Book Title: Hastlikhit Granthsuchi Part 3
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Stambhan Parshwanath Jain Trith Anand
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२०
विद्वान उपरथी कृति माहिती दीक्षाप्रतिष्ठामुहूर्त-मुहूर्तराजान्तर्गत सं. श्लोक३५ (पाकाहेम१४२२३) दीपालीकाकल्प (पाताहेसं६०) दीपावलीकल्प। सं.। गुरोः श्रीवर्ट्स (पाताहेसं१६६) दुःख-सुखविपाककुलक\ प्रा. गा.२७\ अणवरयकम्म-जललहर (पाताहेसं१४२) दुःषमाव्यवच्छेदस्वरूप प्रा. गा.२६\ झद्धित्तुमियसमि (भांता७०) दुषमगण्डिका\ प्रा.ग्रं.१०४\ गा.८१\ नमिऊण जिणवराणं (पातासंघवीजीर्ण८१, पातासंघवी५४-२,
पातासंघवी१८५-२, खंता१२५, तालाद३३९) दुहामात्रिका\ अप.\ गा.५८\ भले भणेविणु पणम (पाताखेत५१, पातासंघवी७२-३) दूसमपद्धति प्रा. गा.६४\ नमिऊण भुवणवीरं (पाताहेसं१६१) दृष्टान्तशतक श्लोकबद्ध सं.प्रा.,मागु. (जेताडूं९५३, पाकाहेम१७७१) दृष्टान्तशतक-(सं.)अवचूरि। सं. (भांका१०३) दृष्टिवाद सं. वन्दित्वा परमात (भांका२८६) देवकथा गद्य सं. (पाकाहेम७४३३) देवकीसुतचरित्र प्रा. गा.९७\ नमिऊण चलणजुयलं (पाताखेत११, खंता९७, खंता१२१) देवत्वे स्थविराकथा (जिनपूजा उपर)। सं.\ श्लोक८२ (पातासंघवी१६८) देवपालकथा पूजायाम् (पाताहेसं१८५) देवपूजाविषये मणिचूडकथा गद्य प्रा. (पाकाहेम२१०६) देवभद्रगुरुस्तुति। सं.प्रा. श्रीमत्तीर्थपति (पातासंघवी१९६-२) देवराज-वत्सराजकथा पद्य दानविषये। सं. ग्रं.४०० (पाकाहेम१०१७२) देवराजादिकथा अविचारितकार्ये सं. (पाकाहेम१७७६) देववन्दनादिभाष्य प्रा. (जेताजि४२४, पाकाहेम१००७, पाकाहेम९५०४, पाकाहेम१६१७८) देववन्दनादिभाष्य-(सं.)अवचूरि। सं. (पाकाहेम१६१७८, पाकाहेम१९५०७) देववन्दनादिभाष्य-(सं.)टिप्पणी\ सं. (पाकाहेम९५०४) देववन्दनादिभाष्यत्रय प्रा. गा.११३ (पाकाहेम७६९९, पाकाहेम९५४६) देवा प्रभोस्तोत्र-(सं.)अवचूरि। सं. (पाकाहेम१२२४४, पाकाहेम१२२४६, पाकाहेम१२२४८, पाकाहेम१२२५०,
पाकाहेम१२२५१, पाकाहेम१५३३२) देवीपूजा-स्थापन-विसर्जनविधि। सं. (पाकाहेम८९२१) देशान्तरी छन्द \ मागु. (पाकाभाभा४३) देहस्वरुपकुलकी प्रा. गा.२३ (पाकाहेम७७९६, पाकाहेम९६२०, पाकाहेम११०८४) दैवाष्टक\ सं.\ श्लोक९ (पाकाहेम१३७५, पाकाहेम८६८८) द्रव्यस्तवविचार सं. (पाकाहेम८३८७) द्वात्रिंशल्लक्षण सं. त्रिषु विपुलो ग (भांता७०) द्वादशभावनास्वरुप प्रा. (पाताहेसं१०८, पाकाहेम९०२) द्वादशभावनाकुलक\ प्रा. गा.२१०\ पढममणिच्चयमसरणय (पाताखेत१७-२, पातासंघवी१५६-१, खंता११३) द्वादशभावना\ प्रा. गा.१४ (पाकाहेम११०४६) द्वादशभावना प्रा. ग्रं.१५७\ गा.१३२\ तित्थयरे भगवन्त (पातासंघवी११७-१, पातासंघवी१४५-१) द्वादशानुप्रेक्षा सं. मदमदनकषाया... (भांका२९३) द्वादशार्थविचार प्रा. गा.१४ लयसद्दा दिणमणिण (पाताखेत६) द्विचत्वारिंशद्दोषविवरण सं. द्विशतेसप्तत्यध (भांता७०) द्विविध तप निरूपण सं. बाह्याभ्यन्तरभे (भांका२९३) द्वीपसागरप्रज्ञप्तिसङ्ग्रहणी प्रा. ग्रं.२००२ गा.२२५ पुक्खरवरदीवड्ढे (जेकाजि१६७, पाकाहेम६६६, पाकाहेम६७३७,
पाकाहेम१००९२, भांका१६५) द्वीपसागरप्रज्ञप्तिप्रकीर्णक प्रा.\ ग्रं.२८०\ गा.२२४\ पुक्खरवरदीवड्ढे (पातासंघवी६३-२) धनदकथा दानविषये। सं. (पाकाहेम१७७६) धनदत्तकथानक भावनाप्रभावे प्रा. गा.११२ (पातासंघवी१५७-१)

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