१०२५७, भांका८८) वीरजिनस्तव अष्टादशचक्रबद्ध सं. का.२१\ विश्वसिद्धरजश्छ (पाकाहेम८२३१, पाकाहेम१२३१७, पाकाहेम१२३७१) कृष्ण पण्डित-पण्डित
पदार्थरत्नमञ्जूषा\ सं. ग्रं.३२०\ श्लोक३१८ नमामः संसारोरूम (पाकाहेम६६८७, पाकाहेम१०७४५) कृष्णमिश्र-जैनेतर
प्रबोधचन्द्रोदयनाटक प्रा. (जेताजि३५७, पातासंघवी१७३-२) केदार भट्ट-जैनेतर वृत्तरत्नाकर सं. (जेताजि३१४, पातासंघवी५६-३, पाताहेसं१४८, पाकाहेम१९५०, पाकाहेम१०३८४, पाकाहेम१०६८४,
पाकाहेम१०६८५, पाकाहेम१०६८६, पाकाहेम१३४९६) केलि-कवि मधुवर्णनकाव्य सं. का.६९ मुदमुपैतु बुधो (जेताजि३४६, पाकाहेम६६२३) विरहिणीप्रलापकाव्य। सं. का.५५ सा बोध्या भारती (जेताजि३४६, पाकाहेम६६२३) केशवमिश्र-जैनेतर
तर्कपरिभाषा। सं. (पाकाहेम१०१०१, पाकाहेम१०२२०, पाकाहेम१०२२१) कोट्याचार्य-आचार्य विशेषावश्यकमहाभाष्य-(सं.)वृत्ति। सं. ग्रं.१३७०० कयपवयणप्पणामो व (जेताजि११७, पातासंघवी१५, भांता१६) कौटिल्य-जैनेतर (प्र. नाम-जैनेतर-चाणक्य)
कौटिल्यअर्थशास्त्र सं. (पातासंघवीजीर्ण७२) क्षपणक-अज्ञात
अनेकार्थध्वनिमञ्जरी। सं. (पाकाहेम१३९७७) क्षमाकल्याण-अज्ञात
श्रावकविधिप्रकाश मागु. (पाकाहेम१४३१८) क्षमारत्न-मुनि-विधिपक्ष\ गुरु-आचार्य जयकीर्तिसूरि
पिण्डनियुक्ति-(सं.)अवचूरि। सं.\ श्रीपिण्डनिर्यु (भांका२७७) क्षेमेन्द्र-अज्ञात (प्र. नाम-कवि-व्यासदास) कविकण्ठाभरण सं. (पाकाहेम६६४४) दर्पदलन\ सं. श्लोक७०० (पाकाहेम८६६०) गङ्गेश्वर भट्ट - जुओ - गङ्गेश्वर मिश्र-जैनेतर

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