Book Title: Gadya Chintamani
Author(s): Vadibhsinh, T K Kuppuswami Sastri, S Subhramhanya Sastri
Publisher: Madras
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प्रथमो लम्बः ।
लपाठकानाम् । समुदस्थाच्च सत्वरसमुपसृतयामिकयुवतिजनप्रसारितहस्तावलम्बना प्रलम्बमानकेशहस्तविन्यस्तवामहस्ता शनैःशनैः शयनतलात् । उदमीमिलच्च विकचोत्पलविभ्रममुषी चक्षुषी सकलदोषपरिहारिणि भगवदर्हत्परमेश्वरस्य श्रीमुखाम्भोजे । प्राणसीच्च प्रचुरभक्तया बद्धाञ्जलिः प्रशिथिलितकबरीचुम्बितमहीतला निखिलभवक्लेशहरं भगवन्तम् । व्यचीचरच्च विगलितनिद्राकृतालस्या किमस्य फलं स्वप्नस्येति। व्यधाच्च मनो भर्तुर्मुखादस्य फलश्रुतौ ।
अथ रजनीविरहजनितमसहमान इव परितापमपरजलनिधिजलमवगाहमाने यामिनीप्रणयिनि, तरणिरथतुरगखरखुरपुटपरिपतनभयेन क्कापि गत इवानुपलक्ष्यमाणे तारागणे , गगनपयोनिधिजठररूढविद्रुमलतावितानविडम्बिनि प्रथमगिरिपरिसरवनदावविभ्रममुषि प्रत्यग्रजनितप्रत्यूषगर्भरुधिरपटलपाटलिमद्रुहि पल्लवयति बलमथनदिशामुखमरुणकिरणकलापेतपनदर्शनरसादिव विकसिततामरसदृशि विकचितदलनिचयकवचितककुभि कमलाकरे , प्रबुध्यमानपङ्कजिनीनिःश्वाससब्रह्मचारिणि प्रसृमरतुहिनसीललकणनिकरपरिचयसमुपचितजडिमनि घटमानरथाङ्गमिथुनविहिताशिषि विरहिनयनजलवर्षिणि विसृमरकुसुमपरिमलवासितहरिति वातुमारब्धवति मरुति वैभातिके , निजसुहृदभिभावुकदिनकृदुदयदर्शनपरिजिहीर्षयेव घटितदलकवाटमुद्रे निद्रामभिलषति कैरवाकरे, वाराकरचिरनिवासजनितजडिमविघटनविधृतारुणकम्बल इव विभाव्यमाने दिवसभुजंगफणारत्ने गगनमुरभिदाभरणकौस्तुभे गभस्तिमालिनि महःस्तोमैः स्तबकयति पूर्वमचलम् , अनुष्ठितदिवसमुखविधेया विजया विहितवैभातिककृत्यं कृतजिनचरणसपर्यं पर्यङ्किकानिषण्णं सविनयमभ्येत्य राजानमर्धासनमध्यासिष्ट । पुनरभाषिष्ट च मुखाकृतिसूचिताकूता जिज्ञासापरखशपार्थिवकृतानुयोगा पङ्कजाक्षी– “ आर्यपुत्र , स्वप्ने विकसितकु

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