________________ 212 भीमसेन चरित्र अनुभव हुए। विविध देश तथा भिन्न-भिन्न प्रकार के मनुष्यों से साक्षात्कार हुआ। कर्म की लीला का चमत्कार देखा। तुम्हारी अशुभ भावना से हमारा तो शुभ ही हुआ है। अरे सुख दुःख तो जीवन में आते ही रहते हैं। उसमें भला तुम्हारा क्या दोष? अपने को संभालो। धैर्य से काम लो और ज्येष्ठ भ्राता के कार्यो में हाथ बटाओ सुशीला ने देवर को अतीत भूल जाने के लिए समझाते हुए कहा। देवसेन व केतुसेन ने दो कदम आगे बढ़कर काका के चरण स्पर्श किये और प्रेमातिरेक से उसकी बाहों में समा गये। ___ 'पूज्य तात! आप तो ज्ञानी है। विद्वान है.... शूरवीर है। आप जैसे वीर पुरूष ही जब इस तरह दुःखी होने लगेंगे तो हम बालकों का क्या होगा। अब तो अपने आप ही अपनी करनी को कैसे भूल जाऊँ। इसका स्मरण होते ही मेरा हृदय क्रंदन करने लगता है बातों ही बातों में सब राजगृही आ पहुँचे। भीमसेन ने दूर सुदुर से जैन देवालयों के उन्नत सिखरों को देखकर मान पूर्वक नमन किया। “नमो जिणाणं" इधर राजगृही के नगरजन अपने प्राण प्यारे महाराज की राह में पलक पांवडे बिछाये बैठे थे। उनके मंगल दर्शन होते ही वाद्य वृन्द की मधुर धुन और स्वागत गीतों से वातावरण गूंज उठा। वायुमण्डल में रह-रह कर उठते भीमसेन के जयनाद से पूरा ब्रह्माण्ड आहत हो उठा। नगर की शोभा देखते ही बनती थी। ध्वज पताकाओं से हाट हवेलियाँ और बाजार सजे हुए थे। झरोखें व अटारियाँ पर स्त्रियों की भीड थी। सब की दृष्टि भीमसेन " म सालपाम हरि-मोगरा JAMANANDANAL शुभ और श्रेष्ठ दिन आते ही सिंहासन पर भीमसेन का पुनः राज्याभिषेक। P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust