________________ 76 भीमसेन चरित्र असह्य वेदना के विह्वल हो उठी और बिलख बिलख कर रोते रोते मूर्छित हो, जमीन पर गिर पड़ी। माँ को यों क्रंदन करते हुए मूर्छित होकर जमीन पर लुढकते देखकर दोनों बालकों के घबराहट का पारावार न रहा। वह भी किसी अप्रत्याशित संकट की कल्पना कर बिलखने लगे और "पिताजी!... पिताजी!" कह कर जोर शोर से आवाज लगाने लगे। आया और लगभग उपटते हुए राजकुमारों के पास गया भीमसेन को आया देख, राजकुमारों ने रोते हुए कहा : "पिताजी! धन की थैली कोई चोर उचक्का उठाकर रफूचक्कर हो गया है। इसीलिये माँ करुण क्रंदन करते हुए मूर्छित होकर भूमि पर गिर पड़ी है।" भीमसेन ने सर्व प्रथम बालकों को शान्त किया तत्पश्चात् उसने नदी से जल लाकर सुशीला के मूर्छित शरीर पर छींटे मारे। शीतल जल व भीमसेन के स्नेह स्पर्श से सुशीला की मूर्णा अल्पावधि में ही टूट गयी और जाग्रतावस्था में आते ही वह पुनः दहाड़े मार मार कर रूदन करने लगी। इस घटना से भीमसेन के हृदय को भी घोर आघात लगा। क्षण भर के लिये वह भी विचलित हो गया। किन्तु अपने आप को संयत कर वह विचार करने लगा। 52C. PAN - हरि सामपुरा . . शेष बचे धन की भी चोरी हो रही है, रे कम! तेरी सजा ही असर हैं। . P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust