Book Title: Gadya Chintamani
Author(s): Vadibhsinh, T K Kuppuswami Sastri, S Subhramhanya Sastri
Publisher: Madras

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Page 18
________________ प्रथमो लम्बः । मूलैरुद्वेलवहमानमकरन्दकूलंकष कुल्यालोकनमुदितसेककर्मान्तिकैर्लावण्यतरङ्गितदिगङ्गनामुखैः शिलीमुखपद भग्नवृन्तलम्बमानचम्पकपाटलपुंनागकेसरप्रसवैः कंदर्पकनकातपत्रकमनीयकर्णिकारहारिभिर्वनदेवताधरबन्धुबन्धुजीवबन्धुरैः कुरवकपादपपरिष्वङ्गसफलमाधवीलतायौवनैरुपवनैरुद्रासमाना, मरकतदृषदुपरचिततटाभिः पद्मरागशिलाघटित सोपानपङ्किभिर्जलदेवताकुचकलशकौशलमलिम्लुच कमलमुकुलाभिरुन्मिषदात लवनान्धकारेण दिवसेऽपि रजनीविभ्रमविघटितरथाङ्गमिथुनाभिरभिषेक दोहलवितरदबलाचरणनूपुररणितश्रवणोद्गीवकलहंसाभिरुड्डीयमानजलचरविहग विधूतपक्ष पुटपतितपयःकणकोर किततटतरुशिखराभिर्मृणालसंदोह - संदेहिकादम्बखण्ड्यमानफेनकलिकादन्तुरतरङ्गाभिः प्रतिफलननिभेन गगनतलपरिभ्रमणरभसर्जानितपिपासाशमनकौतुककृतावतरणेनेव तरणिना रमणीयतां बिभ्राणाभिर्विभ्रमदीर्घिकाभिर्दीर्घीकृत सौभाग्या, क्वचित्पुरोनिहितविंष्टरपुञ्जितं स्फुरितकरनखमयूखसंपर्क पुनरुदीरितं निजवदनजनिततुहिनकरशङ्कासमृपनततारकानिकरमित्र दृश्यमानं प्रसूनराशिमारणितमणिपारिहार्यवाचालबाहुलतिकाविभ्रमाभिराममाबध्नतीभिर्व्याजीकृत्य पुष्पक्रयं वक्रोक्तिमभिदधता धूर्तलोकेन विस्मृतहस्ताङ्गुलिन्यस्त सुमनोबन्धनाभिरपि कुसुमसौरभादधिकपरिमलैरात्मनिःश्वासैराकुलीक्रियमाणमधुक रमालाभिर्मालाकारपुरंध्रीभिर्नीन्ध्रितेन कुचिद्विशङ्कटपेटकप्रसारितैः प्रसरदविरलसौरभसंपादितघ्राणपारणैर्युगपदुपलक्ष्यमाणैर्निखिलर्तुफलैः फलितलोकलोचननिर्माणेन कचित्सौरभ लुब्ध भुजंगसंगृह्यमाणैर्मलयजैर्विडम्बितमलयगिरिपरिसरारण्येन कुचित्प्रसार्यमाणस्फारकर्पूरपरागपाण्डर तया लहरीपवनसमुत्क्षिप्तशुक्तिपुटमुक्तमुक्ताफलपुलकितामुदधिवेलां विहसता कुचिद्वदान्यजनताजटिला नगरीयमिति वितरणकलापरिचयाय धरणीतलमवतीर्णैः कालमेघैरिव कृष्णकम्बलैस्तिमिरितेन कुचित्तृहृदय रुचिवर्ध

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