________________ 28 भीमसेन चरित्र "सुमित्र! तुम्हारे पास अपने कुंवर का चित्र तो अवश्य होगा ही? साथ ही जन्म कुण्डली हो तो और अच्छा?" मानसिंह ने पूछा। राजनइसके बगैर काम होगा ही कैसे? लीजिये, यह रही ज्येष्ठ कुमार की छवि और जन्म कुण्डली।" पल दो पल के लिये आश्चर्य विमूढ हों राजा मानसिंह तो भीमसेन की छवि देखते ही रह गया। निरोगी काया, सशक्त व मांसल शरीर, भरा हुआ मुँह, विशाल भाल प्रदेश, नोकदार नाक, प्रतापी आखे, लुभावने होंठ और दृष्टि में विनय विवेक की अद्भुत झाँकी। मानसिंह ने मन भर कर छवि बार बार देखी। राजा की भाव भंगिमा को परिलक्षित कर सुमित्र ने पूछा : "इस तरह आप क्या देख रहे हैं। महाराज? हमारे कुंवर में क्या कोई कमी नजर आ रही है?" “यह भी कोई बात हुयी सुमित्र! तुम्हारे कुंवर तो सर्वांग सुन्दर है। देखो तो कैसी प्रतापी मुद्रा है उनकी?" . "तो फिर आप क्या सोच रहे है?" मैं सोच रहा था कि क्यों न यह छवि सुशीला व उसकी माता को भी दिखा दी जाय। उनकी भी राय तो लूं और जन्म कुण्डली मेलन लिये के राज ज्योतिषियों को दे दूं।" 000000d NITION . RAMAIL TIMIM li हार सोममुरा राजा राणी-भीमसेन की प्रभावक मुद्रा देख रहे हैं। P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust