________________ 52 भीमसेन चरित्र डाला जाय तो अन्यथा नहीं होगा और साथ ही स्वयं का भार कुछ मात्रा में हल्का हो जायगा। उसने अपने विचार से मंत्रियों को अवगत किया। मंत्रियों ने सोत्साह उसके विचार का स्वागत किया और एक शुभ दिन हरिषेण को विधिपूर्वक युवराज पद पर स्थापित कर दिया गया। इससे भीमसेन की आधी चिन्ता कम हो गयी। वह अब विशुद्ध रूप से गृहस्थ धर्म का अधिक से अधिक पालन करने लगा। एक समय की बात है। भीमसेन की पली सशीला एक शांत रात्रि में सुख शैया पर गहरी नींद सो रही थी। रात्रि के अंतिम प्रहर में उसने एक स्वप्न देखा। स्वप्न शुभ और मंगलकारी था। स्वप्न में उसने उत्तम प्रकारका एक विमान देखा। विमान अनेक प्रकार के उच्च कोटि के विविध रनों से देदीप्यमान था। अपनी दिव्य कान्ति से सूर्य की प्रभा को भी निस्तेज कर रहा था और धुंघरूओं की मंजुल ध्वनि से समस्त वायु मण्डल को आकुल व्याकुल करता हुआ घूम रहा था। ऐसे अपूर्व-अद्भुत विमान का दर्शन कर सुशीला अचानक जाग पड़ी। उसकी नींद उचट गयी और वह साश्चर्य चारों ओर देखने लगी। लेकिन उसे व्योम मण्डल में ऐसा कोई विमान दृष्टिगोचर नहीं हुआ। अतः वह मन ही मन विचार करने लगी : 'क्या यह इन्द्रजाल होगा?' या फिर मेरे इष्ट मनोरथों को सूचित करने वाला कोई अदृश्य LAAAAR anARARD वारसरता COM NAVAN POUHAN रिसागर सुख पूर्वक सो रही सुशीला स्वप्न में उत्तम प्रकार का एक देव विमान देख रही हैं। तथा गर्भ के प्रभाव से रानी सुशीला को जिनपूजन का दोहद उत्पन्न हो रहा है। P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust