________________ वधाता ऐसा ! कब तक ? 147 अश्रु और आहे...। विधाता! इसका यही परिणाम? मेरे प्रयत्न व ईमानदारी का यही प्रतिफल? हे कर्मराज! मुझे भला किन कर्मों का आज यह दण्ड मिल रहा है? मैंने इस जन्म में शुद्ध एवम् सात्विक जीवन व्यतीत किया है। मेरे कार्य से किसीको अकारण कष्ट न ...हो इसे हमेशा दृष्टि में रखा। स्व पत्नी से ही सन्तोष प्राप्त किया। परस्त्री को माँ व बहन की दृष्टि से देखा। व्यसन और वासनाओं की ज्वाला से सदैव दूर ही रहा हूँ। यथाशक्ति तप किया है। सुपात्र को शक्ति अनुसार दान दिया है। व्रत नियम का शुद्ध रूप से पालन किया है। हे कर्मराज! तब भी मेरी ऐसी दुरावस्था क्यों? निःसंदेह इस जन्म के किसी कर्म का यह परिणाम नहीं है। तो क्या मैंने पूर्व भव में अनेकों अशुभ कर्म किये होंगे? क्या मैंने स्तनपान करते बालकों को माताओं से विलग किया होगा? लूटपाट करके निर्दोष यात्रियों को लूटा-खसोटा होगा? मौज मस्ती के लिये पशु पक्षियों का शिकार किया होगा? साधु-सन्तों व सन्नारियों पर घोर अत्याचार किये होंगे? धोखे से किसी का धन हड़प लिया होगा? न जाने कौन कौन से पाप किये होंगे, जिनकी सजा मुझे मिल रही है? / ____ ज्ञानी भगवंत के अतिरिक्त भला मुझे कौन बतलायेगा? साथ ही वर्तमान की जो असह्य वेदना है, उसको कैसे दूर किया जाय? धन के अभाव में भला मैं अपने परिवार का भरण पोषण किस प्रकार करू? अब तो यह शरीर भी साथ देने का नाम नहीं लेता। कई दिनों की और बार बार की असफलताओं ने इसे भी कंगाल बना दिया है। चेतन अचेतन में बदल गया है और जीवन की आशाएँ निराशा में परिवर्तित हो गई हैं। जीवन रूपी प्राची दिशा में जैसे-तैसे बाल रवि उदय हुआ था तो ढोंगी साधु के विश्वासघात ने उसे भी निस्तेज कर दिया। ओह मेरे जीवन को धिक्कार है। अब मेरे जीवन की कोई उपयोगिता नहीं रही। मैं अपने परिवार के कुछ भी काम न आ सका और तो और अब तो स्वयं अपना काम कर सकने की इच्छा शक्ति भी मुझ में नहीं रही। ऐसे असहाय कंगाल का जीवन जीने से भला क्या लाभ? नहीं! नहीं! अब भले ही मेरे प्राणों की रक्षा के लिये कोई आ जाय। मैं उनकी एक नहीं सुनूंगा। अब तो मैं प्राणों का उत्सर्ग करके रहूँगा। जीवन में नारकीय यातनाएँ और अनन्त दुःखों को भोगने से तो मृत्यु का एक बार का दुःख भोगना अच्छा ! "अब मुझे कोई विचार नहीं करना है। आज का दिन जीवन का अन्तिम दिन बनकर रहेगा।" और भीमसेन ने पुनः एक बार मृत्यु की आराधना करने की ठानी। यह उसका P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust