________________ 164 भीमसेन चरित्र नगरशेठ तो इस अकल्पनीय बात को सुनकर भौचक्के रह गये। तुरंत ही सुलोचना को लेकर सुशीला जहा पर बर्तन साफ कर रही थी वहा पर आकर खडे रह गये। सुशीला काम कर रही था। उसका मस्तक लाज से ढका हुआ था। फिर भी पसीने से लथपथ उसका भाल प्रदेश और मुख स्पष्ट दिखाई दे रहा था। सुशीला को देखते ही सुलोचनाने आवाज दी, 'ब..डी...ब...ह...न....!' इन शब्दों को सुनते ही सुशीला एकदम खडी हो गई। वह कुछ सोचे उससे पहले ही सुलोचनाने छाती से चिपक कर रोना शुरू कर दिया। दीदी आपकी यह दशा? मुझे तो मिलना था? क्या मैं भी आपके लिए परायी थी? मुझे अपना नही माना दी...दी...! . 'मत रो बहना मत रो'। यह सब तो कर्म के खेल है। कर्म सत्ता के आगे किसका चला है, सो तुम्हारे दीदी का चले? 'अपने किये तो भुगतना ही पडता है' 'चाहे राजा हो, या रंक' उसके लिए सब समान है। बहना आंसू न बहा। रोने से थोडा ही दुःख दूर हो जायगा।... चल जाने दे इन सब बातों को, पहले यह बता कि मेरे बहनोईजी कैसे है? सब कुशल तो हैं न? दीदी आप कितनी सहिष्णु है। मेरी खबर अन्तर पूछ रही हो पर अपना तो कोई नाम ही नही ले रही हो! सुलोचनाने अपना हृदय हल्का बनाते हुए कहा। मेरी कथनी क्या बताऊँ। अब मेरे जीवन में रहा भी क्या हैं? जो तुम्हे नयी बात कहूँ। एक गहरा निःश्वास छोड सुशीलाने कहा। "तो दीदी मैं आपके जीवन की एक बात कहूँ?" * जानकर आपको खुशी होगी। 'खुशी से कहो मेरी बहना शुभ समाचार से बढकर दुसरा क्या हो सकता है?' / "दीदी! मेरे बहनोईजी इस नगरमें पधारे हैं, और वे बड़े ठाठ के साथ दोनों कुंवरों को लेकर राजमहल में पधार रहे हैं।' बडे हुलास के साथ सुलोचना बोली। - सुशीला की जीवन सितार झन-झना उठी। खुशी की तरंग समस्त देह में व्याप्त हो गई। विरह की अग्नि में जल रहे दिल में उमंग और आशा के फव्वारे बिखरने लगे। वह इन समाचारों पर भरोसा न कर सकी, फिर भी यों मानकर पूछने लगी। कहा है वे? मेरे पास क्यों नही आए? दीदी आप के समाचार थे-कि आपको भद्राने उस झोपडी से भी निकाल दिया है, और उसे आग लगा दी हैं। इस अशुभ समाचार से मेरे बहनोई एकदम मूर्छित हो जमीन पर गिर पडे। जब होश में आये तो शीघ्र ही आपकी शोध में निकल पडे। पुरे नगर का चप्पा-चप्पा छानमारा, फिर भी कही से आपकी खबर तक नहीं मिली। आपके बहनोई भी साथ में थे। आखिर कुंवरों का पता लग गया। मेरी तरह बहनोईजी भी आपको मिलने के लिए जिद कर रहे थे, परंतु सबने ऐसा करने के लिए मना किया। वे Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC. Gunratnasuri M.S.