Book Title: Hastlikhit Granthsuchi Part 3
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Stambhan Parshwanath Jain Trith Anand
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विद्वान उपरथी कृति माहिती पातासंघवी१७४, पातासंघवी६८-१, पातासंघवी१३९-२, पातासंघवी१६७-१, पातासंघवी१७९-१, पातासंघवी२०३-२, पातासंघवी२०६-२, पाताहेसं११८, पाताहेसं१८७, खंता९२, खंता१०७, खंता११८, खंता१२९, भांका१७५) श्रावकप्रज्ञप्तिप्रकरण प्रा. गा.४०१\ अरहन्ते वन्दित् (जेताजि१६०, जेताजि१९१, पातासंघवी१६०-१, खंता१३६,
भांका८७) ऋद्धिविजय-मुनि-तपागच्छ
विजयानन्दसूरीश्वर रास\ मागु. गा.१०२\ सुख विलसे दोगुन (पुप्रे४१९-५) ऋषभदास-जैनकवि गौतमपृच्छास्तवन मागु. गा.७७ (पाकाहेम१०१३३) नेमिनाथजिनवरस्तवन\ मागु. गा.७१ (पाकाहेम१०२२९) रोहिणीयारास मागु. (पाकाहेम१०१२५) ऋषिपालित-मुनि (प्र. नाम-मुनि-इसिवालिय) देवेन्द्रस्तव प्रकीर्णकी प्रा. गा.३८०\ अमरनरवन्दिए वन् (पातासंघवीजीर्ण६५, जेकाजि१९५१, पाकाहेम६६६,
पाकाहेम९०२, पाकाहेम१००८८, पाकाहेम१०५५६, भांका१२३, भांका२२७) ऋषिवर्धनसूरि-आचार्य-अञ्चलगच्छ
नेमिनाथस्तवन। सं. का.११\ समुल्लसद्भक्तिस (पाकाहेम१२३५०) कनककुशल-मुनि चतुर्विंशतिजिनस्तुति-(सं.)टीका। सं. श्लोक१६५२ (पाकाहेम१५३०६) संवादसुन्दर सं. (पाकाहेम५२४४) कनककुशलगणि-गणि
सौभाग्यपञ्चमीकथा पद्य सं. श्लोक१५२ (पाकाहेम१०१७४) कनकप्रभसूरि-आचार्य सिद्धहेमशब्दानुशासन-बृहद्वृत्तिनो (सं.)लघुन्यास। सं. (जेताजि३०२, पाकाहेम२१६१, पाकाहेम१०१९६,
पाकाहेम१०३८०) कमलकलशसूरि-आचार्य
ऋषभदेवस्तवन। सं. का.२५\ पवित्रमन्त्रशिव (पाकाहेम१२३५१) कमलकलशसूरि-शिष्य-मुनि
महावीरस्तवन बम्भणवाडामण्डन अप.मागु. गा.२१ (पाकाहेम८२४८) कमलकीर्तिदेव-अज्ञात
तत्त्वसार प्रा. (पाकाहेम१०५७४) कमलप्रभ-मुनि
नेमिनाथचरित्र। सं.\ श्रीमद्युगादिजि (पुप्रे४२७) कलिकालसर्वज्ञ - जुओ - हेमचन्द्रसूरि-आचार्य कल्याणविजय-उपाध्याय
पार्श्वनाथस्तुति मागु. का.१\ मनवाञ्छितपूरणकल (पाकाहेम१२३६१) कल्याणसागरसूरि-आचार्य (प्र. नाम-आचार्य-धर्ममूर्ति-शिष्य) पार्श्वनाथसहस्रनामस्तोत्र सं. (पाकाहेम२००७) रावणपार्श्वनाथाष्टक अलवरपुरमण्डन#\ सं. का.९१ देवाधिदेवं कृतम (पाकाहेम१२१६७) हैमलिङ्गानुशासन-(सं.)विवरण (पद्यबद्ध)। सं. (पाकाहेम८५४०) कविसभाश्रृङ्गार - जुओ - आसड-अज्ञात कालिदास-कवि अभिज्ञानशाकुन्तलनाटक सं.\ श्लोक१३५१ (पाकाहेम१६६३०) कुमारसम्भव। सं. (पाकाहेम१०६९२, पाकाहेम१०७४२, पाकाहेम१४८७८, पाकाभाभा६०, पाकाभाभा६१, पाकाभाभा७७) मेघदूतमहाकाव्य सं. ग्रं.२००० (पाकाहेम१०१२१, पाकाहेम१०२१६) रघुवंशमहाकाव्य सं. वागर्थाविव सम्प (जेताजि३३४, पाताहेसं७२, खंता२६२, पाकाहेम१०२१५, पाकाहेम१०३३४) कीर्तिचन्द्र-उपाध्याय

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